Baigan Ki Kheti | बैंगन की खेती एक ऐसी खेती है जो लंबे समय तक उपज देती रहती है. बता दे यह पूरे वर्ष उगाए जाने वाली सब्जी है. बैंगन की खेती सिर्फ 2 महीने में ही तैयार हो जाती है. इसके तुरंत बाद ही किसान भाई कमाई करना शुरू कर सकते है. इसकी खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है. बैंगन एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग भारतीय बाजारों और मंडियों में सालभर बनी रहती है, इसलिए इसकी खेती करना फायदेमंद है.
प्रिय किसान भाईयों, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि बैंगन की खेती कैसे करे? बैंगन की खेती के लिए उत्तम जलवायु? बैंगन की खेती का समय? हाइब्रिड बैंगन की खेती? ग्राफ्टेड बैंगन की खेती? बैंगन की खेती के लाभ? बैंगन की खेती में खाद? बैंगन की खेती में लागत व मुनाफा? Baigan Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.
बैंगन की खेती की जानकारी
भारत में बैंगन की खेती अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अलावा लगभग सभी जगहों पर की जाती है. बैंगन का उत्पादन चीन के बाद सबसे ज्यादा भारत देश में किया जाता है. बता दे बैंगन के पौधे लगभग 2 से 2.5 फीट लंबे होते है. इसके पौधों में ढेर सारी शाखाएं निकलती है और इन्ही शाखाओं पर बैंगन लगते है. वहीं, बैंगन के फल लंबे, अंडाकार और गोल आकार के होते है.
बैंगन की खेती के लिए लाल मिट्टी, रेतीली दोमट और चिकनी मिट्टी अच्छी होती है. इसके अलावा, भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना उत्तम माना जाता है. ध्यान रहे जिस खेत का चयन करे उसकी मिट्टी में कार्बन की मात्रा अधिक और जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
बैंगन की खेती का समय
भारत में बैंगन की बुवाई के तीन प्रमुख मौसम है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- शरद ऋतु फसल: इस फसल के लिए पौधशाला में बीज जून से जुलाई माह के बीच बोए जाते है और रोपाई जुलाई से अगस्त में की जाती है.
- बसंत ग्रीष्म फसल: इस फसल के लिए पौधशाला में बीज अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में बोए जाते है और रोपाई जनवरी से फरवरी में की जाती है.
- वर्षाकालीन फसल: इस फसल के लिए पौधशाला में बीज फरवरी से मार्च माह के बीच में बोए जाते है और रोपाई मार्च से अप्रैल में की जाती है.
बैंगन की खेती करने वाले राज्य
चीन के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक बैंगन उगाने वाला देश है. भारत में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक है.
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बैंगन की खेती के लिए जलवायु
भारत में बैंगन के पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधों को हानि पहुंचाता है तथा इन्हे ज्यादा वर्षा की भी जरूरत नही होती है. बैंगन के पौधे 25 से 30 डिग्री के तापमान पर अच्छे से विकास करते है तथा यह अधिकतम 35 डिग्री और न्यूनतम 13 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है.
बैंगन की उन्नत किस्में
बता दे बैंगन की कई किस्मों को उनके आकार, रंग तथा पैदावार के हिसाब से उगाने के लिए तैयार किया गया है. जिसके बारे में जानकारी इस प्रकार है:
- पूसा हाइब्रिड 5
- अर्का नवनीत
- स्वर्ण शक्ति
- स्वर्ण श्री
- स्वर्ण श्यामली
- पंत ऋतुराज
- आजाद क्रांति
- नीलम
- IIHR 22-1
- NBH 13
- NBH 1152
ग्राफ्टेड बैंगन की खेती
बता दे ग्राफ्टेड बैंगन की खेती एक महत्पूर्ण कृषि विधि है जिससे उच्च उत्पादन हासिल किया जा सकता है. बैंगन की ग्राफ्टेड तकनीक में 2 अलग- अलग बैंगन के पौधों के भागो को जोड़कर ग्राफ्टेड पौधे तैयार किए जाते है. इस तकनीक से तैयार किए गए पौधे अधिक मात्रा में उत्पादन देता है.
