Kakdi Ki Kheti | ककड़ी की खेती एक ऐसी खेती है जो कि बहुत कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. ककड़ी का वैज्ञानिक नाम कुकुमिस मेलो वैराइटी यूटिलिसिमय है. बता दे ककड़ी जायद ऋतु की फसल है. भारत में इसकी मांग गर्मी में ज्यादा होती है. ककड़ी में पर्याप्त मात्रा में पानी तथा विटामिन पाए जाते है जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते है. ककड़ी हल्के हरे रंग की होती है जिसका छिल्का नर्म और गुद्दा सफेद होता है. ककड़ी में ठंडा प्रभाव होता है इसलिए इसे मुख्य तौर पर गर्मियों के मौसम में खाया जाता है.
अगर आप ककड़ी की खेती करने के बारे में सोच रहे है तो इस पोस्ट पर हम आपको उन्नत तरीके से ककड़ी की खेती कैसे करे? के बारे में बताएंगे. इसके अलावा, इसकी खेती से जुड़ी कई जानकारियां देंगे जैसे कि भारत में ककड़ी की खेती? ककड़ी की खेती कैसे करें? फूट ककड़ी की खेती? खीरा ककड़ी की खेती? ककड़ी की खेती का समय? Kakdi Ki Kheti आदि की जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
ककड़ी की खेती की जानकारी
बता दे ककड़ी की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है किन्तु कार्बनिक पदार्थों से युक्त मिट्टी में ककड़ी की पैदावार अधिक मात्रा में प्राप्त हो जाती है. ककड़ी के बीजों को शुरुआत में अंकुरित होने के लिए लगभग 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है तथा अंकुरित के बाद इसके पौधों को विकास करने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. इसकी फसल को 2 से 3 निराई गुड़ाई की आवश्यकता होती है. ककड़ी की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में मात्र 90 से 100 दिनों का समय लगता है.
भारत में ककड़ी की खेती
हमारे भारत देश में ककड़ी की खेती (Kakdi Ki Kheti) काफी प्रचलित है क्योकि ककड़ी का उपयोग भोजन और सलाद के रूप में किया जाता है. भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. वैसे, ककड़ी भारतीय मूल की फसल है. भारत में ककड़ी के बीज तथा पौधे की रोपाई अलग- अलग स्थानों पर अलग- अलग मौसम में की जाती है. भारत के उत्तरी क्षेत्रों में इसकी फसल जायद की फसल के लिए की जाती है. इस दौरान बीजों को मार्च महीने में ही लगाना होता है तथा दक्षिण भारत में पौधों को जनवरी महीने के बाद लगाना होता है.
फूट ककड़ी की खेती
बता दे फूट ककड़ी की खेती गर्म तथा शुष्क मौसम की फसल है इसीलिए राजस्थान का वातावरण इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त है. फूट ककड़ी की फसल 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी उग जाती है. बीजों के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस और पौधों व फलों के विकास के लिए 32 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है.
इसकी खेती करने के लिए आपको मॉनसून से पहले ही जून महीने में खेत की गहरी जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए. जून के आखरी सप्ताह में सड़ी गोबर की खाद मिलाकर एक बार फिर से जुताई करे. इसके बाद, पाटा लगाकर खेत को बुवाई के लिए तैयार करे. गर्मियों में बुवाई के लिए खेत को जनवरी फरवरी में दो बार कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा लगाए.
ककड़ी की खेती कैसे करें?
ककड़ी की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय फसल है. उचित देखभाल तथा विधि के साथ ककड़ी की खेती करना महत्वपूर्ण होता है. नीचे दी गई विधि में सही तरीके से ककड़ी की खेती (Kakdi Ki Kheti) करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरण बताए गए है:
- इसकी खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर लेनी है.
- फिर, खेत मे 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होता है.
- इसके बाद, पुनः खेत की अच्छी से जुताई करे.
- खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत में पानी देकर पलेव करे. पलेव के बाद मिट्टी सूखने तक खेत को ऐसे ही छोड़ दे.
- इसके बाद, खेत को पाटा की मदद से समतल करे ताकि जलभराव की समस्या पैदा न हो.
