Shalgam Ki Kheti | अगर आप एक प्रगतिशील किसान है और खेती में कुछ नया करना चाहते है तो इस बार आपको शलजम की खेती करनी चाहिए. जी हां, शलजम शरद ऋतु की एक महतवपूर्ण फसल है. यह भारत में उगाई जाने वाली लोकप्रिय सब्जियों में से एक है. बता दे शलजम “बरासीकेसी” परिवार से संबंध रखती है तथा यह ठंडे मौसम की फसल है. शलजम की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार हो जाती है. इसके अलावा, शलगम की खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है.
अगर आप शलजम की खेती करने के बारे में सोच रहे है तो इस पोस्ट में हम आपको उन्नत तरीके से खेती करने की जानकारी देंगे. यहाँ आपको शलजम की खेती का समय? शलजम की खेती वाले राज्य? शलजम की उन्नत किस्में? शलजम की खेती के लिए उचित जलवायु? शलजम की वैज्ञानिक खेती? शलजम की खेती में सिंचाई? शलजम की खेती में लागत व मुनाफा? Shalgam Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी मिलेगी.
शलजम की खेती की जानकारी
भारत में शलजम की खेती मुख्य रूप से सर्दियों में की जाती है. यह एक महत्वपूर्ण फलीय सब्जी है जिसका उपयोग खाद्य के साथ- साथ पशुओं के चारा के रूप में भी किया जाता है. इसकी खेती में उचित मात्रा में सिंचाई, उर्वरक और पौधों की देखभाल के साथ- साथ उपयुक्त जलवायु आवश्यक होती है. शलगम में प्रमुख कीट प्रबंधन के लिए जैविक और रासायनिक उपायों का सही तरीके से प्रयोग करना जरुरी होता है.
अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हल्की चिकनी दोमट अथवा बलुई दोमट मिट्टी अति उत्तम मानी जाती है. भूमि अच्छी जल निकास वाली तथा उपजाऊ होनी चाहिए. पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए.
शलजम की खेती का समय
देसी किस्मों की बिजाई का उचित समय अगस्त से सितंबर महीने का है जबकि यूरोपी किस्मों की बिजाई का समय अक्टूबर से नवंबर महीने का होता है. ध्यान रहे, बीजों को 1.5 सेंटीमीटर की गहराई में बोए. वैसे, प्रति एकड़ भूमि के लिए बीज की दर 3 से 4 किलोग्राम पर्याप्त है.
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शलजम की खेती वाले राज्य
भारत में शलजम की खेती (Shalgam Ki Kheti) कई राज्यों में की जाती है, लेकिन बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और तमिलनाडू जैसे राज्यो में शलजम की खेती ज्यादा होती है.
शलजम की खेती के लिए उचित जलवायु
बता दे शलजम की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है क्योकि ठंडी जलवायु में इसकी उपज अच्छी मिलती है. इसके लिए तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक उपयुक्त रहता है.
शलजम की उन्नत किस्में
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आपको क्षेत्र की जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार ही अनुमोदित किस्मों का चयन करना चाहिए. शलजम की कई किस्में बाजार में उपलब्ध है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है:
- यूरोपियन किस्में: पूसा स्वर्णीमा, पूसा चंद्रिमा, पार्पिल टाप व्हाइट ग्लोब, गोल्डन बाल, स्नोवाल
- एशियाई किस्में: पूसा कंचन, पूसा श्वेत, पंजाब सफेद
शलजम की वैज्ञानिक खेती
भारत में शलजम की वैज्ञानिक खेती का प्रयास कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. वैज्ञानिक खेती के अनुसार, शलगम का उपयुक्त जमीन, बीज चयन, जलवायु और प्रबंधन तकनीकों का सही उपयोग करने से उत्तम उत्पादन हो सकता है. बीजों की पूरी तरह से बिजाई, जल संचयन और प्रबंधन, सही खाद और कीट- रोग नियंत्रण से शलजम की वैज्ञानिक खेती में पैदावार में वृद्धि हो सकती है.
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शलजम की खेती कैसे करे?
बता दे कि शलजम की खेती (Shalgam Ki Kheti) करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करे. इस तरीके से आप आसानी से शलजम की खेती कर सकते है. साथ ही, अच्छी पैदावार भी पा सकते है. सही विधि से खेती के लिए इन चरणों का पालन करे:
- शलजम की खेती करने से पहले खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना ले.
- इसके लिए खेत की पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे.
