Gehu Ki Kheti | गेहूं रबी फसलों में एक महत्वपूर्ण फसल है. वैसे, खाद्यान फसलों में गेहूं का धान के बाद दूसरा स्थान है. रबी फसलों में गेहूं की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम लागत और समय में ही तैयार हो जाती है तथा मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है. वैसे, अगर गेहूं की खेती सही समय एवं सही तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसके अलावा, गेहूं की फसल से अनाज के साथ- साथ भूसे के रूप में अच्छा चारा भी किसानों को मिल जाता है. गेहूं की फसल से मिले चारा को किसान अपने पशुओं के आहार के रूप में इस्तेमाल करते है.
प्रिय किसान भाईयों, यदि आप भी गेहूं की खेती करने का सोच रहे हैं तो यह लेख आपको गेहूं की खेती से संबंधित पूरी जानकारी जुटाने में मदद कर सकता है. आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है- गेहूं की खेती कैसे करे? गेहूं की खेती के लिए उत्तम जलवायु? गेहूं की खेती का समय? गेहूं की खेती में सिंचाई? गेहूं की खेती में खाद की मात्रा? गेहूं की खेती में लागत व मुनाफा? Gehu Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी के बारे में.
गेहूं की खेती की जानकारी
बता दे गेहूं की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है जो विश्वभर में की जाती है. यह अनाज की मुख्य प्रजातियो में से एक है जो खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी का चयन करना जरुरी है.
वैसे तो गेहूं की खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है परंतु गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. साथ ही, जल निकासी और सिंचाई के उचित प्रबंधन से मटियार और रेतीली मिट्टी में भी गेहूं की खेती आसानी से की जा सकती है. गेहूं की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 अच्छा माना जाता है.
गेहूं की खेती का समय
भारत में गेहूं की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में की जाती है. गेहूं की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी के समय ही चाहिए. देर से पकने वाली किस्मो की बुवाई समय से कर देनी चाहिए अन्यथा उपज में कमी आ सकती है. जानकारी के लिए बता दे गेहूं की बुवाई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता है क्योकि उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नही रहता है.
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गेहूं की खेती वाले राज्य
भारत में गेहूं की खेती (Gehu Ki Kheti) का क्षेत्रफल विश्व के कुल गेहूं के क्षेत्रफल का लगभग 11 फीसदी है. देश में ज्यादा गेहूं उत्पादन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार आदि प्रमुख है. सम्पूर्ण भारत में गेहूं की औसत उत्पादकता लगभग 25 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर है.
गेहूं की खेती के लिए उचित जलवायु
बता दे गेहूं की खेती के लिए उचित तापमान की बात करें तो गेहूं के बीज को अंकुरण के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. वही, जलवायु के बारे में बात करे तो आद्र-शीत जलवायु में हल्की धूप तथा फसल पकते समय बसंत ऋतु उपयुक्त रहती है. मुख्यतः इस प्रकार की जलवायु पूर्वी- उत्तर- पश्चिम भारत में रहती है.
गेहूं की उन्नत किस्में
बता दे गेहूं की खेती (Gehu Ki Kheti) से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आपको क्षेत्र की जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार ही अनुमोदित किस्मों का चयन करना चाहिए. गेहूं की कई किस्में बाजार में उपलब्ध है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है:
- डीबीडब्ल्यू 187
- डब्लू एच 147
- लोक-1
- पूसा गौतमी
- जी डब्ल्यू 190
- राज 3077
- एच डी 2967
- एच डी 4713
- एच डी 2851
गेहूं की वैज्ञानिक खेती
भारत में गेहूं की वैज्ञानिक खेती में कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं शामिल होती है. पहले बीजों का चयन ध्यानपूर्वक किया जाता है, जिसमे बीजों की गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता की अहम भूमिका होती है. गेहूं की वैज्ञानिक खेती में सीधी बुवाई और उर्वरक की सही मात्रा का प्रयोग भी जरुरी होता है. गेहूं की वैज्ञानिक खेती से उन्नत उपज प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है.
लोकवन गेहूं की खेती
भारत में लोकवान गेहूं की खेती (Gehu Ki Kheti) एक महत्वपूर्ण गतिविधि है जो खाद्य सुरक्षा को मजबूती देती है. देश में रबी सीजन की फसलों में कम पानी से तैयार होने वाली किस्मों में शामिल लोकवान गेहूं भी है, जिसकी मांग अच्छे भावों में बनी रहती है. लोकवन गेहूं की खेती करने से आपको 2 लाभ हो सकते है. पहला, सिंचाई हेतु कम पानी की आवश्यकता और दूसरा, इसकी पैदावार अन्य सामान्य गेहूं की तुलना अधिक बैठती है. बता दे लोकवान गेहूं की पैदावार 55 से 65 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर के आसपास रहती है.
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काले गेहूं की खेती
काले गेहूं, जिसे अंग्रेजी में “Black Wheat” भी कहा जाता है, इसकी खेती विशेष रूप से उत्तर भारत में की जाती है. काला गेहूं भी सामान्य गेहूं के आकार का ही होता है, पर इसमें कई औषधीय गुण मौजूद है इसलिए बाजार में काले गेहूं की मांग बढ़ती ही जा रही है. सामान्य गेहूं की तुलना में इसका उत्पादन थोड़ा कम होता है क्योंकि यह जैविक तरीके से उगाया जाता है. इसकी औसत पैदावार 15 से 20 क्विंटल/ प्रति एकड़ होती है.
