Strawberry Ki Kheti | स्ट्रॉबेरी भारत की व्यापारिक फसल है. खेती के लिए स्ट्रॉबेरी एक ऐसा विकल्प है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है क्योकि इसकी फसल किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है. बता दे, स्ट्रॉबेरी एक बहुत ही नाजुक फल होता है जिसका रंग एकदम लाल और स्वाद हल्का खट्टा- मीठा होता है. वहीं, यह एकमात्र ऐसा फल है जिसके बीज बाहर की ओर होते है. पूरे विश्व में स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 से भी अधिक किस्मों को उगाया जाता है जो स्वाद और रंग में एक दूसरे से बिलकुल अलग होती है परंतु भारत में स्ट्रॉबेरी की कुछ ही किस्मों को उगाया जाता है. आइए लेख में विस्तार से जानते है.
अगर आप भी स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुड़ी पूरी जानकारी देने वाले है; जैसे कि- स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे? स्ट्रॉबेरी की खेती वाले राज्य? स्ट्रॉबेरी की उन्नत किस्म? स्ट्रॉबेरी की वैज्ञानिक खेती? स्ट्रॉबेरी की खेती के लाभ? स्ट्रॉबेरी की खेती में लागत व कमाई? Strawberry Ki Kheti आदि.
स्ट्रॉबेरी की खेती की जानकारी
भारत देश में स्ट्रॉबेरी की खेती एक लाभकारी कृषि विकल्प है जिसे आसानी से उगाया जा सकता है. स्ट्रॉबेरी के पौधे जल सिंचाई और अच्छी द्रव्यमान वाली मिट्टी में तेज़ी से बढ़ते है. इसकी खेती में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और पौधों की नियमित देखभाल करना जरुरी होता है. इसकी खेती किसानो को अच्छा मुनाफा दे सकती है.
स्ट्रॉबेरी की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है परंतु बलुई दोमट मिट्टी में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है. इसके अलावा, इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. वैसे, किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करवानी चाहिए.
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स्ट्रॉबेरी की खेती का समय
बता दे स्ट्रॉबेरी के पौधे की रोपाई करने के लिए 10 सितंबर से 10 अक्टूबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है. यदि रोपाई के दिनों में अधिक तापमान हो तो आप इसके पौधों को कुछ समय बाद यानी 20 सितंबर तक भी बुवाई कर सकते है.
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले राज्य
हमारे देश भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Ki Kheti) सर्वाधिक देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग, नैनीताल, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र की पहाड़ियों आदि में की जाती है. वैसे, अब स्ट्रॉबेरी की खेती मैदानी भागों में मेरठ, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बैंगलोर जैसे कई क्षेत्रों में भी की जा रही है.
जानकारी के लिए बता दे कि देहरादून, सोलन, हल्द्वानी, नासिक, गुरुग्राम, रतलाम और अबोहर शहर स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध है. इसके अलावा, बिहार और झारखंड की जलवायु स्ट्रॉबेरी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जलवायु
बता दे स्ट्रॉबेरी शीतोष्ण जलवायु की फसल है, जिसकी खेती के लिए न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है. अधिक तापमान होने पर पौधे सही से विकास नही कर पाते है. इसीलिए सही तापमान में ही इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है.
स्ट्रॉबेरी की उन्नत किस्म
हमारे भारत देश में स्ट्रॉबेरी की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्मों की खेती की जाती है. किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही स्ट्रॉबेरी की किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन मिल सके. कुछ प्रमुख किस्मो की जानकारी निचे दी गयी है:
- कमारोसा
- एलिस्ता
- स्वीट चार्ली
- विंटर स्टार
- विंटर डाउन
- सिसकेफ
- फेयर फाक्स
- चांडलर
- ओफ्रा
- फेस्टिवल ब्लैक मोर
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स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे?
अगर आप स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को अवश्य ध्यान में रखे:
- स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे पहले आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है.
- इसके लिए खेत में अच्छे से 1-2 बार गहरी जुताई करवाए. फिर आपको खेत में रोटावेटर चला देना है, इससे खेत की मिट्टी भुरभूरी हो जाएगी.
- इसके बाद, आपको पाटा की मदद से खेत को समतल कर देना है ताकि जलभराव जैसी समस्या का सामना न करना पड़े.
- अब पौधे की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर लेने है. गड्डे की दूरी आप अपने अनुसार भी रख सकते है. वैसे, कम से कम 7×5 मीटर की दूरी रखना उत्तम रहेगा.
- गड्डे तैयार करते समय उसमे उर्वरक की सही मात्रा अवश्य छिड़क दे ताकि मिट्टी में पोषण बना रहे.
- जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको स्ट्रॉबेरी के पौधों की रोपाई करनी है. ध्यान दे कि आप स्ट्रॉबेरी का बीज भी लगा सकते है परंतु इसे पौधा बनने में ज्यादा समय लगेगा.
- पौधा लगाने के तुरंत बाद ही आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
- फिर, समय- समय पर सिंचाई पर ध्यान दे और सही से देखभाल करे. इसकी खेती में देखभाल की आवश्यकता ज्यादा होती है और इसका उत्पादन आपके देखभाल के ऊपर ही निर्भर होता है.
हाइड्रोपोनिक स्ट्रॉबेरी की खेती
बता दे हाइड्रोपोनिक स्ट्रॉबेरी की खेती एक सुगम और विशेष तकनीक है जिसमे पौधों को सीधे मिट्टी में बोने के बजाए पाइप के अन्दर उगाया जाता है. इस प्रक्रिया में पौधों को सही मात्रा में पोषण मिलता है जो उच्च उत्पादकता और बेहतर गुणवत्ता की खेती संभावित बनाता है. इस प्रकार की स्ट्रॉबेरी की खेती में पानी, ऊर्जा और खाद्य सामग्री की बचत होती है. वैसे, इस तकनीक में लागत ज्यादा लगती है.