- इसके बाद, गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद डाले.
- फिर, आपको पुनः दो से तीन बार गहरी जुताई करवा लेनी है. इससे खाद तथा मिट्टी अच्छे से मिक्स हो जाएगी.
- बुवाई का समय आने पर, लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखे तथा कतार में बुवाई करे.
- ध्यान रहे, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखे तथा बीज को 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोए.
- बुवाई के तुरंत बाद आपको हल्की सिंचाई कर देनी है. इससे फसल में नमी बनी रहेगी.
- अब समय- समय पर जरुरत के अनुसार आपको सिंचाई करनी है.
- वैसे, शलजम की फसल बुवाई के 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है.
शलजम की जैविक खेती
बता दे शलजम की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरक, जैविक कीटनाशक और उपयुक्त जैविक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, जैविक खेती पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल उपयोग को कम करने में मदद करती है. यदि आप जैविक खेती करना चाहते है तो आपको सबसे पहले मृदा का विश्लेषण करना आवश्यक है तथा आपको बुवाई के समय जैविक शलगम बीजों का ही चयन करना चाहिए जोकि प्रमाणित हो.
शलजम की खेती में सिंचाई
Shalgam Ki Kheti की बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, इससे अच्छे अंकुरण में मदद मिलेगी. मिट्टी के प्रकार और जलवायु के आधार पर गर्मी में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर तथा सर्दियों में 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना जरुरी है.
शलजम की खेती में रोग
भारत में शलजम की खेती के दौरान कई प्रकार के रोग हो सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. शलगम की खेती में विभिन्न प्रकार के रोग हो सकते है, जिनमे से कुछ रोग निम्नलिखित है:
- केबेज फिल्टर
- डेड हार्ट रोट
- प्याज थ्रिप्स
- डिमांड बैक मोथ
- क्रैनबेरी ब्लैक रूट रोट
- अल्टरनारिया ब्लाक स्पॉट
शलजम की खेती में खाद
किसान भाईयों को शलजम के खेत की तैयारी के समय 200 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालनी चाहिए तथा नाइट्रोजन 60 किलोग्राम, फास्फोरस 50 किलोग्राम और पोटाश 50 किलोग्राम/ प्रति हेक्टेयर की दर से डालनी चाहिए.
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शलजम की खेती के लाभ
- शलजम एक लाभदायक फसल है जिससे आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
- इस खेती में लागत भी कम ही आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.
- शलगम ब्लड प्रेशर को नियंत्रण रखने में मदद करता है.
- शलजम के नियमित सेवन करने से किसी भी प्रकार की बीमारी नही होती है.
शलजम की खेती में लागत व मुनाफा
यदि आप शलजम की खेती एक हेक्टेयर में करते है तो आपको लगभग 200 से 250 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी. अगर मुनाफा की बात करे तो भारतीय बाजार या मंडी में शलगम का भाव लगभग 2500 से 3000 रुपए/ प्रति क्विंटल है. यानी किसान भाई शलजम की खेती (Shalgam Ki Kheti) करके आराम से 5 से 6 लाख रूपए कमा सकते है. इसमें से अगर 50 हजार रूपए खर्चे के भी निकल दे तो आप 5 लाख रूपए आसानी से कमा सकते हो.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
क्या शलजम और चुकंदर एक ही है?
शलजम देखने में बिल्कुल चुकंदर जैसा होता है. बस दोनो के रंग में फर्क होता है. शलजम को शलगम भी कहा जाता है. यह एक जड़ वाली सब्जी है. इसे खाने से सेहत को कई लाभ होते है.
शलजम का दूसरा नाम क्या है?
शलजम एक प्रकार की सब्जी है. इसका वैज्ञानिक नाम “ब्रेसिका रापा” है.
शलजम एक सब्जी है या फल?
शलगम एक जड़ वाली सब्जी है.
शलजम की उत्पत्ति कहा से हुई?
शलजम की खेती हजारों वर्षो से की जा रही है. यह संभवतः यूरोप और पश्चिम एशिया दोनो की मूल खेती है.
शलजम को अंकुरण होने में कितना समय लगता है?
शलजम को अंकुरण होने में लगभग 5 से 7 दिनों का समय लगता है. शलगम के बीज 40 डिग्री फ़ारेनहाइट जितनी ठंडी मिट्टी में भी अंकुरित हो सकते है.
Rate of Shalga ₹6-7/kg in Delhi Ajadpur Mandi
Ok