Nimbu Ki Kheti | भारतवर्ष में नींबू की खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में की जाती है क्योकि यह कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. विश्वभर में नींबू का सबसे अधिक उत्पादन भारत देश में ही होता है. हमारे यहां विश्व के कुल नींबू उत्पादन का 16 फीसदी उत्पादन होता है. बता दे भारत में प्रति वर्ष 3.17 लाख हेक्टेयर में नींबू की खेती की जाती है. वैसा देखा जाए तो नींबू की बाजार मांग हमेशा बनी रहती है. नींबू स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है.
अगर आप भी नींबू की खेती करना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी पूरी जानकारी देने वाले है. इस लेख में हम नींबू की खेती? नींबू की खेती वाले राज्य? नींबू की खेती के लिए जलवायु? नींबू की उन्नत किस्में? नींबू की ऑर्गेनिक खेती? बारहमासी नींबू की खेती? नींबू की खेती कैसे करे? नींबू की खेती में लागत और मुनाफा? Nimbu Ki Kheti आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे.
नींबू की खेती की जानकारी
बता दे नींबू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरुरत होती है. इसके अतिरिक्त, लेटराइट तथा अम्लीय मिट्टी में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. इसकी खेती पूरे भारत में किसी भी जलवायु में की जा सकती है. वैसे, उपोष्ण कटिबंधीय और अर्धशुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में नींबू का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है.
नींबू के पौधों को एक बार लगाने के बाद 10 वर्षो तक पैदावार प्राप्त कर सकते है. पौधे लगाने के बाद इन्हे देखरेख की आवश्यकता अधिक होती है क्योकि शुरुआत में कीट लगने का डर रहता है. वैसे, इसके पौधे की टहनियों में छोटे- छोटे काटे भी होते है.
नींबू की खेती का समय
भारत में नींबू के पौधों की रोपाई के लिए जून और अगस्त का महिना उचित माना जाता है क्योंकि यह मानसून का समय होता है. इसी कारण, बारिश/ मानसून के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है. पौधे रोपाई के 3 से 4 साल बाद, नींबू का पौधा उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है.
नींबू की खेती वाले राज्य
बता दे नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) भारत में सर्वाधिक हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में की जाती है. किसान भाईयों जानकारी के लिए बता दे, ऐसे क्षेत्र जहा पर अधिक समय तक ठंड रहती है वहां, नींबू की खेती नही करनी चाहिए क्योंकि सर्दियों में पाला गिरने पर पौधे नष्ट हो सकते है.
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नींबू की खेती के लिए जलवायु
भारत में नींबू की खेती के लिए गर्म, पाला रहित तथा नम जलवायु की आवश्यकता होती है. वातावरण की अधिक आर्द्रता से इसके फलों में चमक और रस की मात्रा अधिक होती है. आमतौर पर जलवायु की दृष्टि से राजस्थान के किसी भी क्षेत्र में इसे आसानी से लगाया जा सकता है क्योंकि राजस्थान में गर्म जलवायु होती है.
नींबू की उन्नत किस्में
भारत में नींबू की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्में निम्लिखित है:
- कागजी नींबू
- विक्रम या पंजाबी बारहमासी
- साई सरबती
- पी.के.एम-1
- चक्रधर
- प्रमालिनी
नींबू की ऑर्गेनिक खेती
भारत में नींबू की ऑर्गेनिक खेती (Nimbu Ki Kheti) उन्नत जैविक तत्वों का प्रयोग करके की जाती है, जो केमिकल उपयोग से बचाव करते है. इसमें कीटाणुनाशको, उर्वरकों और संक्रियाकरण के रूप में केवल प्राकृतिक चीजों का उपयोग होता है. आर्गेनिक खेती से भूमि का पोषण बढ़ता है और पैदावार में भी उन्नति होती है.
बारहमासी नींबू की खेती
बता दे बारहमासी नींबू की खेती में समय- समय पर नींबू के पौधे की देखभाल करने की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में नियमित तथा पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है. बारहमासी नींबू की खेती की खास बात यह है कि इसके फल गुच्छे के रूप में आते है और प्रत्येक गुच्छे में लगभग 10-10 नींबू लगते है.
देसी नींबू की खेती
नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) एक लाभकारी कृषि व्यवसाय हो सकती है. इसकी खेती विशेष रूप से अधिक गर्मी और सूखे क्षेत्रों में उपयुक्त होती है क्योंकि यह ज्यादातर मिट्टियों में अच्छे से उग सकती है और कम पानी की भी आवश्कता होती है.
कागजी नींबू की खेती
भारत में कागजी नींबू का पौधा रोपाई से लगभग 4 से 5 वर्ष के बाद फल देना शुरू कर देता है. यह साल में 2 बार फल देता है. कागजी नींबू से लगभग 52 फीसदी रस की मात्रा प्राप्त होती है. बता दे इस नींबू को भारत में सबसे अधिक मात्रा में उगाया जाता है.
नींबू की खेती कैसे करें?
यदि आप नींबू की खेती से अच्छी कमाई और उत्पादन प्राप्त करना चाहते है तो, आपको इसकी खेती सही विधि से करनी होगा. निचे दिए गए स्टेप से आप नींबू की खेती आसानी से कर सकते हो:
- नींबू की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले इसके पौधे तैयार कर लेने है.
- आप चाहे तो नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर सकते है या फिर पौधे खरीद कर भी लगा सकते है.
- इसके बाद, आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है. इसके लिए आप सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर ले.