स्ट्रॉबेरी की वैज्ञानिक खेती
यदि आप स्ट्रॉबेरी की वैज्ञानिक खेती करना चाहते हो तो आपको कई महत्वपूर्ण तथ्यों पर ध्यान रखना आवश्यक है. सबसे पहले, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें और बीजों को पूर्व-प्रक्रिया के लिए तैयार करे. ध्यान रहे कि बीजो को उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी में बोना है, जिसमे अच्छा खाद हो. इसकी वैज्ञानिक खेती में आपको नियमित रूप से पानी देते रहना चाहिए और कोशिश करे कि मिट्टी की नमी हमेशा बनी रहे. स्ट्रॉबेरी की वैज्ञानिक खेती की अधिक जानकारी आप नजदीकी कृषि केंद्र से ले सकते है.
स्ट्रॉबेरी की खेती में सिंचाई
इसके पौधों की सिंचाई ड्रिप या स्प्रिकल विधि द्वारा की जाती है. इस तकनीक से पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी प्राप्त हो जाता है और खेत में नमी भी बनी रहती है. ध्यान रखे कि स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Ki Kheti) में आपको नमी के अनुसार ही सिंचाई करनी चाहिए.
इसकी पहली सिंचाई पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए तथा फलों के आने से पहले फव्वारे के माध्यम से ही सिंचाई करे. इसके बाद, जब पौधे में फल आ जाए तब आपको टपक विधि से सिंचाई करनी है, ताकि पानी अच्छे से अंदर जड़ तक जा सके.
स्ट्रॉबेरी की खेती में खाद
बता दे कि स्ट्रॉबेरी के पौधे काफी नाजुक होते है इसलिए उसे समय पर खाद और उर्वरक देना काफी जरूरी होता है. ध्यान रहे कि आपके खेत की मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट देखकर ही खाद की मात्रा को तय करना है. इसकी खेती में रासायनिक खाद के रूप में 60 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम फास्फोरस की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत की आखरी जुताई के समय देना होता है. इसके बाद, बीजों या पौधे की रोपाई खेत में कर दी जाती है और फिर सिंचाई के समय, घुलनशील उर्वरक को भी छिडकाव कर देना है.
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स्ट्रॉबेरी की खेती से लाभ
हमारे देश में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Ki Kheti) से कई लाभ हो सकते है परंतु नीचे हमने कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी दी है, जो कुछ इस प्रकार से है:
- स्ट्रॉबेरी भारतीय बाजारो में अच्छे मूल्य में बिकते है और इसे बेचकर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
- यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है क्योंकि इसमें विटामिन C,A, K और एंटीऑक्सीडेंट खनिज पदार्थों तथा प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है.
- स्ट्रॉबेरी की खेती से आसपास के छोटे-छोटे श्रमिको को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.
स्ट्रॉबेरी की खेती में लागत व मुनाफा
बता दे स्ट्रॉबेरी की खेती में अलग-अलग किस्मों से भिन्न-भिन्न पैदावार प्राप्त होती है. यदि हम सामान्य तौर पर देखे तो इसके प्रत्येक पेड़ से लगभग 2 से 3 किलोग्राम फल मिलते है. बता दे कि 1 एकड़ में लगभग 400 से 450 पौधे लग सकते है. वैसे, पौधों की मात्रा दूरी पर भी निर्भर करती है कि आपने पौधों को कितनी दूरी पर लगाया है.
सब कुछ हमारे बताये अनुसार लगाए है तो किसान भाई को 1 एकड़ के खेत से लगभग 10 से 12 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो सकता है. वहीं, स्ट्रॉबेरी का बाजारी भाव लगभग 350 से 450 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास रहता है. इसके अनुसार, किसान भाई इसकी एक बार की फसल से लगभग 2.5 से 3.5 लाख रुपए बड़ी आसानी से कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
स्ट्रॉबेरी का पौधा कितना लंबा होता है?
स्ट्रॉबेरी का पौधा लगभग 15 से 20 फिट लंबा होता है. इसकी छाल आमतौर पर लाल भूरे रंग की होती है और इसकी पत्तियां चमकदार तथा गहरे हरे रंग की होती है.
स्ट्रॉबेरी का पौधा कहाँ मिलता है?
स्ट्रॉबेरी का पौधा आपको ठंडे प्रदेशों में ज्यादा मिलेगा, लेकिन आपको कुछ मैदानी क्षेत्रों में भी इसके पौधे आसानी से मिल जाएंगे.
स्ट्रॉबेरी के अंदर कितने बीज होते है?
बता दे कि 1 स्ट्रॉबेरी के अंदर लगभग 200 बीज होते है. यह एकमात्र ऐसा फल है जिसके बीज फल के अंदर न होकर बाहर की साइड होते है.
क्या लोग स्ट्रॉबेरी की पत्ते खाते है?
स्ट्रॉबेरी की पत्तियां खाने के लिए एकदम सुरक्षित है. कई लोग इसे औषधीय मानने के कारण इसे इस्तेमाल करते है.
स्ट्रॉबेरी के पौधे को कितने घंटे धूप चाहिए?
स्ट्रॉबेरी के पौधे को रोजाना कम से कम 6 से 7 घंटे की धूप चाहिए होती है. इससे इसका पौधा जल्दी विकास करता है.