Matar Ki Kheti | रबी की दलहन फसलों में मटर की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि मटर की खेती कम समय में ही तैयार हो जाती है. साथ ही, इसकी खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है. मटर एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग भारतीय बाजारों और मंडियों में सालभर बनी रहती है. मटर की खेती भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए भी की जाती है क्योकि मटर में राइजोबियम जीवाणु मौजूद होता है जो भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक होता है. हमारे भारत देश में मटर की खेती करीबन 7.9 लाख हेक्टेयर भूमि में की जाती है तथा इसका सालाना उत्पादन लगभग 8.4 लाख टन है यानी 1030 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है.
प्रिय किसान भाईयों, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि मटर की खेती कैसे करे? मटर की खेती के लिए उत्तम जलवायु? मटर की आर्गेनिक खेती? अगेती मटर की खेती? मटर की खेती का समय? गुलाबी मटर की खेती? मटर की खेती के लाभ? मटर की खेती में खाद? मटर की खेती में लागत व मुनाफा? Matar Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.
मटर की खेती की जानकारी
मटर एक स्वादिष्ट सब्जी है जिसकी खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है. मटर की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दी का होता है. बता दे मटर की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है परंतु गंगा के मैदानी भागों की गहरी दोमट मिट्टी को सबसे उचित माना जाता है. इसकी खेती में आपको देखरेख ज्यादा करनी होगी तथा समय- समय पर खरपतवार, सिंचाई और खाद देना होगा. भारत में मटर की खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार राज्य में की जाती है.
मटर की खेती का समय
यदि आप मटर की खेती से अच्छी पैदावार लेना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुआई समय पर करनी पड़ेगी. मटर की बुआई अक्टूबर- नवम्बर महीने तक कर लेनी चाहिए क्योकि यह सबसे उत्तम समय है. आपको बुआई से पहले बीजों का उपचार जरुर करना चाहिए तथा बुआई के समय बीज की मात्रा का विशेष ध्यान रखे. प्रति हेक्टेयर खेत की बुवाई के लिए करीबन 80 से 100 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है.
मटर की खेती के लिए जलवायु
बता दे मटर की खेती (Matar Ki Kheti) के लिए शीत तथा नम जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. वैसे, सर्दी या ठंड के मौसम में ही मटर की खेती की जाती है क्योंकि इस मौसम में तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड होता है जोकि मटर की खेती के लिए उचित तापमान माना जाता है. 10 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर मटर की फसल की पैदावार तथा बड़वार अच्छी होती है.
मटर की खेती में सिंचाई
जानकारी के अनुसार, मटर की खेती में केवल 2 सिंचाई की ही आवश्यकता पड़ती है. जो एक फूल आते समय तथा दूसरी मटर के दाने बनते समय की जाती है. मटर की खेती में हमेशा हल्की सिंचाई ही करनी चाहिए क्योकि एकदम से ज्यादा पानी देने पर पेड़ का उचित विकास नही हो पाता.
मटर की खेती में खाद
मटर की बुआई से पहले आपको नाइट्रोजन व फास्फोरस का छिड़काव करना चाहिए. पोटेशियम की कमी वाले क्षेत्रों में पोटाश का इस्तेमाल करे. यदि आप अच्छी उपज प्राप्त करना चाहते है तो आपको पहले मिट्टी की जांच करवा लेनी है. इसके बाद, मिट्टी में जिस तत्व की कमी आती है उस पोषण तत्वों को खेत में डाले.
मटर की वैज्ञानिक खेती
बता दे मटर की वैज्ञानिक खेती एक लाभदायक कृषि प्रथा है जो अधिक मात्रा में उत्पादन तथा अच्छी गुणवक्ता वाले मटर की उत्पत्ति को सुनिश्चित करती है. यह विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और शुष्मजलीय क्षेत्रों में उगाई जाती है. मटर की वैज्ञानिक खेती के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करे:
- मटर की खेती के लिए उचित जमीन का चयन करे.
- मिट्टी की जांच करवाए. ध्यान रखे मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए.
- खेत में जलनिकास तथा जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए खेत को समतल कर ले, इससे खेत में पानी जमा नही होगा.
- प्रमाणित बीजों का ही चयन करे. यह ध्यान रखे कि जो किस्म आपके क्षेत्र की जलवायु के लिए उचित हो उसी का चयन करे.
- समय पर तथा उचित मात्रा में सिंचाई करे.
- मटर के विकास के लिए सही मात्रा में खाद का उपयोग करना चाहिए.
नोट : मटर की वैज्ञानिक खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या कृषि विभाग के विशेषज्ञों से प्रमर्श लेना उचित होगा.
अगेती मटर की खेती
बता दे अगेती मटर की खेती (Matar Ki Kheti) करके किसान अच्छी- खासी कमाई कर सकते है परंतु, इसके लिए आपको बुआई 20 सितंबर से 27 सितंबर तक कर देनी चाहिए. मटर की अगेती फसल महज 50 दिनों में ही तैयार हो जाती है. इसके चलते मटर की खेती के बाद अन्य फसल भी समय रहते की जा सकती है. अगेती मटर की कई प्रजातियां है उनमें से काशी नंदिनी, काशी उदय, काशी अगेती, काशी मुक्ति आदि प्रजाति उत्तम है.
मटर की जैविक खेती
जानकारी के लिए बता दे मटर की जैविक खेती एक सुरक्षित तरीका है जिसमे केवल प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है. इसमें केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता. यह विकासशील कृषि पद्धति है. इसमें मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक कंपोस्ट, बायोफेर्टीलाइजर और प्राकृतिक जीवामृत का उपयोग किया जाता है.
