Chukandar Ki Kheti | चुकंदर का साइंटिफिक नाम बीटा वल्गैरिस है. क्या आप जानते है चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है जिसे फल, सब्जी और सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. वैसे इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधी के रूप में भी किया जाता है. चुकंदर जितना फायदेमंद हमारे शरीर के लिए है उतना ही मिट्टी के लिए भी. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिको के शोध के अनुसार, चुकंदर की खेती बंजर जमीन पर भी की जा सकती है और ऐसी जमीन चुकंदर की खेती करने से कुछ समय में ही उपजाऊ बन जाती है.
चुकंदर की खेती भी मुनाफे वाली फसलों में से एक है. यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको चुकंदर की खेती से जुडी विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि चुकंदर की खेती कैसे होती है? चुकंदर बोने का समय? चुकंदर की खेती करने की विधि? चुकंदर की जैविक खेती? चुकंदर की खेती कब करें? Chukandar Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
चुकंदर की खेती की जानकारी
बता दे कि चुकंदर की खेती के लिए दोमट या बलुई मिट्टी होने से अधिक उत्पादन मिल जाता है. ध्यान दे कि आप जिस भी खेत का चुनाव करे उसमे जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि जलभराव की स्थिति में फल सड़ने जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है. आप जिस भी खेत का चयन करते है उस खेत की मिट्टी का पी. एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए. चुकंदर की फसल में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई- गुड़ाई भी जरूरी है.
भारत में चुकंदर की खेती
भारत में चुकंदर की खेती व्यापक रूप से की जाती है. यह एक मूल्यवान सब्जी है जो उच्च पोषण तत्वों तथा विटामिनों से भरपूर होती है. भारत में चुकंदर की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तामिलनाडु, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश राज्य में की जाती है. चुकंदर की खेती भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अलग- अलग उद्देश्य से उगाई जाती है.
चुकंदर की खेती कब करें
भारत में चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) आप मौसम तथा भूमि की स्थिति के अनुसार किसी भी समय कर सकते है लेकिन, इसे आमतौर पर शीतकालीन या ठंडे मौसम में ही बोया जाता है. वैसे भी ठंडे प्रदेशों को चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है तथा सर्दियों का मौसम इसके पौधे के विकास के लिए काफी अच्छा माना जाता है. चुकंदर की फसल को अधिक बारिश की आवश्यकता नही होती है. अधिक वर्षा भी इसकी पैदावार को प्रभावित कर सकती है.
चुकंदर की खेती कैसे करे?
जानकारी के लिए बता दे कि चुकंदर की खेती करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करे. इस तरीके से आप आसानी से चुकंदर की खेती कर सकते है. साथ ही, अच्छी पैदावार भी पा सकते है. इन चरणों का पालन करे:
- चुकंदर की खेती के लिए आपको सबसे पहले जमीन को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- इसके लिए आपको खेती की 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी है. फिर खेत को समतल करे ताकि आपको बारिश के मौसम में जलनिकासी की समस्या न रहे.
- इसके बाद, आवश्यकता अनुसार सड़ी गोबर की खाद डालकर कल्टीवेटर के माध्यम से एक बार पुनः तिरछी जुताई करे.
- चुकंदर की बुवाई से पूर्व आपको खेत में क्यारी बना लेनी है क्योंकि मेड पर चुकंदर की बुवाई करने से फसल काफी अच्छी होती है.
- ध्यान रखे कि बुवाई के समय आपको बीज 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोना है. साथ ही, एक बीज से दूसरे बीज की दुरी कम से कम 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
- जानकारी के अनुसार बता दे कि 15 किलोग्राम/ प्रति हेक्टेयर बीज जरूरत पड़ती है.
- इसके बाद, आपको ध्यान रखना है कि मिट्टी में हमेशा नमी बनी रहे क्योंकि नमी वाले क्षेत्रों में उगाई गई चुकंदर की फसल में शक्कर ज्यादा मात्रा में होती है.
