Litchi Ki Kheti | लीची एक सदाबहार उपोष्ण फल है जो अपने आकर्षक रंग और स्वाद के कारण भारत में ही नही अपितु विश्वभर में अपना विशिष्ट स्थान बनाए हुए है. लीची (Lychee) उत्पादन में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है. बता दे भारत देश में लगभग 92 हजार हेक्टेयर से भी अधिक भूमि पर लीची की खेती की जाती है. लीची चिनेसिस, सोपबेरी परिवार, सैपिंडेसी में जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है. इसकी उत्पत्ति चीन में हुई थी जहां इसे हजारों वर्षो से दक्षिणी गुआंगदोंग प्रांत में उगाया जाता रहा है.
यदि आप भी बागवानी करने के शौकीन है तो आपको लीची की बागवानी जरूर करनी चाहिए क्योंकि लीची की मांग अंतर्राष्ट्रीय व भारतीय बाजारों में अधिक है जिसके कारण से आपको इसका अच्छा भाव मिल जाएगा. यदि आपने लीची की खेती करने का मन बना लिया है परंतु आपको लीची की खेती से जुडी ज्यादा जानकारी नही है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है. इस लेख में हम आपको लीची की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे जैसे कि जैविक लीची की खेती? हाइब्रिड लीची की खेती? लीची की खेती कैसे करें? लीची की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है? लीची खाने के फायदे? लीची की खेती में लागत व कमाई? Litchi Ki Kheti आदि विषयों की जानकारी आपको इस लेख में दी गयी है.
लीची की खेती की जानकारी
जानकारी के लिए बता दे लीची की खेती एक लाभदायक खेती है. यह अधिकतर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ही की जाती है जहा उच्च तापमान तथा उच्च आर्द्रता होती है. लीची का वृक्ष अपने छायादार, सुंदर और सुगंधित फलों के लिए प्रसिद्ध है. यह फल स्वादिष्ट होता है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है.
लीची का फल लाल छिलकेदार होता है जिसमे सफेद रंग का गुदा होता है. लीची के फलों का उपयोग सीधे तौर पर खाने के अलावा अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके फलों से जैम, नेक्टर, कार्बोनेटेड, शरबत आदि पेय पदार्थो को भी बनाया जाता है. लीची में Vitamin B और C, कैल्सियम, कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा पाई जाती है.
जैविक लीची की खेती
बता दे जैविक लीची की खेती (Litchi Ki Kheti) एक प्राकृतिक तथा स्वास्थयप्रद खेती प्रथा है जिसमे लीची के विकास के लिए केमिकल कीटनाशकों के उपयोग की जगह पर्यावरण संरक्षण और सामरिक संसाधनों के साथ संगठित प्रणाली का उपयोग किया जाता है. यहां कुछ जैविक लीची की खेती के महत्वपूर्ण चरणों के बारे में बताया गया है. यदि आप लीची की जैविक खेती करते है तो फिर आपको इन चरणों का पालन आवश्यक रूप से करना चाहिए:
- जैविक लीची की खेती के लिए उचित मौसम और भूमि का चयन करना बहुत जरुरी है.
- इसके अलावा, उचित गुणवक्ता वाले लीची के बीजों का चयन करे.
- जैविक खेती में बीजारोपण का उपयोग कर सकते है जिसमे बीजों को पूर्व उपचार करना होता है.
- इसके अलावा, आपको जैविक खेती में किसी भी प्रकार का केमिकल दवाई का उपयोग नही करना है.
हाइब्रिड लीची की खेती
लीची की खेती में अधिक उत्पादन के उद्देश्य से कई हाइब्रिड लीची की किस्मो को लाया गया है. यदि हम लीची की उन्नत किस्म की बात करे तो लीची की कई किस्में उपलब्ध है जिनमे से कुछ प्रमुख किस्मो की जानकारी निचे दी गयी है:
- शाही
- ग्रीन
- देसी
- रोज सेंटेड
- डी रोज
- अर्ली बेदान
- चाइना
- स्वर्ण
- पूर्वी
- कसबा
- अझैली
लीची की खेती के राज्य
मुख्य रूप से चीन, भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में लीची की खेती सर्वाधिक होती है. यदि हम भारत देश की बात करे तो भारत में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड जैसे राज्यो में लीची की खेती की जाती है.
लीची की खेती के लिए उत्तम जलवायु
लीची की खेती के लिए उत्तर भारत की जलवायु उपयुक्त है. बता दे लीची की खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में की जाती है तथा इसके लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. यदि आप लीची की अच्छी पैदावार चाहते है तो आपको लीची की उन किस्म को चयन करना होगा जो आपके क्षेत्र की जलवायु के लिए उपयुक्त हो. प्रमुख लीची की किस्मो की जानकारी ऊपर दी गई है.
