Seb Ki Kheti | व्यावसायिक रूप से सेब सबसे महत्वपूर्ण समशीतोष्ण फलों में से एक है. सेब की खेती से किसान को कम लागत में अधिक फायदा होता है क्योंकि बाजार में सेब के भाव अन्य फलों की अपेक्षा में काफी ज्यादा होता है. वैसा देखा जाए तो सेब की बाजार मांग हमेशा बनी रहती है. बता दे सेब की खेती ठंडे प्रदेशों में अधिक की जाती है परंतु अब तो सेब की कई बेहतरीन किस्में विकसित हो गई है जिससे आप सेब खेती मैदानी प्रदेशों में भी आसानी से कर सकते है. प्रिय किसान भाईयों, यदि आप सेब की खेती वैज्ञानिक विधि से करते है तो फिर आपको ओर भी अच्छी पैदावार मिल जाती है.
सेब की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको सेब की खेती से जुडी विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि सेब की जैविक खेती कैसे करे? सेब की खेती कैसे करे? सेब की खेती कहां होती है? सेब की व्यवसायिक खेती? सेब की खेती में सिंचाई? सेब खाने के लाभ? Seb Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
सेब की खेती की जानकारी
वैज्ञानिक भाषा में सेब को “मेलस डोमेस्टिक” कहा जाता है. यह मुख्य रूप से मध्य एशिया में उगाया जाता है किन्तु अब इन्हे यूरोप में भी उगाया जाने लगा है. इस खेती में पौधों पर गुच्छों के रूप में सेब लगते है. सेब का पौधा शुरुआत में झाड़ीनुमा दिखाई देता है. भारत में सेब हरे, लाल और पीले 3 रंगो में पाए जाते है. ऐसे क्षेत्र जहां तीव्र गति से हवाएं चलती हो, वह क्षेत्र सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त नही है क्योंकि हवा के कारण सेब का पौधा एक तरफ झुक जाता है और पौधे की एक समान वृद्धि नही हो पाती. फूल खिलने के समय शुष्क तथा तेज हवाएं फूलो को हानि पहुंचाती है.
सेब की खेती वाले राज्य
हमारा भारत देश विश्व में सेब के उत्पादन में 9वें स्थान पर है. हमारे यहां प्रतिवर्ष लगभग 1.48 मिलियन टन सेब का उत्पादन होता है. भारत में सेब की खेती (Seb Ki Kheti) सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड राज्य में होती है. इसी कारण से हिमाचल प्रदेश को “सेब राज्य” यानि Apple State के नाम से भी जाना जाता है.
सेब की खेती का समय
बता दे सेब की खेती (Apple Ki Kheti) का समय ऑर्गेनिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों तथा मौसम की स्थितियों पर निर्भर करता है. फिर भी आमतौर पर सेब की खेती शुरु करने के लिए विशेष माह होता है और वह आपके स्थान की जलवायु और भूमि की स्थिति पर आधारित होता है. सेब की खेती को शुरू करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसम्बर महीने के बीच का होता है. सेब के बीज लगाने का सबसे अच्छा समय हल्की गर्मियों का है.
सेब की व्यवसायिक खेती
बता दे सेब की व्यवसायिक खेती काफी मुनाफाखोर व्यवसाय होती है. इसकी व्यवसायिक खेती करने के लिए आपको खेती सही विधि से करनी चाहिए. नीचे सेब की व्यवसायिक खेती करने की जानकारी दी गयी है:
- सेब की व्यवसायिक खेती के लिए उचित भूमि का चयन करना जरुरी होता है.
- सेब के लिए उपयुक्त भूमि गहरी, अच्छी ड्रेनेज तथा निर्मल सुविधा वाली होनी चाहिए.
- आप नर्सरी से उचित पौधे ले तथा उन्हें उचित समय पर लगाए.
- सेब की खेती कर आप अपना खुद का सेब व्यवसाय खोल सकते है.
