Parwal Ki Kheti | परवल का वैज्ञानिक नाम “ट्राइकोसेन्थेस डायोइका रोक्सब” है तथा यह पूरे भारत में उगाई जाने वाली एक लोकप्रिय उष्णकटिबंधीय सब्जी है. इसकी सर्वप्रथम उत्पत्ति भारत में ही हुई थी जिसके कारण यह परवल सब्जी भारत के उपमहाद्वीप की मूल निवासी है. बता दें, परवल में भरपूर मात्रा में विटामिन उपलब्ध होता है जिस वजह से इस सब्जी की बाजारों में मांग अधिक होती है. इससे किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई भी कर सकते है. तो आइए जानते है परवल की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके.
यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको परवल की खेती करनी चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको परवल की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे, जैसे कि- परवल की खेती कैसे करे? देसी परवल की खेती? परवल की खेती के लिए जलवायु? परवल की खेती का समय? परवल की खेती से मुनाफा? परवल की उन्नत किस्में? परवल की खेती में खाद और सिंचाई? परवल की खेती में लागत व मुनाफा? Parwal Ki Kheti आदि.
परवल की खेती की जानकारी
भारत में परवल की खेती व्यापक रूप से की जाती है. इसकी खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है. इसमें उत्तम बीज, खाद, पानी प्रबंधन, रोग और कीट प्रबंधन करना जरुरी होता है. यदि आपके खेत में परवल की बुवाई के समय नमी रहती है तो फिर परवल के बीज को पूरी तरह से अंकुरित होने में लगभग 5 से 6 दिनों का समय लगता है. बता दे, परवल की खेती का अधिकतर उत्पादन सर्दियों में होता है परंतु कुछ भागों में गर्मियों में भी होता है.
परवल की खेती के लिए उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. ध्यान रहे कि भूमि का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच में ही होना चाहिए. बता दें, इसकी खेती के लिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि इसकी अच्छी पैदावार के लिए बेलों को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है.
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परवल की खेती का समय
बता दें, परवल के पौधों से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए पौधों की रोपाई को सही समय किया जाना बहुत जरूरी होता है. इसके पौधों को लगाने के लिए जून और अगस्त के महीने को उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा, अक्टूबर और नवंबर के माह में भी इसकी फसल को उगाया जा सकता है.
परवल की खेती के लिए जलवायु
हमारे देश में परवल की खेती (Parwal Ki Kheti) में बीजों को अंकुरित होने के लिए 30 से 35 डिग्री सामान्य तापमान की जरुरत होती है. वहीं, इसके फलों के ठीक तरह से अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में अधिकतम व न्यूनतम तापमान पैदावार को प्रभावित करता है.
परवल की खेती करने वाले राज्य
भारत की लोकप्रिय सब्जियों में से परवल एक है, जिसकी सर्वाधिक खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, मद्रास, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और तमिलनाडु राज्य में की जाती है.
परवल की उन्नत किस्में
जानकारी के लिए बता दें, परवल की अधिक पैदावार को प्राप्त करने के लिए समय और जगह के हिसाब से उन्नत किस्मों को तैयार किया जाता है. यहां नीचे आपको परवल की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है जोकि इस प्रकार है:
- स्वर्ण अलौकिक
- स्वर्ण रेखा
- राजेन्द्र परमल 1
- राजेन्द्र परमल 2
- एफ.पी 1
- एफ.पी 3
- बिहार शरीफ हल्ली
- डंडाली
- नरेंद्र परवल 260
- नरेंद्र परवल 307
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परवल की खेती कैसे करें?
यदि आप परवल की खेती सही विधि से करते है तो फिर आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है तथा आपको अच्छा मुनाफा भी होगा. सरल तथा सही विधि से Parwal Ki Kheti करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
- परवल की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर लेनी है.
- फिर खेत मे लगभग 5 से 7 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल देना है.
- इसके बाद, पुनः खेत की अच्छी से जुताई करे.
- खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत में पानी देकर पलेव करे.
- पलेव के बाद मिट्टी सूखने तक खेत को ऐसे ही छोड़ दे.
- इसके बाद, खेत को पाटा की मदद से समतल करे ताकि जलभराव की समस्या पैदा न हो.
- परवल के बीजों की रोपाई को पौधों के रूप में किया जाता है, इसलिए इसके पौधों की रोपाई को समतल और मेड दोनो ही प्रकार की जगहों में किया जा सकता है.
- समतल भूमि में इसके पौधों को तैयार की गई धोरेनुमा क्यारियों में लगाया जाता है. ध्यान रहे कि इन क्यारियों के मध्य में 4 से 5 मीटर की दूरी होना जरूरी है.
- इसके अलावा, मेड पर रोपाई के लिए पौधों को एक मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए तथा प्रत्येक मेड के बीच में 1.5 से 2 मीटर की दूरी का होना आवश्यक है.
- मेड पर लगाए गए पौधों को सहारा देने के लिए लकड़ियों के माध्यम से मचान को तैयार कर लेना चाहिए, जिससे पौधा अच्छे से विकास कर अधिक पैदावार दे सके.