- खेत की अच्छी तरह से जुताई करने पर मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है.
- गहरी जुताई के बाद, खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर, रोटावेटर से एक बार पुनः जुताई कर ले. फिर, मिट्टी को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या न हो.
- इसके बाद, पौधों की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर ले.
- खेत में तैयार किए गए गड्डे के बीच कम से 10 फिट की दूरी अवश्य रखे.
- गड्डे का आकार 70 से 80 सेंटीमीटर चौड़ा और 60 से 70 सेंटीमीटर गहरा होना चाहिए.
- पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है.
इस तरीके से आप बड़ी आसानी से नींबू की खेती कर सकते हो. यह करने के बाद, आपको इसे समय- समय पर पानी देना है. लगभग 2 वर्ष बाद आपको फल दिखने शुरू हो जायेंगे.
गमले में नींबू की खेती
नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) आप अपने छत पर या गमले में कर सकते है. इसके लिए आपको निम्नलिखित पॉइंट्स को फॉलो करना होगा:
- यदि आप गमले में नींबू की खेती करना चाहते है तो इसके लिए आपको सबसे पहले अपने अनुसार गमला और नींबू का पौधा खरीद लाना है. यह आपको नजदीकी नर्सरी में मिल जाएगा.
- इसके बाद, गमले के नीचे आपको एक छोटा सा छेद कर लेना है. इससे गमले में अतिरिक्त पानी भरा नही रहेगा.
- फिर आपको गमले में बलुई दोमट मिट्टी डाल देनी है.
- अब आपको ऑर्गेनिक खाद मिलाकर पौधे की रोपाई कर देनी है.
नींबू की खेती में सिंचाई
भारत में नींबू के पौधे को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है क्योंकि इसके पौधे की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है. सर्दियों के मौसम में इसके पौधे को 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी है और गर्मी के मौसम में 6 से 7 दिनों के अंदर सिंचाई कर देनी है.
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नींबू में लगने वाले रोग और बचाव
- नींबू का सिल्ला: यह कीट ग्रीष्म ऋतु के आने से पहले ही सक्रिय होता है. इस कीट से जनवरी और फरवरी माह में अधिक नुकसान होता है. इस रोग से बचने के लिए रोग ग्रस्त तथा संक्रमित शाखाओं की छटाई करे. फरवरी माह में ही, डाइमेथोएट 30EC2-3ML प्रति लीटर में घोलकर नींबू के पेड़ पर छिड़काव करे.
- सफेद मक्खी: इस कीट को नियंत्रित करने के लिए ट्राइजोफोर्स 40EC 2-3 ML प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे.
नींबू की खेती में खाद
बता दे नींबू की खेती में आप गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग कर सकते है. 3 साल के पौधे में साल में 2 बार फूल आने से पूर्व 5 किलोग्राम/ प्रति पौधे के हिसाब से कंपोस्ट, गोबर खाद देना चाहिए. जब नींबू का पौधा 10 साल से अधिक का हो जाए तब साल में एक बार 250 ग्राम डीएपी, 150 ग्राम NPK जरूर दे.
नींबू खाने के लाभ
जानकारी के लिए बता दे नींबू खाने के कई लाभ होते है. जैसे कि नींबू में Vitamin C की अच्छी मात्रा मिलती है जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूती देती है. इसके अलावा नींबू में एंटीऑक्सीडेंट्स, वजन घटाने में मदद, पाचन को सुधारने और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए भी खाया जाता है.
नींबू की खेती में लागत व मुनाफा
भारत में नींबू की कीमत मंडी में लगभग 20 से 50 रुपए/ प्रति किलोग्राम है. 1 एकड़ में करीबन 100 क्विंटल नींबू की पैदावार होती है. तो इसके हिसाब से यदि किसान 1 एकड़ में नींबू की खेती करे तो करीबन 2 से 3 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते है. यही नही, जब तक नींबू के पौधे से फल प्राप्त नही होता है, तब उनके पौधों के बीच आप सब्जियां भी लगा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
1 एकड़ में नींबू के कितने पौधे लगते है?
एक एकड़ के खेत में नींबू के लगभग 500 से 600 पौधे लगते है. नींबू के पौधे आमतौर पर बरसात के मौसम में लगाए जाते है.
नींबू के पेड़ की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
नींबू की सबसे अच्छी किस्म कागजी बारहमासी है. कागजी नींबू की खेती भी एक लाभकारी कृषि व्यवसाय हो सकती है. इसकी खेती विशेष रूप से अधिक गर्मी और सूखे क्षेत्रों में उपयुक्त होती है.
नींबू का साइड इफेक्ट क्या है?
रोजाना अधिक मात्रा में नींबू खाने से पेट को नुकसान पहुंचता है. इसकी अम्लता के कारण यह सीने में जलन, मतली और उल्टी का कारण बन सकता है.
क्या यूरिया नींबू के पेड़ो के लिए अच्छा है?
पौधे के बेहतर विकास और अधिकतम उत्पादन के लिए यूरिया आवश्यक है. यूरिया 100 से 300 ग्राम/ प्रति पौधे की दर से ही डालना चाहिए.
क्या नींबू के बीज बोने से पहले भिगोने की जरूरत है?
बीज के आवरण को नरम करने के लिए बीजों को एक कटोरी पानी में कम से कम 24 घंटे के लिए भिगो दे और तैरने वाले बीजों को हटा देवे क्योंकि वो बीज खराब है.