Elaichi Ki Kheti | हमारे भारत देश में इलायची की खेती एक व्यवसायिक खेती के रूप में की जाती है. मसाला फसलों में इलायची का अपना एक अहम स्थान है. इलायची की खेती वर्तमान में किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है क्योंकि इसकी बाजार में काफी अच्छी मांग है. इसी कारण से इसका अच्छा भाव किसानों को मिल रहा है. यदि इसकी खेती उन्नत तरीके से की जाए तो इलायची का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
प्रिय किसान भाईयों, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि इलायची की खेती कैसे करे? इलायची की खेती करने वाले राज्य? इलायची की खेती के लिए उत्तम जलवायु? इलायची की उन्नत खेती? इलायची की खेती का समय? इलायची की खेती के लाभ? इलायची की खेती में खाद? इलायची की खेती मे लगने वाले रोग? इलायची की खेती में लागत व मुनाफा? Elaichi Ki Kheti आदि.
इलायची की खेती से जुड़ी जानकारी
हमारे भारत में इलायची की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है, जिसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छी जलवायु, अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी और प्राथमिक खाद की आवश्यकता होती है. इलायची की सही देखभाल, उचित खरीदारी तंत्र और बाजार में बेचने की जानकारी सफल इलायची की खेती के लिए जरुरी है. यदि इसके पौधे की बात करे तो, इलायची का पौधा 1 से 2 फिट लंबा होता है तथा इसके पौधे में लगभग 40 से 50 सेंटीमीटर लंबी पत्तियां होती है व इनकी चौड़ाई लगभग 5 से 7 सेंटीमीटर तक की होती है.
इलायची की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. यदि इस तरह की मिट्टी नही है तो फिर अच्छी देख-रेख में अनेक प्रकार की मिट्टियों में भी इसकी खेती की जा सकती है. ध्यान रहे कि भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच में ही होना चाहिए.
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इलायची की खेती का समय
बता दें, इलायची के पौधे खेत में तभी लगाने चाहिए, जब उनकी लंबाई 1 फिट तक हो जाए. वैसे, इसके पौधों को खेत में बारिश वाले मौसम के दौरान ही लगाना चाहिए. भारत में जुलाई के महीने में इसे खेत में लगाया जा सकता है क्योंकि इस समय में बारिश होने से इसमें सिंचाई की आवश्यकता कम ही पड़ती है.
इलायची की खेती करने वाले राज्य
इलायची उत्पादक देशों में भारत का प्रथम स्थान है. भारत में इलायची की खेती सबसे ज्यादा केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु राज्य में की जाती है.
इलायची की खेती के लिए जलवायु
बता दें, इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है. यदि आप इलायची की खेती (Elaichi Ki Kheti) कर रहे है तो फिर आपके क्षेत्र में सामान्य तापमान होना चाहिए. वैसे, इसके पौधे सर्दियों में न्यूनतम 10 तथा गर्मियों के मौसम में अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है. इससे कम या ज्यादा तापमान फसल को नष्ट कर सकता है.
इलायची की उन्नत किस्में
बता दें, इलायची की कई किस्में होती है जिनकी पहचान अलग-अलग नामो से की जाती है. मुख्य रूप से इलायची 2 प्रकार की होती है. एक छोटी (हरी) और दूसरी बड़ी (काली) इलायची के नाम से जानी जाती है.
- हरी इलायची : हरी इलायची को छोटी इलायची के नाम से भी जाता है. इसका उपयोग मुखशुद्धि, औषधीय, मिठाई और पूजा- पाठ में किया जाता है. वहीं, इस किस्म का पौधा 10 से 12 साल तक पैदावार देता है.
- काली इलायची : काली इलायची को बड़ी इलायची के नाम से भी जाना जाता है. इस इलायची का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है. इसका आकार छोटी इलायची से काफी बड़ा होता है तथा इसका रंग हल्का सा काला होता है.
इलायची की जैविक खेती
भारत देश में इलायची की जैविक खेती के लिए सही मिट्टी का चयन बहुत जरुरी है. इसमें मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक कंपोस्ट, बायोफर्टीलाइजर और प्राकृतिक जीवामृत का भी उपयोग किया जाता है. इसकी जैविक खेती में कार्बनिक संचयन, जैविक उर्वरक और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करके फसल की सेहत बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते है. साथ ही, इलायची की जैविक खेती में बीमारियों और कीटो का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है.
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इलायची की खेती कैसे करें?