- जब आप पौधे की रोपाई कर देते है तो फिर आपको सिंचाई तथा खरपतवार का विशेष ध्यान रखना है.
देसी परवल की खेती
अगर आप देसी परवल की खेती करना चाहते है तो फिर आपको बुवाई के समय देसी बीजों का ही चयन कर बुवाई करनी होगी. इसकी खेती में उपयुक्त खाद, सिंचाई, खरपतवार, रोग प्रबंधन और खेती में नई तकनीकी की जानकारी आवश्यक होती है, तभी आप देसी परवल की खेती आसानी से कर सकते है. बता दें, भारतीय बाजारों में हाइब्रिड और देसी परमल आसानी से मिल जाएगी परंतु देसी परमल की मांग बाजार में बहुत ज्यादा है जिसके कारण आपको देसी परमल की खेती में अच्छा भाव भी मिल जाएगा.
परवल की जैविक खेती
बता दें, परवल की जैविक खेती एक प्राकृतिक खेती प्रणाली है जो उच्च पोषण स्तर को बनाए रखता है. इसकी जैविक खेती में प्राकृतिक उर्वरकों का ही उपयोग किया जाता है जैसे कि कंपोस्ट खाद, गोबर खाद और जैविक कीटनाशक आदि. परवल की जैविक खेती उत्पादकता को बढ़ाती है और खेतीकार की आर्थिक स्थिति को सुधारती है. साथ ही, पर्यावरण को भी संतुलित रखती है.
परवल की खेती में सिंचाई
हमारे देश में परवल की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. इसकी प्रथम सिंचाई पौध रोपण के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए. इसके बाद, 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना जरूरी होता है तथा मेड पर लगे पौधों की सिंचाई ड्रिप सिंचाई विधि से ही करना चाहिए. वहीं, बारिश के मौसम में इसके पौधों की जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करे.
परवल की खेती में खाद
इसकी खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित उर्वरक की आवश्यकता होती है. इसके लिए खेत को तैयार करते समय लगभग 5 से 6 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालकर अच्छे से मिट्टी में मिला देनी चाहिए. वहीं, रासायनिक खाद में 2 से 3 बोरी N.P.K की मात्रा को खेत की आखिरी जुताई के समय छिड़काव कर देना है और 20 किलोग्राम यूरिया की खाद को पौध विकास के समय छिड़काव करना जरुरी है.
परवल की खेती में रोग
बता दें, परवल की खेती (Parwal Ki Kheti) के दौरान फसल में कई तरह के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इसमें से कुछ प्रमुख रोग है:
- फल मक्खी रोग
- लाल भृंग कीट रोग
- चूर्णील आसिता रोग
- मोजैक
- डाउनी मिल्डयू
- फल सड़न
परवल की खेती से लाभ
भारत देश में परवल की खेती करने से कई लाभ हो सकते है, प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:
- भारतीय बाजारों में परवल की मांग बहुत ज्यादा है, जिससे किसान भाईयों को उनकी परवल फसल पर अच्छा भाव मिल जाता है.
- परवल में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन होते है जो सेहत के लिए फायदेमंद होते है.
- परवल खेती करने से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार भी मिलेगा.
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परवल की खेती में लागत व मुनाफा
बता दें, परवल की खेती को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 2.5 से 3 महीने का समय लगता है. इसके पौधों पर फल धीरे- धीरे पकते है इसलिए इसके फलों की तुड़ाई सप्ताह में एक बार ही करनी चाहिए. परवल के पूर्ण रूप से विकसित पौधे 3 वर्ष तक पैदावार दे सकते है.
यदि परवल की पैदावार की बात करे तो, 200 से 250 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर तक इसकी पैदावार हो सकती है. वहीं, इसका बाजारी भाव लगभग 50 से 60 रुपए/ प्रति किलो के आस-पास होता है. इस हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टेयर के खेत में परमल की खेती कर 1.5 से 2 लाख रुपए की तगड़ी कमाई कर सकते है. यदि हम लागत की बात करे तो, इसकी खेती में पौधे रोपाई से लेकर कटाई तक लगभग 30 से 35 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक का खर्चा आता है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
परमल कड़वा होता है?
पके हुए परमल कड़वे नही होते है, परंतु कच्चे परमल थोड़े कड़वे होते है. वहीं, कच्चे परमल का सेवन करने से पाचनशक्ति बढ़ती है.
परवल की तासीर क्या है?
परवल की तासीर गर्म होती है और यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है. इसकी सब्जी को लोग ज्यादा खाना पसंद करते है क्योंकि यह हमारी सेहत के लिए अच्छे होते है.
परवल में कौनसा विटामिन पाया जाता है?
परवल में Vitamin A, Vitamin C, Vitamin B1, Vitamin B2 पाया जाता है.
परवल कैसा दिखता है?
परवल आकार में छोटे से मध्यम, लंबाई में औसत 10 से 12 सेंटीमीटर और नुकीले सिरे के साथ गोलाकार से आयताकार आकार का होता है.