Kharbuja Ki Kheti | खरबूजा एक कद्दूवर्गीय फसल है, जिसे नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है. इसके पौधे लताओं के रूप में फैलकर अपना विकास करते है. खरबूजा एक ऐसा फल है जिसे गर्मियों में अधिक मात्रा में खाया जाता है. बता दे, खरबूजा की खेती के लिए अब केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर किसानों को कृषि कार्यों से लेकर फसलों, कृषि यंत्रों आदि पर सब्सिडी मुहैया करा रही है. इससे किसान भाईयों को इसकी खेती के लाभ के साथ सरकार से भी आर्थिक लाभ प्राप्त होता है.
यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको खरबूजे की खेती करनी चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको खरबूजे की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे, जैसे कि खरबूजे की खेती कैसे करे? खरबूजे की खेती से मुनाफा? खरबूजे की उन्नत किस्में? खरबूजे की जैविक खेती? खरबूजे की खेती में खाद और सिंचाई? खरबूजे की खेती में लागत व मुनाफा? Kharbuja Ki Kheti आदि.
खरबूजे की खेती की जानकारी
हमारे देश भारत में खरबूजे की खेती व्यापक रूप से की जा रही है. इसकी खेती के लिए उचित भूमि होनी जरुरी है, जिसमे अच्छी नमी और ड्रेनेज की सुविधा हो. वहीं, समय- समय पर सुरक्षित उर्वरकों का उपयोग करके पौधों को पोषण प्रदान करना भी आवश्यक है. उचित प्रबंधन के साथ, खरबूजे की खेती से किसान अच्छी तकनीकी जानकारी और मार्गदर्शन के साथ अधिक उत्पादक बन सकता है.
खरबूजे की खेती के लिए हल्की बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. वैसे, इसकी खेती के लिए भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए क्योंकि जलभराव की स्थिति में इसके पौधों पर अधिक रोग देखने को मिलते है. इसकी फसल में मुख्य रूप से चुर्णी फफूंद, उकथा, फल मक्खी तथा लाल कीड़ा जैसे प्रमुख रोग का ज्यादातर प्रकोप रहता है. ध्यान रहे कि इसकी खेती में भूमि का पी.एच माना 6 से 7 के मध्य होना चाहिए.
खरबूजे की खेती का समय
यदि हम खरबूजे की बुवाई के समय की बात करे तो, उत्तरी भारत में खरबूजे की बुवाई फरवरी के मध्य में की जाती है जबकि उत्तरी- पूर्वी और पश्चिम भारत में खरबूजे की बुवाई नवंबर से जनवरी महीने में की जाती है. बुवाई के समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि बीज को 1.5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई पर न लगाए क्योंकि इतनी गहरे में बीज सही से अंकुरित नही हो पाता है.
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खरबूजे की खेती करने वाले राज्य
खरबूजा अरमिनिया, ईरान और अनटोलिया का मूल फल है, परंतु भारत में भी अब इसे अधिक मात्रा में उगाया जाने लगा है. हमारे भारत देश में खरबूजे की खेती (Kharbuja Ki Kheti) लगभग सभी राज्यों में की जाती है परंतु मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के गर्म तथा शुष्क क्षेत्रों में इसकी खेती अधिक की जाती है.
खरबूजे की खेती के लिए जलवायु
बता दे, खरबूजा की खेती के लिए जायद का मौसम उत्तम माना जाता है क्योंकि इसमें पौधों को पर्याप्त मात्रा में गर्म और आद्र जलवायु मिलती है. गर्म मौसम में इसके पौधे अच्छे से वृद्धि करते है परंतु ज्यादा सर्दी का मौसम इसके पौधे के लिए ठीक नही होता है. वैसे, इसके बीजों को अंकुरित होने के शुरुआती समय में लगभग 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान उपयुक्त माना जाता है.