- इस खेती में आपको खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना है. लगभग 25 से 30 दिनों बाद निराई- गुड़ाई जरूरी है.
चुकंदर की जैविक खेती
बता दे कि चुकंदर की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरक, जैविक कीटनाशक और उपयुक्त जैविक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, जैविक खेती पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल उपयोग को कम करने में मदद करती है. यदि आप जैविक खेती करना चाहते है तो आपको सबसे पहले मृदा का विश्लेषण करना आवश्यक है तथा आपको बुवाई के समय जैविक चुकंदर बीजों का ही चयन करना चाहिए जोकि प्रमाणित हो. खेती का तरीका वही रहेगा.
हाइब्रिड चुकंदर की खेती
चुकंदर की कई तरह की किस्में है जिनकी मदद से आप अच्छा उत्पादन कर सकते है. Chukandar Ki Kheti की प्रमुख किस्मो की जानकारी निचे है:
- एम.एस.एच 102 किस्म
- क्रिमसन ग्लोब किस्म
- डेट्रॉयट डार्क रेड
- रूबी रानी
- मिस्त्र की क्रोस्बी
चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
चुकंदर एक ठंडी मौसम की फसल है लेकिन, इसे हल्की गर्म जलवायु में भी उगाया जा सकता है. चुकंदर की खेती के लिए 18 से 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान उत्तम माना जाता है.
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चुकंदर बोने का समय
यदि आप चुकंदर की खेती खरीफ मौसम करना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई 1 जून से 30 अगस्त के बीच कर लेनी है. इसके अलावा, यदि आप इसकी खेती रबी मौसम में करना चाहते है तो आपको इसकी बुआई 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच कर लेनी है. जायद मौसम में इसकी बुवाई 1 फरवरी से 30 मई के बीच की जाती है.
चुकंदर की खेती से लाभ
- चुकंदर की खेती आपको अच्छा आर्थिक मुनाफा दे सकती है.
- भारतीय बाजारों में चुकंदर की मांग अच्छी है जिसके कारण से इसका भाव भी अच्छा है. ऐसे में यदि कोई किसान चुकंदर की खेती करते है तो वे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
- चुकंदर जितना फायदेमंद हमारे शरीर के लिए है उतना ही यह मिट्टी के लिए भी है.
- इससे हमें काफी तरह के पोषक तत्व मिलते है जो हमारे शरीर के काफी लाभदायक है.
चुकंदर की खेती में लागत और कमाई
भारतीय बाजार या मंडी में चुकंदर का भाव लगभग 50 से 60 रुपए प्रति किलो है तथा इसकी खेती से 180 से 300 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त होती है यानी किसान भाई चुकंदर की खेती करके आराम से लाखो रूपए कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
चुकंदर का दूसरा नाम क्या है?
चुकंदर को अंग्रेजी भाषा में बीटरूट (Beetroot) कहते है. इसका उपयोग अधिकतर सूप, सलाद के रूप में भी किया जाता है.
एक पौधे में कितने चुकंदर उगते है?
प्रत्येक चुकंदर के पौधे में एक चुकंदर आता है. वैसे, चुकंदर का एक बीज अंकुरित के दौरान कई चुकंदर के पौधे को अंकुरित कर सकता है.
1 किलो चुकंदर में कितना खून बनता है?
एक स्वस्थ शरीर में लगभग 5 से 7 लीटर खून होता है. यदि आप नियमित रूप से चुकंदर का सेवन करते है तो आपको कभी भी खून की कमी नही होगी.
चुकंदर कितने दिन में तैयार हो जाता है?
चुकंदर एक मध्यम अवधि की फसल है जो कम समय में किसानों को अच्छा मुनाफा देती है. इसे तैयार होने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है.
चुकंदर लाल क्यों होता है?
चुकंदर बेटाईन नामक रसायन के कारण से लाल रंग का होता है.