- फिर, बीजों की रोपाई के लिए खेत में मेड़ या फिर धोरेनुमा क्वारियो को तैयार कर ले और ककड़ी के बीज लगा दे.
- जब आप इसकी बुवाई कर देते है तो फिर आपको सिंचाई तथा खरपतवार का विशेष ध्यान रखना है.
- बिजाई के बाद तुरंत सिंचाई करना आवश्यक है.
देसी ककड़ी की खेती
देसी ककड़ी जिसे लोकप्रियता से तोरई भी कहा जाता है. यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है. इसकी खेती भारत के अधिकांश हिस्सो में संभव है. देसी ककड़ी का पौधा गर्म मौसम में अच्छे से संक्रमित होता है. वैसे, देसी ककड़ी को पौष्टिक खाद की आवश्यकता होती है. इसके लिए आप उपयुक्त कम्पोस्ट और जीवामृत का उपयोग करे.
खीरा ककड़ी की खेती
बता दे खीरा ककड़ी की खेती मुख्य रूप से गर्मियों तथा बरसात के मौसम में ज्यादा की जाती है. गर्मियों तथा बरसात के अलावा ग्रीनहाउस/ नेटहाउस की मदद से अगेती और पछेती खेती कर आप पूरे साल इसकी खेती कर सकते है.
खीरा की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको खेत की मिट्टी को अच्छे से तैयार कर लेना है. मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए बिजाई से पहले 2 से 3 बार खेत की गहरी जुताई करे. सड़ी गोबर की खाद डाले ताकि खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़े, बुवाई से पहले बीजों को उपचार करे फिर बार में बुवाई करे.
ककड़ी की खेती का समय
Kakdi Ki Kheti (ककड़ी की खेती) अधिक सर्दियों वाले मौसम में नही की जा सकती इसीलिए ही इसको फरवरी तथा मार्च के महीने में उगाया जाता है जिससे अच्छी फसल की पैदावार हो. इस महीने में खेत की नमी के अनुसार ही सिंचाई करना चाहिए. इस फसल को बलुई दोमट मिट्टी बहुत ही पसंद है.
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कमल ककड़ी की खेती
कमल ककड़ी एक प्रकार की ककड़ी है जिसका उपयोग सलादो में किया जाता है. कमल ककड़ी की खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करे:
- कमल ककड़ी पानी वाली जमीन में अच्छी तरह से विकसित होती है.
- इस फसल के लिए उपयुक्त गहरी, काली और लचीली मिट्टी चुने.
- मिट्टी को अच्छी तरह से नर्म बनाने के लिए खाद तथा कम्पोस्ट का उपयोग करे.
- उचित गुणवक्ता वाले कमल ककड़ी के बीजों का चयन करे.
- कमल ककड़ी के बीजों को उचित तार या धातु के ट्रे में रोपण करे.
- इसे नियमित खाद तथा पानी दे.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
ककड़ी का बीज कितने दिनों में अंकुरित होता है?
ककड़ी के बीज को अंकुरित होने में लगभग 6 से 10 दिनों का समय लगता है यानी 1 सप्ताह में आपको बीज अंकुरित होने दिखाई देंगे.
ककड़ी कितने दिन में फल देता है?
ककड़ी 60 से 70 दिनों में फल देने लग जाता है तथा फल आने की अवधि आपके क्षेत्र की जलवायु, किस्म, खाद तथा मिट्टी पर निर्भर है.
ककड़ी कड़वी क्यों हो जाती है?
ककड़ी कड़वी हो जाती है क्योंकि इसमें मौजूद टेट्रासाइक्लिक ट्राइटरपिनपॉइंट कुकुबिरटासीन यौगिक इसकी कड़वाहट के लिए जिम्मेदार है.
किर्बी ककड़ी क्या है?
किर्बी ककड़ी चमकीले हरे रंग की ऊबड़-खाबड़ त्वचा की होती है. इसका उपयोग अचार बनाने में भी किया जाता है.
ककड़ी का पौधा कितने किलो फल पैदा करता है?
ककड़ी का एक पौधा आपको लगभग 6 से 7 किलोग्राम फल देगा. यदि आप ककड़ी की खेती जैविक विधि से करते है तो यह अधिक फल देगा.