सेब की उन्नत किस्में
आज के समय में सेब की कई किस्मों को उगाया जाने लगा है जिन्हे अलग-अलग क्षेत्रों की जलवायु के अनुसार तैयार किया गया है. इससे अच्छी पैदावार मिलती है. इन दिनों सेब की कई उन्नत किस्में उपलब्ध है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है:
- रॉयल डिलीशियस
- ऑरिगन स्पर
- सन फ्यूजी किस्म
- रैड चीफ किस्म
- रीगल गाला
- स्टार्क स्पर
- गोल्डन स्पर
- अर्ली शानबेरी
काले सेब की खेती
काला सेब (Black Apple) एक अनोखा फल है जिन्हे आमतौर पर जापानी सेब (Janpanese Apple) भी कहा जाता है. काले सेब भारत के उतराखंड राज्य में उगाए जाते है तथा इस क्षेत्र में उनकी विशेष पहचान होती है. काले सेब को उच्च गुणवत्ता वाला फल माना जाता है और इसका उत्पादन वाणिज्यिक रूप से किया जाता है.
सेब की खेती कैसे करे?
बता दे सेब की खेती (Seb Ki Kheti) करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करे. इस विधि से आप इसकी खेती भी आसानी से कर सकते है और आपको खेती में किसी तरह की समस्या भी नही आएगी. निचे दिए गए चरण फॉलो करे:
- सेब के पौधे को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से 2 से 3 बार गहरी जुताई कर ले ताकि मिट्टी पोषित हो जाए.
- इसके बाद, आपको खेत में रोटावेटर चला देना है. इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी.
- फिर आपको पाटा की मदद से खेत को समतल करना है. समतल करने से आपको जलभराव जैसी समस्या नही होगी.
- समतल करने के बाद आपको 10 से 15 फिट की दूरी रखते हुए गड्डे खोद लेने है. ध्यान रहे कि प्रत्येक गड्डे एक फिट गहरे तथा दो फिट चौड़े होने चाहिए.
- इसके बाद, आपको गड्डो की पंक्तियां तैयार कर लेनी है तथा प्रत्येक पंक्ति के बीच में 10 से 12 फिट की दूरी बना के रखनी है.
- जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको गड्डे में गोबर तथा रासायनिक खाद डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देना है.
- इसके बाद, गड्डे की हल्की हल्की सिंचाई कर दे.
- यह सभी गड्डे पौधे की रोपाई से 1 माह पहले तैयार कर लेना है ताकि बीच के समय में मिट्टी में पोषक मिल जाए.
- इसके बाद इन गड्डो में सेब के पौधे लगा दे जो आपने नर्सरी में तैयार किये थे. यहाँ आप पौधे खरीद के भी लगा सकते हो.
- इसके बाद समय- समय पर आपको सिचाई करनी है.
- लगभग 4 साल के बाद सेब का पौधा फल देने लग जायेगा.
सेब की खेती में सिंचाई
सब की खेती में पहली सिंचाई पौधे रोपण के तुरत बाद ही कर देनी चाहिए. सिंचाई से मिट्टी में नमी आ जाती है जिससे पौधा जल्दी ग्रो करता है. सर्दी के समय में 2 से 3 सिंचाई ही पौधे के लिए पर्याप्त है परंतु गर्मी के समय सप्ताह में एक बार सिंचाई करना जरूरी होता है अन्यथा सेब का पौधा धीरे- धीरे सूखने लगेगा. यदि हम बरसात के मौसम की बात करे तो बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत नही होती है फिर भी यदि आपके क्षेत्र में कई दिनों से वर्षा न हो तो आप सिंचाई कर सकते है.
सेब की जैविक खेती
बता दे सेब की जैविक खेती एक प्राकृतिक और पर्यावरण सहज तरीका है जिसमे केमिकल उपयोग ना के बराबर होता है. सेब की जैविक खेती से जुडी जानकारी निम्नलिखित है:
- सेब की जैविक खेती करने के लिए आपको मिट्टी की जांच करवा लेनी है. इस विधि का उपयोग करने से कई लाभ होते है.
- जैविक खेती में आप कम्पोस्ट खाद, गोबर खाद और शीर्ष मिट्टी खाद का उपयोग कर सकते है. यह खाद पौधे को पोषण देती है तथा माइक्रोऑर्गेनिज्म की संख्या को बढ़ाती है.