लीची की खेती का समय
लीची एक शारदीय फल है जो ज्यादातर गर्म तथा नम जलवायु में उगाई जाती है. लीची की खेती का समय उस क्षेत्र की जलवायु, भूमिका और स्थानीय प्रथाओं पर निर्भर करता है. बता दे लीची के बीजो को मानसून के तुरंत बाद अगस्त से सितंबर के बीच में बोया जाता है. बिजाई के दौरान किसान इस बात का ध्यान रखे कि इनके बीच बीजो का का फासला लगभग 8 से 10 मीटर होना चाहिए.
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लीची की खेती कैसे करें
अगर आपने लीची की खेती करने का मन बना लिया है तो आपको खेती के लिए निम्न चरणों का पालन करना होगा. इस विधि से आपको खेती में किसी भी प्रकार की समस्या नही आएगी और उत्तम पैदावार मिलेगी. इस विधि से करे लीची की खेती:
- लीची की खेती के लिए सबसे पहले खेती की तिरछी जुताई करके खेत से सभी खरपतवार को साफ़ कर देना है.
- इसके बाद, उपयुक्त मात्रा में सड़ी गोबर की खाद डालनी है ताकि भूमि में पोषक तत्त्व मौजूद रहे.
- अब एक बार पुनः खेत की गहरी जुताई करनी है ताकि खाद का मिट्टी में अच्छे से मिश्रण हो जाए.
- इसके बाद, पाटा की मदद से खेत को समतल करे ताकि इसमें पानी ना रुके.
- पौधे की रोपाई करने से पहले 1*1*1 वर्ग फिट का गड्ढा खोदे. अब आपको इसमें पौधे की बुवाई करनी है.
- ध्यान रखे कि बुवाई के समय भी आपको पौधे को उचित मात्रा में खाद देना होगा.
- इसकी खेती में आपको सिंचाई, खरपतवार, रोग तथा देखभाल की आवश्यकता पड़ेगी.
लीची खाने के फायदे
लीची का फल (Litchi Ki Kheti) स्वादिष्ट होता है तथा इसे खाने से कई फायदे भी मिलते है. इसका फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है. लीची खाने के कई फायदे होते है जो की निम्नलिखित है:
- यह फल Vitamin C का अच्छा स्त्रोत है जो आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है.
- लीची में Vitamin B, मैग्नेशियम तथा पोटेशियम जैसे पोषण तत्व भी पाए जाते है जो आपके तनाव को कम करने में मदद करती है.
- इसके अलावा, लीची में फाइबर की भी अधिक मात्रा पाई जाती है जो आपके पाचन सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है.
लीची की खेती में लागत व कमाई
लीची के एक पूर्ण विकसित पौधे से 80 से 90 किलोग्राम की उपज मिलती है तथा प्रति हेक्टर लगभग 10 टन तक का उत्पादन मिल जाता है. बाजार भाव की बात रहे तो मार्केट में लीची 60 से 100 रुपए प्रति किलो तक बिकती है. तो आप प्रति हेक्टर 6 से 10 लाख रूपए कमा सकते हो. लागत की बात करे तो एक हेक्टर भूमि में लीची की खेती करने में लगभग 1 से 2 लाख का खर्च आता है. वैसे, इसकी खेती में पहले व दूसरे साल ही ज्यादा लागत लगती है. कुल मिलकर देखा जाए तो आप सब लागत जोडकर आसानी से प्रति हेक्टर 5 लाख रूपए कमा सकते हो.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
भारत में सबसे ज्यादा लीची की खेती कहा होती है?
भारत देश में सर्वाधिक लीची का उत्पादन बिहार राज्य में होता है.
लीची इतनी महंगी क्यों है?
स्वाद, अनूठी, सुगंध और रसदार प्रकृति के कारण लीची का फल महंगा होता है.
लीची क्यों खानी चाहिए?
लीची खाने से हमारा शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है तथा इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है जो हमे कई रोगों से बचाने में भी मदद करता है.
लीची का दूसरा नाम क्या है?
लीची का दूसरा नाम रीठा कुल सैपिंडेसी. बता दे लीची का वनस्पति नाम लीची चैनेंसिस है.
लीची के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौनसा है?
लीची के खेती में आपको उचित मात्रा में खाद देने की आवश्यकता होती है. इसमें आपको 8% नाइट्रोजन, 4% फास्फोरस, 10% पोटाश और 4% मैग्नेशियम युक्त उर्वरक मिश्रण संतोषजनन होता है. इसके अलावा, आप डीएपी का भी उपयोग कर सकते है.