इलायची की खेती करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करे. इस तरीके से आप आसानी से इलायची की खेती (Elaichi Ki Kheti) कर सकते है. साथ ही, अच्छी पैदावार भी पा सकते है. सही विधि से खेती करने के लिए इन चरणों का पालन करे:
- इलायची की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- इसके लिए आपको खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर लेनी है. जुताई से मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बरक़रार रहेगी.
- अब पाटा की मदद से खेत को समतल कर लेना है ताकि जलभराव की समस्या न हो.
- इसके बाद, आपको खेत में उचित मात्रा में गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डाल देना है.
- बुवाई के 15 दिन पहले एक बार पुनः गहरी जुताई कर ले.
- बीजों का सही चयन करे ताकि आपको अच्छी पैदावर मिले. ध्यान रखे, आपको प्रमाणित बीजों का ही चयन करना है.
- बीजों की सीड ड्रिल की मदद से या फिर छिड़काव विधि से ही बुवाई करनी है.
- बुवाई के लगभग 5 से 7 दिनों में ही इलायची के बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे और पौधे बाहर निकलने लगेंगे.
- अब समय- समय पर सिंचाई और उर्वरक दे और खरपतवार पर भी ध्यान दे.
- बुवाई के तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई करे और समय- समय पर खेत की खरपतवार करे.
- इसकी खेती में अच्छी देखरेख और समय पर सही उर्वरक का उपयोग, उच्च उत्पादकता की गारंटी देता है.
इलायची की खेती में सिंचाई
इलायची के पौधों को खेत में लगाने के पश्चात उनकी तुरंत हल्की सिंचाई करनी होती है. यदि मौसम बारिश का है तो फिर इसमें सिंचाई की जरूरत नही होती है. वहीं, गर्मियों के मौसम में इन पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है. इस मौसम में नमी बनाए रखने के लिए पौधों को समय- समय पर पानी देते रहना चाहिए. इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए.
इलायची की खेती में खाद
खेत में पौधों को लगाने से पहले मेड पर प्रत्येक पौधों के लिए 10 किलोग्राम के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद और 1 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट खाद की जरूरत होती है. इसके साथ ही पौधों को नीम की खली तथा मुर्गी की खाद को 2 से 3 साल तक देते रहना चाहिए जिससे पौधों का अच्छे से विकास हो सके.
इलायची की खेती में रोग
बता दें, इलायची की खेती के दौरान कई प्रकार के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इनमे से कुछ रोग निम्नलिखित है:
- झुरमुट और फंगल रोग
- सफेद मक्खी रोग
- ब्रिंग लार्वा कीट रोग
- तना सड़न रोग
इलायची की खेती से लाभ
बता दें, इलायची की खेती के फायदे विभिन्न पहलुओं में दिखाई देते है जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- इलायची की खेती से आपको आर्थिक लाभ होता है क्योंकि इलायची एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है. इसका अच्छा मार्गदर्शन आपको अच्छा मुनाफा दिला सकता है.
- इलायची का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है तथा इसका उपयोग औषधीय के रूप में भी किया जाता है.
- इलायची की खेती क्षेत्रीय जलवायु के लिए उपयुक्त हो सकती है. इसके अलावा, यह आपके क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकती है.
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इलायची की खेती में लागत व मुनाफा
इलायची की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 2 से 2.5 वर्ष का समय लगता है. यदि आप इलायची की खेती 1 हेक्टयर के खेत में करते है तो फिर आपको 150 से 200 किलोग्राम की पैदावार मिल सकती है. वैसे, पैदावार किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है.
इसकी खेती में लगभग 70 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत आती है. दूसरी तरफ, भारतीय बाजारों में इलायची की अच्छी मांग की वजह से इसका भाव 2 से 3 हजार रुपए/ प्रति किलोग्राम के आसपास रहता है. इस हिसाब से किसान भाई इलायची की खेती से 4 से 5 लाख रूपए/ प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
इलायची की खेती कितने दिन में तैयार होती है?
इलायची के पौधे को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 3 से 4 वर्षो का समय लगता है, वैसे, यह समय किस्म के ऊपर भी निर्भर करता है.
भारत में इलायची के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?
हमारे भारत देश में इलायची के लिए सबसे प्रसिद्ध तमिलनाडु का गुमनाम शहर है.
इलायची में कौन सा विटामिन पाया जाता है?
इलायची में आयरन, विटामिन सी, पोटेशियम, कैल्सियम, मैग्नेशियम सभी आवश्यक पोषण इलायची में पाए जाते है.
एक फली में कितने इलायची के बीज होते है?
हरी इलायची की फली में लगभग 10 से 15 बीज होते है. वहीं, काली इलायची की फली में लगभग 48 से 55 बीज होते है.