Jamun Ki Kheti | अगर आप एक प्रगतिशील किसान है और खेती में कुछ नया करना चाहते है तो इस बार आपको जामुन की खेती करनी चाहिए. बता दे, जामुन का वृक्ष एक सदाबहार वृक्ष है जो एक बार लगाने के बाद लगभग 50 से 55 वर्ष तक पैदावार देता है. जामुन को अलग- अलग क्षेत्रों में अलग- अलग नामो से जाना जाता है जैसे कि जमाली, ब्लैकबेरी, राजमन और काला जामुन. क्या आपको जानकारी है कि जामुन की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार सब्सिडी दे रही है तथा किसानों को योजना के तहत 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है.
यदि आप भी जामुन की खेती करने की सोच रहे है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी विस्तार सहित जानकारी देने वाले है. इस लेख में हम- जामुन की खेती? जामुन की खेती वाले राज्य? जामुन की उन्नत किस्म? सफेद जामुन की खेती? काले जामुन की खेती? जामुन की वैज्ञानिक खेती? जामुन की खेती में लागत व कमाई? Jamun Ki Kheti आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
जामुन की खेती की जानकारी
हमारे देश में जामुन की खेती एक लाभकारी कृषि प्रक्रिया है जिसकी खेती विभिन्न क्षेत्रों में जाती है. इसकी खेती के लिए उचित बीज या पौधे का चयन, उपयुक्त जलवायु और उचित भूमि के आधार पर की जाती है. यदि आप भी इसकी खेती कर रहे है तो फिर आपको इसकी खेती में समय- समय पर सिंचाई, उर्वरक की सही मात्रा और प्रभावी पोषण के साथ पौधों की विशेष देखभाल करनी होगी. बता दे, इसकी खेती में सही तकनीक और व्यवस्थित प्रबंधन करके उचित मुनाफा कमाया जा सकता है.
जामुन की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है परंतु उचित जल निकासी वाली भूमि को जामुन की पैदावार के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती में पौधों को कठोर तथा रेतीली भूमि में नही उगाया जाता है क्योंकि कठोर भूमि में इसका विकास अच्छे से नही होगा. ध्यान रहे कि इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए.
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जामुन की खेती का समय
बता दे, जामुन की खेती फरवरी से मार्च और जुलाई से अगस्त के मौसम में की जा सकती है परंतु वर्षा के मौसम में इसकी खेती करना उचित होगा क्योंकि इस दौरान इसके पौधे अच्छे से विकास करते है. यदि आप अच्छी देखरेख करते है तो पौधे रोपाई के लगभग 3 से 4 साल बाद, जामुन का पौधा उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है.
जामुन की खेती करने वाले राज्य
जामुन के उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है. वैसे, भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, असम और गुजरात राज्य में की जाती है.
जामुन की खेती के लिए जलवायु
बता दे कि जामुन का पौधा समशितोष्ण और उष्णटिबंधीय जलवायु वाला होता है तथा इसके पौधों को ठंडे प्रदेशों के अलावा कही भी उगाया जा सकता है. जामुन के बीजों को शुरुआती समय में अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधे के विकास के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है. वहीं, इसके विकसित वृक्ष पर गर्मी, सर्दी और वर्षा का कोई खास प्रभाव नही पड़ता है परंतु इसके पौधों के लिए सर्दियों में गिरना वाला पाला हानिकारक होता है.
जामुन की उन्नत खेती
भारतीय बाजारों में जामुन की कई उन्नत किस्में मौजूद है. व्यापक दृष्टि से जामुन की बागवानी हेतु उन्नतशील किस्मों को अधिक उगाया जाता है. इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है, जो कुछ इस प्रकार है:
- सी.आई.एस.एच.जे 37
- सी.आई.एस.एच.जे 45
- राजा जामुन
- गोमा प्रियंका
- काथा
- भादो
- नरेंद्र 6
- कोंकण भादोली
- राजेंद्र 1
- री जामुन
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जामुन की खेती कैसे करें?
यदि आप जामुन की खेती से अच्छी कमाई और उत्पादन प्राप्त करना चाहते है, तो आपको इसकी खेती सही विधि से करनी होगी. निचे दिए गए स्टेप से आप जामुन की खेती (Jamun Ki Kheti) आसानी से कर सकते है:
- जामुन की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले इसके पौधे तैयार कर लेने है.
- आप चाहे तो नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर सकते है या फिर पौधे खरीद कर भी लगा सकते है.
- इसके बाद, आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है. इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करे.
- गहरी जुताई के बाद, खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर, रोटावेटर की मदद से एकबार पुनः जुताई कर ले.
- अब मिट्टी को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या न हो.
- इसके बाद, पौधों की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर ले.
- खेत में तैयार किए गए गड्डे के बीच लगभग 8 फीट की दूरी अवश्य रखे.
- गड्डे का आकार 50 से 50 सेंटीमीटर चौड़ा और लगभग 45 से 40 सेंटीमीटर गहरा होना चाहिए.
- पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है.
- इसके बाद, जब भी फसल में खरपतवार नजर आए तब आपको तुरंत ही निराई- गुड़ाई करवा लेनी है. गुड़ाई करने से पौधों की जड़ों को उपयुक्त मात्रा में हवा मिलने लगती है.