- उच्च गुणवक्ता वाले बीजों को प्राथमिकता दे. आपको प्रमाणित बीजो का ही चयन करना है.
- एक अच्छी बागवानी प्रबंधन योजना बनाए.
सेब की खेती में खाद
सेब के पौधे को सभी मिनरल तत्वों की आवश्यकता होती है. मिट्टी के प्रकार रूटस्टॉक के आधार पर 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस, 750 ग्राम पोटैशियम प्रति पौधे की मात्रा में दी जा सकती है. पौधे में विकास के दौरान 0.5 प्रतिशत कैल्सियम क्लोराइड का छिड़काव, 14 दिनों के अंतराल पर 4 बार इसकी कमी के लक्षण को कम करने में मदद करता है.
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छत पर सेब की खेती
भूमि की कमी होने के कारण आप अंतरवर्तीय खेती का विकल्प बना सकते है तथा छत पर सेब की खेती (Apple Ki Kheti) काफी प्रचिलित हो गई है. सेब की खेती करने के लिए छत पर उचित मात्रा में सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है. यदि आप भी छत पर सेब की खेती करना चाहते है तो आपको नीचे दी गई बातों को ध्यान रखना है:
- सेब की खेती छत पर करने के लिए आपके पास दो विकल्प है. आप सेब की खेती या तो गमले की मदद से करे या फिर छत पर एक कोने में ज्यादा मिट्टी डाल कर पौधे को लगाए.
- छत पर सेब की खेती के लिए आपको अच्छी मिट्टी का चयन करना चाहिए जिसका पी.एच. मान 6 से 7 के बीच हो.
- इसमें आपको उचित मात्रा में समय समय पर खाद देनी की आवश्यकता होती है.
- सिंचाई, खरपतवार का भी विशेष ध्यान रखे.
सेब की खेती में लागत व मुनाफा
सेब की खेती में सिंचाई से लेकर कटाई तक हर साल लगभग 1.5 से 2 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक की लागत लगती है तथा पौधे लगाने के 4 साल बाद इसमें 80 फीसदी तक सेब आ जाते है. इसके अलावा, बाजार में इसकी मांग अधिक है तथा कीमत भी अच्छी होने से किसान इसे अच्छा मुनाफा कमा सकते है. वर्तमान समय में सेब की कीमत 140 रुपए प्रति किलो है इसके हिसाब से सेब की खेती से आप 4 से 5 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर आराम से कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
सेब का सीजन कौन सा होता है?
वैसे तो, सेब पूरा साल बाजार में मिलता है परंतु इसका सीजन अक्टूबर से मार्च तक रहता है. सीजन के समय समय इसका भाव कम रहता है क्योंकि इस समय सेब की मात्रा बाजार में अधिक होती है.
सबसे महंगा सेब कौन सा है?
सबसे महंगा सेब ब्लैक डायमंड एप्पल (Black Diamond Apple) है जिसे ओब्सिडियन एप्पल के नाम से भी जाना जाता है. यह सेब दिखने में काले रंग का होता है तथा यह तिब्बत के पहाड़ों में पाया जाने वाले एक दुर्बल और खास प्रकार का सेब होता है.
लाल सेब और हरे सेब में क्या अंतर है?
जानकारी के अनुसार लाल सेब मीठे, रसीले और पतले छिलके वाले होते है. इसकी मिठास के कारण ही लोग लाल सेब को खाना पसंद करते है. वही, हरे सेब स्वाद में खट्टे होते है और इनका छिलका मोटा होता है.
सेब सबसे अच्छे कहां उगते है?
सेब उस जलवायु में सबसे अच्छे उगते है जहां सर्दियों में ठंड होती है तथा गर्मियों में मध्यम और मध्यम से उच्च आर्द्रता होती है. इसकी खेती के लिए 40 डिग्री फारेनहाइट तापमान उचित माना जाता है.
कौन सा भारतीय सेब सबसे मीठा है?
अंबरी सेब सबसे मीठा सेब होता है. वैसे यह सेब कश्मीर की शान है. अंबरी सेब को कश्मीरी सेब के नाम से भी जाना जाता है. इसकी मीठी सुगंध के कारण उत्तर भारतीय लोग ओस किस्म का व्यापक रूप से सेवन करते है.