Papita Ki Kheti | फलों में पपीता का अपना एक अलग ही स्थान होता है. यह उष्ण एव शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का प्रमुख फल है. पपीता का पौधा लगभग 6 महीने में ही फलना शुरू कर देता है जो 2 साल तक उत्पादन देता है. खेती के लिए पपीता एक ऐसा विकल्प है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है क्योकि इसकी फसल किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है. जानकारी के लिए बता दे भारत में पपीता की खेती लगभग 80.8 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है जिससे करीबन 37. 67 लाख टन उत्पादन प्राप्त होता है.
अगर आप पपीता की खेती करने का मन बना रहे है तो फिर यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि आज के इस लेख हम आपको पपीता की खेती से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी देंगे. जैसे कि पपीता की जैविक खेती कैसे करे? पपीता की वैज्ञानिक खेती? पपीता की खेती का समय? पपीता की खेती के लिए जलवायु? पपीता की खेती वाले राज्य? पपीता की खेती में खाद? पपीता की खेती में रोग? पपीता की खेती में सिंचाई? पपीता की खेती में लागत व कमाई? Papita Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
पपीता की खेती की जानकारी
बता दे पपीता का वैज्ञानिक नाम “केरिका पपाया” है. पपीता कैरीकेसी परिवार का एक बहुलिडीस पौधा है. पपीता की खेती उचित जल निकास युक्त किसी भी भूमि में की जा सकती है जिसका पी.एच. मान 6 से 7 के बीच हो. वैसे, दोमट मिट्टी पपीते की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. जल भराव वाली मिट्टी में तना गलन रोग लगने की अधिक संभावना रहती है इसलिए उचित निकास वाली मृदाओ का चयन इसकी खेती के लिए जरुर करे.
इसका कच्चा फल हरा और पकने पर पीले रंग का हो जाता है. पपीता बहुत ही पौष्टिक और गुणकारी फल है जिसमे Vitamin A और Vitamin C की मात्रा अधिक पाई जाती है. इसके अलावा, इसमें पपेन नाम का एंजाइम पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होता है.
पपीता की खेती के लिए जलवायु
भारत में पपीता की खेती गर्म नमी युक्त जलवायु में की जा सकती है. इसे अधिकतम 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, ध्यान रहे न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम भी नही होना चाहिए. लू तथा पाले से पपीता के पौधे को बहुत नुकसान होता है.
पपीता की खेती का समय
भारत में पपीता की खेती (Papita Ki Kheti) किसी भी मौसम में की जा सकती है. वैसे फरवरी- मार्च व अक्टूबर के मध्य का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. इन महीनों में उगाए गए पपीते की पैदावार काफी अच्छी होती है.
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पपीता की खेती वाले राज्य
भारत में पहले पपीते की खेती बिहार, महाराष्ट्र, असम, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब और मिजोरम जैसे राज्यों में की जाती थी, परंतु अब इसे पूरे भारत में ही उगाया जाने लगा है. बिहार में पपीता की खेती का क्षेत्रफल लगभग 2000 हेक्टेयर तथा उत्पादन 64 हजार टन है. वैसे, भारत का विश्व में पपीता उत्पादन देशों में ब्राजील, मैक्सिको एंव नाइजीरिया के बाद चौथा स्थान है.
पपीता की खेती की उन्नत किस्म
बता दे पपीता की खेती करने से पहले आपको पपीते की सभी किस्मों के बारे में जानकारी लेना बहुत आवश्यक है. आपको अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही किस्मो का चयन करना चाहिए, जो आपके क्षेत्र की जलवायु के लिए उपयुक्त है. कुछ पोपुलर किस्म की सूची नीचे दी गई है:
- पूसा नन्हा
- पूसा डिलिसियस
- पूसा स्वार्फ
- पूसा जाइंट
- कुर्ग हनिड्यू
- रेड लेडी 786
हाइब्रिड पपीता की खेती
आधुनिक तरीके से होने वाली हाइब्रिड पपीता की खेती (Hybrid Papita Ki Kheti) वर्तमान कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकल्प बन गया है. यह उच्च गुणवत्ता वाले पपीता की उत्पत्ति करने में मदद करता है. हाइब्रिड पपीता प्रतिरोधक क्षमता, गुणवत्ता और उत्पादकता में बढ़ोतरी करने की क्षमता रखता है. यदि आप हाइब्रिड पपीता की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती जैविक तरीके से करनी चाहिए.