खरबूजे की उन्नत किस्में
बाजार में खरबूजे की कई प्रजातियां देखने को मिल जाती है. किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्म के बीजों को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको खरबूजे की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है जोकि इस प्रकार है:
- हरा मधु
- पूसा शरबती
- अर्का राजहंस
- पंजाब सुनहरी
- हिसार मधुर
- MHI- 3
- मृदुला
- सागर 60 F1
- पूसा रसराज
- नरेंद्र खरबूजा 1
बरसात में खरबूजे की खेती
बता दे, बरसात के मौसम में खरबूजे की खेती के लिए विशेष ध्यान देने वाली कई महत्वपूर्ण बाते है. पहली तो, खरबूजे को उचित रूप से पानी देने के लिए एक अच्छा सिस्टम तैयार करना जरुरी है क्योंकि यह विकास के लिए अच्छे पोषक तत्वों को सुनिश्चित करता है. दूसरी, बरसात के मौसम में खरबूजे की खेती करने के लिए आपकी जमीन ऊंचाई पर होनी चाहिए, जहां पर जलभराव की समस्या न हो.
इसकी फसल को सिंचाई की आवश्यकता कम ही पड़ती है. यदि वर्षा लंबे समय तक नही होती है तो सिंचाई कर देनी चाहिए क्योंकि बेलो पर फल लगते समय मिट्टी में नमी का होना जरूरी है. यदि खेत में नमी की कमी रहती है तो फल नष्ट भी हो सकते है या फिर कड़वे हो सकते है. वैसे, बरसात के मौसम में रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए रोग लगने की संभावना होने पर तुरंत ही दवाई का छिड़काव कर दे.
ग्रीष्मकालीन खरबूजे की खेती
गर्मी में खरबूजे की खेती एक लाभकारी कृषि प्रक्रिया है जो उच्च तापमान में अच्छे परिणाम दे सकती है. खरबूजे के पौधे के लिए उच्च तापमान जरुरी है तथा इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन और बुवाई तकनीकों को सही पालन करना भी अहम है. पौधों को मुख्य रूप से समर्थन, सिंचाई और पोषण की आवश्यकता होती है. इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है क्योंकि बाजार में इसकी मांग हमेशा रहती है.
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खरबूजे खेती कैसे करें?
यदि आप खरबूजे की खेती सही विधि से करते है तो फिर आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है तथा आपको अच्छा मुनाफा भी होगा. सरल तथा सही विधि से खरबूजा की खेती (Kharbuja Ki Kheti) करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
- खरबूजा की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- फिर खेत मे 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल देना है.
- इसके बाद, पुनः खेत की अच्छे से जुताई करे ताकि खाद और मिट्टी मिल जाए.
- अब खेत में पानी देकर पलेव करे. पलेव के बाद मिट्टी सूखने तक खेत को ऐसे ही छोड़ दे.
- इसके बाद, खेत को पाटा की मदद से समतल करे ताकि जलभराव की समस्या पैदा न हो.
- फिर, बीजों की रोपाई के लिए खेत में मेड़ या फिर क्यारियों को तैयार कर ले और खरबूजे के बीज लगा दे.
- जब आप इसकी बुवाई कर देते है तो फिर आपको सिंचाई तथा खरपतवार का विशेष ध्यान रखना है.
- बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करना आवश्यक है.
- रोपाई करने के कुछ दिनों बाद पौधा बाहर निकल जाएगा.
- अब समय- समय पर सिंचाई और खरपतवार करे ताकि उत्पादन अच्छा हो.
खरबूजे की जैविक खेती
बता दे, खरबूजे की जैविक खेती में उर्वरक तथा बीज का चयन महत्वपूर्ण माना जाता है. यह किसानों को उचित फसल प्रबंधन और सुरक्षित खाद्य समृद्धि देने में मदद करता है. इसकी जैविक खेती में जैविक उर्वरकों का ही उपयोग होता है जो फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है और आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखता है. वैसे, जैविक खरबूजे की खेती वातावरण को साफ रखती है और स्थाई खेती पद्धति का समर्थन करती है. यदि आप खरबूजे की खेती से अधिक पैदावार पाना चाहते है तो इसके लिए आपको खेती में जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद की पर्याप्त मात्रा देना अनिवार्य है.
बॉबी खरबूजा की खेती
बता दे, बॉबी खरबूजा एक पौष्टिक किस्म का फल है जो विभिन्न आहार गुणों से भरपूर है. इसकी खेती के लिए सबसे पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि खेत की मिट्टी उपयुक्त हो जिसमे पानी अच्छे से सोखा जा सके. इसके बीजों को बोने से पहले बीजों को अच्छे से सुखा लेना चाहिए तथा इसके पौधों को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है. इसके अलावा, इसकी खेती में सही समय उचित खाद की मात्रा देना भी महत्वपूर्ण होता है अन्यथा इसका प्रभाव आपको पैदावार में दिखाई देगा. इसकी खेती में समय पर कटाई तथा स्टोर करना भी अहम है ताकि उसका उपयोग लंबे समय तक किया जा सके.