मटर की खेती कैसे करे?
यदि आप मटर की खेती सही तरीके से करते है तो आपको अच्छा उत्पादन मिल जायेगा. अगर आप इसकी खेती करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:
- खरीफ फसल की कटाई के बाद खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर ले. जुताई से मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा.
- इसके बाद, पाटा की मदद से खेत को समतल कर लेवे ताकि जलभराव की समस्या ना हो.
- फिर उचित मात्रा में गोबर या कंपोस्ट खाद डाले.
- एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद व मिट्टी अच्छे से मिल जाएंगे और भूमि को पोषण मिलेगा.
- इसके बाद, आप प्रमाणित बीजों का चुनाव करे और बीजों का उपचार करके बुवाई करे.
- बुआई के समय यदि खेत में नमी न हो तो पहले हलकी सिंचाई करे और 4 से 5 दिनों के बाद बीजो की बुवाई करे. अगर हलकी नमी है तो सीधे बीजो की बुवाई करे.
- एक सप्ताह के अंदर ही बीज अंकुरित होकर बाहर निकल आएगा.
- इसके बाद, समय- समय पर सिचाई करे और खरपतवार हटा दे.
गुलाबी मटर की खेती
बता दे गुलाबी मटर (Pink Peas) की खेती एक मुनाफेदायक कृषि व्यवसाय हो सकती है. गुलाबी मटर एक उष्णकटिबंधीय फसल है जो सब्जियों के रूप में उपयोग होती है. इसकी खेती भारत तथा अन्य कई देशों में की जाती है. गुलाबी मटर की खेती के दौरान उचित सिंचाई करना महत्वपूर्ण है. इसके लिए निर्धारित सिंचाई अवधि और अंतराल पर ध्यान दे. इसकी खेती के दौरान रोग तथा कीटो का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण है. ध्यान रखे पेस्टिसाइड तथा कीटनाशकों का उपयोग करने से पहले स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विशेषज्ञ से सलाह आवश्य ले.
सफेद मटर की खेती
ध्यान दे सफेद मटर (White Peas) की खेती भारत में एक प्रमुख फसल है और यह वाणिज्यिक रूप से उगाई बाती है. सफेद मटर में ऊर्जा, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन ए होता है जो आहारिक महत्वपूर्ण होते है. सफेद मटर की बुआई ठंडी या शुष्क मौसम में की जाती है. सफेद मटर को उर्वरक, कीटनाशक की आवश्यकता हो सकती है. सफेद मटर की फसल की देखभाल में उचित खाद, खरपतवार का नियंत्रण, बिजाई और फसल की खाघ सामग्री की प्रबंधन की आवश्यकता होती है.
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काली मटर की खेती
जानकारी के लिए बता दे काली मटर एक प्रमुख दलहनी फसल है जिसे भारत में व्यापक रूप से उगाया जाता है. इसकी खेती गर्म क्षेत्रों में अच्छी तरह से होती है और इसे पश्चिम तथा दक्षिण भारत की ज्यादातर जगह उगाया जाता है. इसकी बुवाई फरवरी से मार्च महीने तक की जाती है. इसकी खेती में आपको सिंचाई, खरपतवार, खाद का विशेष ध्यान देना होगा.
मटर की खेती के लाभ
- मटर एक लाभदायक फसल है जिससे आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
- मटर की खेती करने से खेत की मिट्टी उपजाऊ होती है.
- मटर की फसल को किट तथा रोग कम लगते है.
- इस खेती में लगात भी कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.
मटर की खेती में लागत व मुनाफा
मटर की खेती (Matar Ki Kheti) में प्रति हेक्टेयर बुआई से लेकर कटाई तक कुल लागत लगभग 20 हजार रुपए की आती है. यदि हम इसकी पैदावार की बात करे तो 50 से 70 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. वही, बाजार में मटर के दाम 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहते है. यदि किसान से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मटर को लिया जाए तो इस हिसाब से भी किसान को लगभग 2 से 2.5 लाख रुपए तक प्रति हेक्टेयर का मुनाफा होगा.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
मटर उगने में कितना समय लगता है?
मटर कितने दिन में लगेगा यह किस्म पर भी निर्भर होता है. वैसे, मटर की बुआई के बाद लगभग 70 से 80 दिनों में मटर लग जाते है.
मटर में सबसे ज्यादा क्या होता है?
मटर में सबसे ज्यादा विटामिन A, विटामिन E, विटामिन D, विटामिन K से भरपूर होती है.
एक फली में कितने मटर मिलते है?
मटर का एक पौधा लगभग 1 मीटर का होता है. एक पौधे लगभग 6 से 8 फलियां आती है तथा प्रति फली में लगभग 7 से 8 मटर होते है.
मटर को फ्रोजन कैसे करे?
सबसे पहले आपको मटर के दाने निकाल लेने है. इसके बाद, आपको मटर के दानों को 2 से 4 दिन अच्छे से धूप में सुखा लेना है. फिर आपको एक पैकेट में पैक करके फ्रीजर में रख देना है.
मटर को कितनी गहराई चाहिए?
जब हम मटर की बुआई करे तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मटर 1 से 3 इंच गहराई में ही रखे. ज्यादा अंदर रखने से बीज अच्छे से अंकुरित नही हो पाते है तथा पौधे को बाहर आने में भी ज्यादा समय लगता है.