पपीता की वैज्ञानिक खेती
यदि आप पपीता की खेती से अच्छी पैदावार चाहते है, तो आपको इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए. पपीता की वैज्ञानिक खेती के लिए इन बातों को जरूर ध्यान में रखे:
- पपीता की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना महत्पूर्ण है.
- इसकी खेती के लिए उचित गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करे.
- इसकी बुवाई उपयुक्त समय पर करना अत्यंत जरूरी है.
- खेत तैयार करते समय आपको खेत में कंपोस्ट का उपयोग करना है.
- इसके पौधों को रोगों और कीटो से बचाने के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करे.
- इसकी खेती के लिए सही मात्रा में खाद का उपयोग करना चाहिए.
ताइवान 786 पपीता की खेती
बता दे ताइवान 786 एक ऐसी किस्म है, जिसमें नर और मादा दोनों फल देते है. वैसे, पपीता के पौधों में छटाई की आवश्यकता नही होती, लेकिन पपीते के पौधों से सड़े- गले पत्ते को आवश्यकतानुसार हटाते रहना चाहिए. ताइवान पपीता लगभग 8 महीने के बाद ही फल देने लगता है. इस प्रजाति के पपीता का पेड़ लगभग 1.5 से 2 वर्ष तक फल देता है.
पपीता की खेती कैसे करें?
अगर आप पपीता की खेती (Papita Ki Kheti) से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. यदि आप सही विधि से खेती नही करते है तो इसका प्रभाव पैदावार में दिखाई देगा. सही विधि से खेती करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:
- पपीता की अच्छी पैदावार के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना है.
- इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर ले. इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे.
- जुताई के बाद आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में सडी- गली गोबर की खाद डाल देनी है.
- इसके बाद, रोटावेटर लगाकर 2 से 3 गहरी जुताई कर ले. इससे खेत की मिट्टी तथा गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है.
- फिर आपको खेत में एक बार सिंचाई कर देनी है.
- जब मिट्टी में नमी आ जाए तथा मिट्टी सुख जाए तब आपको उस समय खेत की अच्छे से पुनः जुताई कर लेनी है. इससे खेत की मिट्टी भुर-भुरी हो जाती है.
- इसके बाद, खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर देना है. इससे खेत में जलभराव की समस्या नही होगी.
- फिर आपको उचित समय पर इसकी बुवाई कर देनी है या फिर आप सीधे पौधे नर्सरी से खरीदकर भी लगा सकते है.
- इसके बाद, बुवाई या रोपण के तुरंत बाद आपको हल्की सिंचाई कर देनी है.
देसी पपीता की खेती
भारत में देसी पपीता की खेती करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखनी चाहिए. पपीता के पौधों को उचित मिट्टी, पानी और उपयुक्त खाद देना महत्पूर्ण होता है. समय- समय पर पेस्टिसाइड का उपयोग करना भी पौधे की सुरक्षा में मदद करता है. देसी पपीता की खेती में स्थानीय मौसम और मिट्टी को समझकर आपको उचित देखभाल करनी चाहिए.
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पपीता की जैविक खेती कैसे करें?
आपको बता दे पपीता की जैविक खेती (Papita Ki Kheti) एक प्राकृतिक तथा पर्यावरण संबंधी तरीका है. इसमे कीटनाशकों तथा केमिकल खादों का उपयोग नही किया जाता है. इस विधि से खेती करने के लिए आपको जैविक पपीता बीजों का ही चयन करना चाहिए तथा उचित जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग करना चाहिए.
