Tambaku Ki Kheti | हमारे भारत देश में तम्बाकू की खेती व्यवसायिक खेती के रूप में की जाती है. इसे नशीले प्रदार्थ के रूप में भी जाना जाता है. तम्बाकू एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है जिसे इसकी पत्तियों के लिए उगाया जाता है. इसकी मांग भारतीय बाजारों में बहुत ज्यादा रहती है, ऐसे में किसान भाई इसकी खेती कर काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते है. यदि इसकी खेती उन्नत तरीके से की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. अगर आप इसकी खेती में उच्च गुणवत्ता और अधिक पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती जैविक तरीके से करनी चाहिए.
यदि आप एक किसान है तो आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको तम्बाकू की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि- तम्बाकू की खेती कैसे करें? तम्बाकू की खेती से लाभ? तम्बाकू की खेती करने वाले राज्य? तम्बाकू की खेती के लिए जलवायु? तम्बाकू की उन्नत किस्म? तम्बाकू की खेती का समय? तम्बाकू की खेती में खाद? Tambaku Ki Kheti आदि.
तम्बाकू की खेती की जानकारी
बता दें, तम्बाकू की खेती एक मुख्य कृषि गतिविधि है जो कई देशों में की जाती है. यह एक प्रमुख वाणिज्यिक फसल भी है, जिससे अनेक उत्पादों को बनाया जाता है. इसमें गुटखा, खैनी, तम्बाकू का पान, सिगरेट आदि शामिल है. इसकी खेती के लिए उचित जलवायु, मिट्टी और उचित जल की आवश्यकता होती है. इसके अलावा बीज का चयन, उन्नत किसानी तकनीक और उपयुक्त रोपण तथा पानी प्रबंधन शामिल होता है. तम्बाकू की सही देखभाल, उचित खरीदारी तंत्र और बाजार में बेचने की जानकारी सफल तम्बाकू की खेती के लिए जरुरी है.
तम्बाकू की खेती करने के लिए भुरभुरी तथा दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. अगर आप भी इसकी खेती कर रहे हो तो फिर आपके खेत में उचित जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि जलभराव के कारण पौधे सड़ने लगते है. इसके अलावा, इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए.
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तम्बाकू की खेती का समय
हमारे देश में तम्बाकू के पौधों की रोपाई किस्मों के आधार पर की जाती है. दिसंबर के शुरुआती महीनों में सूंघने वाली किस्मों को लगा देना चाहिए तथा सिगरेट और सिगार बनाने वाली किस्म को अक्टूबर से दिसंबर के बीच किसी भी समय लगा सकते है. यही समय तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है.
तम्बाकू की खेती करने वाले राज्य
देश के लगभग सभी राज्यो में तम्बाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) की जाती है. देखा जाए तो आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में तम्बाकू की खेती सर्वाधिक होती है.
तम्बाकू की खेती के लिए जलवायु
तम्बाकू की खेती करने के लिए ठंडी एंव शुष्क जलवायु को उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधों को अच्छे से विकसित होने और बीज अंकुरण के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. इसका पौधा 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छा विकास करता है. वैसे, जब इसकी पत्तियां पकने लगती है तो इन्हे ज्यादा तापमान और धूप की आवश्यकता होती है.
तम्बाकू की उन्नत किस्में
बता दें, तम्बाकू की भी कई किस्म पाई जाती है परंतु मुख्य रूप से इन्हे 2 प्रजातियों में ही बांटा गया है. इसकी विस्तार सहित जानकारी नीचे दी गई है:
- निकोटिना टुवैकम किस्म की तम्बाकू: हमारे भारत देश में इस किस्म के तम्बाकू की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. इस किस्म के पौधे थोड़े लंबे और पत्ते आकार में चौड़े होते है तथा पौधों पर लगने वाले फूलो का रंग गुलाबी होता है. इसमें कई किस्म शामिल है जैसे कि- एमपी 220, टाइप 23, टाइप 49, टाइप 238, पटुवा, मोतीहारी, कालकतिया, पी.एन 28, सीटीआरआई स्पेशल, जी.एस.एच 3 आदि.
- निकोटिना रस्टिका किस्म की तम्बाकू: इस किस्म के पौधे छोटे तथा पत्तियां रूखी और भारी होती है, परंतु तम्बाकू की यह किस्म अधिक सुगंधित होती है. पत्तियों के सुख जाने के बाद यह काली दिखाई देने लगती है. इसमें कई किस्म शामिल है जैसे कि- पीटी 76, हरी बांडी, पी.एन 70, एनपी 35, प्रभात, रंगपुर, भाग्य लक्ष्मी, सोना और डीजी 3 आदि.
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तम्बाकू की खेती कैसे करे?
बता दें, तम्बाकू की खेती करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करे. इस तरीके से आप आसानी से तम्बाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) कर सकते है. साथ ही, अच्छी पैदावार भी पा सकते है. सही विधि से खेती करने के लिए इन चरणों का पालन करे:
- तम्बाकू की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- इसके लिए आपको खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर लेनी है.
- जुताई से मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बरक़रार रहेगी.