गेहूं की खेती कैसे करें?
यदि आप गेहूं की खेती सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप इसकी खेती करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:
- पुरानी फसल की कटाई के बाद खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर ले. इससे मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा.
- इसके बाद, पाटा की मदद से खेत को समतल कर लेवे ताकि जलभराव की समस्या ना हो.
- फिर उचित मात्रा में गोबर या कंपोस्ट खाद डाले.
- अब एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद व मिट्टी अच्छे से मिल जाएंगे और भूमि को पोषण मिलेगा.
- इसके बाद, आप प्रमाणित बीजों का चुनाव करे और बीजों का उपचार करके उचित समय पर बुवाई करे.
- बुआई के समय यदि खेत में नमी न हो तो पहले हलकी सिंचाई करे और 4 से 5 दिनों के बाद बीजो की बुवाई करे. अगर हलकी नमी है तो सीधे बीजो की बुवाई करे.
- बुवाई के तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
- गेहूं की खेती में आपको समय- समय पर पानी, खाद और खरपतवार पर ध्यान देना आवश्यक है.
गेहूं की जैविक खेती
बता दे गेहूं की जैविक खेती एक सुरक्षित तरीका है जिसमे केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसमें केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता. यदि आप गेहूं की जैविक खेती करते है तो इसका प्रभाव आपको इसकी पैदावार में अवश्य दिखाई देगा.
गेहूं की खेती में सिंचाई
भारत में गेहूं की खेती (Gehu Ki Kheti) में लगभग 3 से 4 बार सिंचाई करने की जरुरत होती है. प्रथम सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए. वही, दूसरी सिंचाई 25 से 27 दिनों के बीच में कर देनी चाहिए. इसके अलावा, तीसरी सिंचाई बुवाई के 45 से 50 दिनों के बाद कर देनी चाहिए और चौथी सिंचाई बुवाई के 65 से 70 दिनों के अन्दर कर देनी चाहिए. इसके बाद यदि आपको ऐसा लगे कि आपकी गेहूं फसल सही से नही पकी है तो आपको एक सिंचाई अतरिक्त कर देनी है.
गेहूं की खेती में खाद
यदि आप अपने गेहूं की फसल में खाद देना चाहते है तो सबसे पहले आपको मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है. मिट्टी की जांच के अनुसार ही खेत में खाद- उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए. सामान्यतः आप गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार के लिए 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम पोटाश और 60 किलोग्राम फास्फोरस की मात्रा/ प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग कर सकते है.
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गेहूं की खेती के फायदे
बता दे गेहूं की खेती के कई फायदे होते है जो कृषि के क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:
- गेहूं एक लाभकारी फसल है जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
- गेहूं अच्छी पौष्टिकता वाला अनाज है जो भोजन में उपयोग होता है और लोगो को पोषण प्रदान करता है.
- गेहूं के भूसे को चारा के रूप में पशुओं को खिलाया जाता है.
गेहूं की खेती में लागत व मुनाफा
गेहूं की उपज इसकी किस्म, खेत की मिट्टी, खाद एवं देखभाल पर निर्भर करती है. आमतौर पर इसकी उपज लगभग 50 से 70 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर तक होती है. वैसे, इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है.
अगर गेहूं की खेती (Gehu Ki Kheti) में लागत की बात करे तो, 40 से 50 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत हो सकती है. वर्तमान समय में गेहूं का न्यूनतम भाव लगभग 2200 से 3000 रूपए के बीच होता है. इस हिसाब से किसान गेहूं की खेती करके आसानी से 1.5 से 2.5 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर का मुनाफा कमा सकता है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
1 एकड़ में कितना गेहूं बोया जाए?
एक एकड़ के खेत में बुवाई के लिए लगभग 40 से 55 किलोग्राम गेहूं के बीज लगते है. वही, एक एकड़ में उत्पादन की बात करे तो, 20 से 25 क्विंटल/ प्रति एकड़ उत्पादन मिलेगा.
सबसे महंगा गेहूं कौन सा होता है?
यदि हम सबसे महंगे गेहूं की बात करे तो, “शरबती गेहूं” देश का सबसे महंगा तथा प्रीमियम किस्म का गेहूं है.
गेहूं को उगने में कितना समय लगता है?
गेहूं को उगने का समय उसकी किस्म पर निर्भर करता है. कुछ किस्म लंबी उम्र की होती है तो वही, कुछ किस्म कम उम्र की भी होती है. सामान्यतः गेहूं को उगने में लगभग 110 से 140 दिनों का समय लगता है.
गेहूं बोने की सबसे अच्छी विधि कौन सी है?
गेहूं बोने की सबसे अच्छी विधि ड्रिलिंग है, इस विधि में बीज को सीड ड्रिल या फर्टी सीड ड्रिल का उपयोग करके बोया जाता है.
सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली गेहूं कौन सा है?
सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली गेहूं की किस्म DBW 296 है, यह किस्म अन्य किस्म के गेहूं से अधिक पैदावार देती है.