हरा मधु खरबूजा की खेती
बता दे, हरा मधु खरबूजा को कच्चे रूप में समर्थ और गर्मी के मौसम में आरामदायक ताजगी प्रदान करने के लिए जाना जाता है. इसकी खेती में विशेष ध्यान की आवश्यकता है. इसकी खेती के लिए अच्छी भूमि, उच्च तापमान और नियमित पानी की आवश्यकता होती है तथा खाद्य, कंपोस्ट, जैविक उर्वरकों का सही प्रयोग करके अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
यदि आप इसकी खेती वर्षा वाले मौसम में करते है तो फिर हरा मधु खरबूजा की बीमारियों का प्रबंधन करना भी महत्वपूर्ण है. यदि आप हरा मधु किस्म की खेती करते है तो इस फसल से आप लगभग 200 क्विंटल फल प्राप्त कर सकते है. अच्छी देखरेख के साथ आप इससे अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते है.
खरबूजे की खेती में सिंचाई
हमारे देश में खरबूजे की खेती में पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा शुरुआती समय में बीज अंकुरण के समय तक नमी बनाए रखने के लिए पानी देते रहना होता है. इसलिए इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए. अगर गर्मी का मौसम हो तो इसके पौधों को 4 से 5 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए. वहीं, सर्दी के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी है. जब मौसम वर्षा का हो तो फिर आपको सिंचाई करने की जरूरत नही होती है परंतु यदि वर्षा लंबे समय तक नही होती है तो फिर आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
खरबूजे की खेती में खाद
खरबूजे की खेती के लिए 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 70 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस एंव पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय दे. नाइट्रोजन की शेष मात्रा 2 बराबर भागो में बाटकर खड़ी फसल में जड़ों के पास बुवाई के 20 तथा 40 दिनों के बाद देनी चाहिए.
खरबूजे की खेती में रोग
हमारे देश भारत में खरबूजे की खेती में कई तरह के रोग लग सकते है, जिसकी विस्तार जानकारी नीचे दी गई है. जोकि कुछ इस प्रकार से है:
- चूर्णी फफूंद
- मृदुरोमिल आसिता
- दाग रोग
- मोसेइक वायरस
- रूट रोट
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खरबूजे की खेती से लाभ
बता दे, खरबूजे की खेती (Kharbuja Ki Kheti) से व्यापारिक और आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है. वैसे, इसमें सावधानी और अच्छे प्रबंधन की आवश्यकता होती है. यहां कुछ मुख्य लाभ है:
- खरबूजे की मांग गर्मी के मौसम में अधिक होती है. किसान गर्मी के मौसम में इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
- खरबूजा की खेती से किसान क्षेत्रीय रूप से रोजगार के अवसर भी बढ़ा सकते है.
- यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है.
खरबूजे की खेती में लागत व मुनाफा
बता दे, खरबूजे की उन्नत किस्मों के आधार पर किसान भाई प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 300 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर सकते है. इसके अलावा, खरबूजे की रोपाई से लेकर कटाई तक लगभग 40 से 50 हजार रुपए खर्च हो जाते है.
अगर कमाई की बात करे तो, आमतौर पर खरबूजे का बाजारी भाव 2000 से 3000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है जिससे किसान भाई खरबूजे की एक बार की फसल से 5 से 6 लाख की कमाई आसानी से कर सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
खरबूजे कितने दिन में फल देता है?
यदि आप खरबूजा की खेती कर रहे है तो, इसमें फल आने में लगभग 90 से 100 दिनों का समय लगता है.
खरबूजे का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कितना है?
खरबूजे की किस्मों और देखभाल से की गई खेती से प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 300 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो सकती है.
खरबूजे का बीज का क्या भाव है?
भारतीय बाजारों में खरबूजे के बीज का भाव 140 से 160 रुपए प्रति किलोग्राम है. इसके बीज भी कई किस्म के होते है तथा यह आपको कृषि बीज भंडार में आसानी से मिल जाएंगे.
खरबूजे के बीज का क्या उपयोग है?
यदि आप नियमित रूप से खरबूजे के बीज सेवन करते है तो, इससे आपका ब्लड प्रेशर कोट्रोल में रहता है.