सफेद जामुन की खेती
हमारे देश में सफेद जामुन की खेती विभिन्न भागों में संभावित है परंतु इसके लिए उपयुक्त मिट्टी, उच्च नमी और सही जलवायु की आवश्यकता होती है. इन पौधों को अच्छी तरह से उगाने के लिए धूप और सूखे वातावरण की आवश्यकता होती है. किसानों को सफेद जामुन की खेती (Jamun Ki Kheti) करने के लिए तकनीकों, उर्वरकों और प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए ताकि उच्च उत्पादकता और फलों की उच्च गुणवत्ता प्राप्त हो सके. इसकी खेती में सही प्रबंधन और देखभाल के साथ किसान अच्छी कमाई प्राप्त कर सकता है.
काले जामुन की खेती
बता दे, काले जामुन की खेती ज्यादातर किसान जून से जुलाई माह में करते है. यदि आप भी इसकी खेती कर रहे है या फिर खेती का मन बना रहे है तो फिर इसकी खेती में उचित मिट्टी, वातावरण, खाद प्रबंधन का अवश्य रूप से ध्यान रखे. वहीं, काले जामुन के पेड़ पर फल आने तक कई सारे रोग तथा कीट भी अटैक करते है, तब योग्य दवाई का छिड़काव करे और जामुन के फल और पेड़ को बचाए.
जामुन की वैज्ञानिक खेती
हमारे भारत देश में जामुन की वैज्ञानिक खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके होते है, जैसे कि- उचित बीज और मिट्टी का चयन, समय पर पानी और कीट प्रबंधन, उपयुक्त खादों का प्रयोग आदि. जामुन के पौधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए जामुन की वैज्ञानिक खेती की जाती है.
जामुन की खेती में सिंचाई
बता दे, जामुन के पूर्ण रूप से विकसित पेड़ को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नही होती है परंतु शुरुआत में इसके पौधों को सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके पौधों या बीज को खेत में तैयार किया गए गड्डे में लगाने के तुरंत बाद उनकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. उसके बाद, गर्मी के मौसम में पौधों की 5 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई करे और सर्दी के मौसम में 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई करे.
जामुन की खेती में खाद
हमारे देश में जामुन के पेड़ो को उर्वरक की सामान्य जरूरत होती है. इसके पौधों को खेत में लगाने से पहले तैयार किए गए प्रत्येक गड्डे में 10 से 12 किलोग्राम पुरानी सड़ी गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाकर गड्डे में भर दे. गोबर की खाद की जगह आप वर्मी कंपोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है.
जैविक खाद के अलावा आप रासायनिक खाद के रूप में प्रत्येक पौधों को शुरुआत में 100 ग्राम एनपीके की मात्रा को साल में 3 बार देना चाहिए, परंतु जब पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाए तब जैविक और रासायनिक दोनो खाद की मात्रा को बढ़ा दे. पूर्ण रूप से विकसित वृक्ष को 50 से 55 किलोग्राम जैविक और 1 किलोग्राम रासायनिक खाद की मात्रा साल में 4 बार देनी चाहिए.
जामुन की खेती से लाभ
बता दे, जामुन की खेती से व्यापारिक और आर्थिक लाभ हो सकता है. निम्नलिखित कुछ तरीके है जिनसे आप जामुन की खेती (Jamun Ki Kheti) से लाभ कमा सकते है:
- भारतीय बाजारों में जामुन की मांग बहुत ज्यादा है जिस वजह से इसका अच्छा भाव मिल जाएगा.
- जामुन खाने से हमारा रक्त शुद्ध होता है.
- जामुन का उपयोग औषधीय दवाइयों के रूप में भी किया जाता है.
- जामुन की खेती वाले क्षेत्रों में छोटे श्रमिक लोगों को जामुन की तुड़ाई के समय रोजगार का अवसर मिलेगा.
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जामुन की खेती में लागत व मुनाफा
बता दे, जामुन के पौधे रोपाई के लगभग 4 वर्षो के बाद फल देने के लिए तैयार हो जाते है. वहीं, कुछ किस्में ऐसी भी होती है, जो उत्पादन देने में अधिक समय लगाती है. वैसे, 1 हेक्टेयर के खेत में लगभग 130 से 150 पौधे को लगाया जा सकता है जिनकी लागत लगभग 1 लाख रुपए तक की हो सकती है. इसकी संख्या पौधे की दूरी पर भी निर्भर होती है. जामुन का एक पौधा सालभर में लगभग 100 से 150 किलोग्राम की पैदावार देता है.
अगर कमाई की बात करे तो वर्तमान समय में जामुन का बाजार में भाव लगभग 60 से 65 रुपए प्रति किलो है. इस हिसाब से 1 हेक्टेयर के खेत से आप सालभर में लगभग 8 से 10 लाख रुपए की कमाई बड़ी आसानी से कर सकते है. वैसे, यह फसल आपको लगभग 50 से 55 साल तक इनकम देगी.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
जामुन कौन से मौसम में आता है?
जामुन आमतौर पर बारिश के मौसम में आते है, परंतु इसकी कई किस्म गर्मी के मौसम में भी फल देती है.
जामुन का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
बता दे, जामुन के पौधे की रुपाई के लगभग 4 से 5 वर्षो में यह फल देने लग जाता है परंतु यदि आप इसकी देखरेख अच्छी करते है तो फिर यह 3 वर्ष में भी फल दे सकता सकता है.
जामुन का पेड़ कितने साल तक जीवित रह सकता है?
जामुन का पेड़ लगभग 40 से 50 वर्ष तक जीवित रह सकता है तथा यह आपको आसानी से 40 वर्ष तक फल देते रहेंगे.
जामुन के पत्ते क्या काम आते है?
जामुन की पत्तियों में एंटी हाइपरग्लिसेमिक पाए जाते है जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है. इसका सेवन अधिकतर ब्लड शुगर वाले मरीज करते है.