पपीता की खेती में खाद
भारत में पपीते की अच्छी फसल लेने के लिए 200 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस एंव 500 ग्राम पोटाश प्रति पौधे की आवश्यकता होती है. इसके खेत को निंदाई- गुड़ाई कर खरपतवारों से मुक्त रखना जरूरी है अन्यथा यह खरपतवार पौधे का विकास रोक देगा.
पपीता की खेती में रोग
बता दे पपीता की खेती में कई प्रकार के रोग लगते है जो पौधे तथा फलों को प्रभावित करते है. यहां कुछ मुख्य रोगों की जानकारी दी गई है:
- आर्दगलन रोग
- फलों का सड़ना
- चूर्णी फफूंद
- पर्ण कुंचन रोग
- एफिड
- लाल मकड़ी
पपीता की खेती से लाभ
भारत में पपीता की खेती से आपको कई तरह के लाभ हो सकते है जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- पपीता एक लाभकारी फल है जिसका व्यापार करके आप आर्थिक रूप से मुनाफा कमा सकते है.
- पपीता में विटामिन सी, फाइबर और अन्य पोषक तत्व पाए जाते है, जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते है.
- यदि हम पपीता को नियमित सेवन करते है तो हमे किसी भी प्रकार की बीमारी नही होती.
पपीता की खेती में सिंचाई
बता दे पपीता के अच्छे उत्पादन के लिए मिट्टी में नमी स्तर बनाए रखना जरूरी होता है, इसलिए ठंड के मौसम में हमे नियमित 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए. वैसे, गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए क्योंकि इस मौसम में पपीता की फसल को अधिक मात्रा में पानी की जरुरत होती है. आप सिंचाई के लिए आधुनिक विधि ड्रिप तकनीक को भी अपना सकते है.
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पपीता की खेती में लागत व कमाई
यदि आप एक हेक्टेयर के खेत में इसकी खेती (Papita Ki Kheti) करते है तो आप लगभग 2 हजार पेड़ तैयार कर सकते है. इसकी खेती में आपको लगभग 1 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर खर्च करना होगा. अगर आप बड़े लेवल पर इसकी खेती करते है तो खर्चा बढ़ता चला जायेगा.
मुनाफे की बात करे तो एक स्वस्थ पपीता का पेड़ एक सीजन में लगभग 40 से 50 किलोग्राम फल देता है. इस हिसाब से आप एक सीजन में फसल से 400 क्विंटल/ एक हेक्टेयर पपीता पैदा कर सकते है. बाजार में इसकी कीमत 20 से 30 रुपए प्रति किलो के बीच होती है. इस हिसाब से किसान 8 से 10 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर कमा सकते है. यदि हम खर्च हटा भी दे तो, इस खेती से किसान का शुद्ध लाभ लगभग 7 से 8 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर होगा.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
पपीते के पेड़ में कौन सी खाद डाले?
पपीते के पेड़ में 10 से 15 किलो गोबर की खाद, 100 ग्राम यूरिया, 400 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 150 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति के हिसाब से डाले.
पपीता के पौधे कितनी दूरी पर लगाना चाहिए?
यदि आप उचित दूरी पर पौधा लगाते है, तो ही पौधे का विकास सही हो पाएगा. इसके लिए आपको प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए पपीता को 1.8*1.8 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए.
1 एकड़ में कितने पपीता के पौधे लगते है?
एक एकड़ के खेत में यदि आप इसकी खेती करते है, तो आप इसमें लगभग 1000 से 1100 पौधे लगा सकते है. इसके अलावा, पौधे की संख्या पौधे से पौधे की दूरी पर भी निर्भर करती है.
पपीता के पेड़ की पत्तियां पीली क्यों हो जाती है?
कई बार पपीता के पेड़ की पत्तियां पीली पड जाती है क्योंकि उस पौधे में पर्ण कुंचन रोग लग जाता है जिसकी वजह से पौधे के पत्ते पीले पड़ जाते है.
पपीता फल क्यों नही लग रहा है?
यदि पपीता के पौधे में कीट या फिर कोई रोग लग जाता है तो फिर पौधे का विकास रुक जाता है और इसमें फल भी नही लग पाते है.