- अब पाटा की मदद से खेत को समतल कर लेना है ताकि जलभराव की समस्या न हो.
- इसके बाद, आपको खेत में उचित मात्रा में गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डाल देना है.
- अब एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद व मिट्टी अच्छे से मिल जाएंगे और भूमि को पोषण मिलेगा.
- इसके बाद, आपको खेत में सीधा बीजों को न लगाकर पौधों को नर्सरी में तैयार करके खेत में लगा देना है.
- खेत में पौधों को लगाने के लिए पहले अगस्त से सितंबर माह के बीच नर्सरी में 1 से 1.5 माह पहले तैयार कर लेना चाहिए.
- पौधों को तैयार करने के बाद खेत में लगा दें.
- इसके पौधों को तैयार करने के लिए शुरुआत में क्यारियों को 5 मीटर की 2 गुना तैयार कर ले.
- क्यारी तैयार करने के लिए उसमे गोबर खाद को डालकर उसे अच्छे से मिला दे.
- इसके बाद, तम्बाकू के बीजों को छिड़ककर उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दें.
- इसके बाद उसमे पानी दें और बाद में क्यारियों में बीजों को पुलाव से अच्छे से ढक दे.
- बीजों के अंकुरित हो जाने के बाद पुलाव को हटा दें.
- खेत में पौधे रोपण करने के बाद समय- समय पर सिंचाई और खरपतवार करते रहे.
तम्बाकू की जैविक खेती
तम्बाकू की जैविक खेती एक प्राकृतिक तरीके से उत्पन्न अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों की खेती का एक प्रमुख तरीका है. इसमें किसानों को शानदार उपज मिलती है, जिसे बाजार में आकर्षक मूल्य पर बेचा जा सकता है. बता दें, तम्बाकू की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरकों का ही उपयोग होता है तथा इसकी ख़ास बात यह है कि इससे पृथ्वी को कोई हानि नहीं पहुँचती और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है.
तम्बाकू की खेती में खाद
बता दें, तम्बाकू की खेती की पहली जुताई के बाद इसमें 8 से 10 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए. वहीं, यदि आप रासायनिक खाद का उपयोग करते है तो आपको नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फास्फेट 150 किलोग्राम, पोटाश 45 किलोग्राम और कैल्शियम 85 किलोग्राम/ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की आखिरी जुताई के बाद खेत में छिड़क देना चाहिए. बता दें, आपको इसकी खेती में खाद की मात्रा पर विशेष ध्यान देना है.
तम्बाकू की खेती मे सिंचाई
तम्बाकू के पौधे की पहली सिंचाई पौधरोपण के तुरंत ही बाद कर देनी चाहिए. पहली सिंचाई के बाद इसके पौधों की हर 15 से 20 दिनों के अंतराल में हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए. यदि आप गर्मी में इसकी खेती करते है तो फिर आपको 4 से 5 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए.
तम्बाकू की खेती से लाभ
बता दें, तम्बाकू की खेती कई तरह के लाभ प्रदान कर सकती है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- तम्बाकू की खेती से आर्थिक लाभ होता है क्योंकि यह एक लाभकारी फसल है और बाजार में अच्छे मूल्य पर बेची जा सकती है.
- तम्बाकू की खेती से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.
तम्बाकू की खेती में रोग
तम्बाकू की फसल में कई तरह के कीटों एवं बीमारियों का प्रकोप होता है जिसका उचित समय पर नियंत्रण करना बहुत जरुरी है. तम्बाकू में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग की जानकारी नीचे दी गई है:
- पर्ण चिट्ठी रोग
- ठोकरा परपोषी रोग
- तना छेदक किट रोग
- सुंडी रोग
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तम्बाकू की खेती में लागत व मुनाफा
बता दें, तम्बाकू की फसल 100 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है तथा जब इसके पत्ते सूखने लग जाते है और कठोर हो जाते है तब इनकी कटाई की जाती है. कटाई के बाद भी इसे 3 से 4 दिनों तक सुखाया जाता है. इसके अलावा, तम्बाकू फसल के उत्पादन की बात करे तो यह 12 से 15 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर हो जाता है, जिसका भाव लगभग 6 से 8 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल होता है.
इस हिसाब किसान भाई इसकी खेती से लगभग 1 से 1.5 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते है. यदि हम लागत की बात करे तो इसकी फसल में लागत कम ही लगती है. इसकी खेती में लगभग 15 से 20 हजार रुपए की लागत आती है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
तम्बाकू में कौनसा प्रदार्थ पाया जाता है?
बता दें, तम्बाकू में पाया जाने वाला नशीला प्रदार्थ निकोटिन है.
तम्बाकू का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौनसा है?
तम्बाकू का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है. उत्पादन के लिए एक उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है तथा दूसरे नंबर भारत है.
तम्बाकू खाने से कौनसा रोग होता है?
तम्बाकू खाने से स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की बीमारियां हो रही है जैसे कि- कैंसर, ह्रदय रोग, लिवर की बीमारी, क्रोनिक रोग आदि बीमारियां तम्बाकू खाने से होती है.