ग्राफ्टेड बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) करने के लिए सबसे पहले एक उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफ्ट पौधे का चयन करना होता है, जिसके बाद मूल पौधे के ऊपरी हिस्से को काटकर ग्राफ्ट पौधे से जोड़ना होता है. इसके बाद, ग्राफ्ट पौधे को मूल पौधे के साथ मिलाया जाता है और उन्हें धीरे- धीरे बढ़ने दिया जाता है. इस तरीके से ग्राफ्टेड बैंगन की खेती में उत्पादन और पैदावार में सुधार किया जा सकता है.
बरसात में बैंगन की खेती
भारत में बरसात के मौसम में बैंगन की खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण फसल है. इस समय की मिट्टी बैंगन के पौधों के लिए अत्यंत उपयुक्त होती है, क्योंकि यह पौधों के विकास को बढ़ावा देती है. बैंगन के पौधों को बोने के लिए हल्की गर्मी और पानी की आवश्यकता होती है और बरसात का मौसम इसकी खेती के लिए उत्तम है.
गोल बैंगन की खेती
पूसा परपल राउण्ड, एच 4, पंत ऋतुराज, अर्का नवनीत किस्म के बैंगन गोल और अंडाकार होते है. इसमें गूदा ज्यादा और बीज कम होते है. इसके अलावा, प्रत्येक बैंगन का वजन 300 से 400 ग्राम तक का होता है. बता दे गोल बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) पूरी तरह तैयार होने में लगभग 60 से 70 दिनों का समय लगता है. इसकी पैदावार किस्म के ऊपर निर्भर करती है जैसे कि पंत ऋतुराज किस्म की उपज 400 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर है.
लंबे बैंगन की खेती
भारत में लंबे बैंगन की खेती एक प्रमुख खेती है, यह “सोलनेसेयस बैंगन” का एक प्रकार होता है. इसके फल लंबे और स्लेंडर होते है. इसका वैज्ञानिक नाम “Solanum Melongena” है. लंबे बैंगन का पौधा आमतौर पर 2 से 3 फिट ऊंचा होता है. लंबे बैंगन की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है. बुवाई के बाद समय- समय पर पानी देना, कीट प्रबंधन का ध्यान रखना और योग्य तरीके से पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण होता है.
सफेद बैंगन की खेती
आमतौर पर सफेद बैंगन की खेती सर्दी के मौसम में की जाती है. सफेद बैंगन की खेती एक ऐसी खेती है जो लंबे समय तक उपज देती रहती है. सफेद बैंगन की बुवाई के तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. बता दे इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नही पड़ती है. इसके अलावा, इस खेती में आपको जैविक खाद का ही प्रयोग करना चाहिए. इस फसल को कीटो और बीमारियों से बचाने के लिए जैविक नीम कीटनाशक का उपयोग आवश्य करे. वहीं, सफेद बैंगन की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 75 से 85 दिनों का समय लगता है.
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बैंगन की खेती कैसे करें?
अगर आप बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) से अच्छी उपज तथा लाभ प्राप्त करना चाहते है तो आपको इसकी खेती सही विधि से करनी होगी. सही विधि से बैंगन की खेती करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:
- रोपाई के लगभग 15 से 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार गहरी जुताई कर दे, जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएंगे.
- अब आपको प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डाल देनी है.
- खाद डालने के बाद खेत की एक बार पुनः जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दे.
- पलेवा के एक सप्ताह बाद एक बार ओर जुताई कर दे.
- इसके बाद, खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार तिरछी जुताई करे. कल्टीवेटर करने पर आपका खेत समतल हो जाएगा.
- अब आपको खेत में बैंगन के पौधों की रोपाई कर देनी है.
- ध्यान रहे आपको बैंगन के बीजों की बुवाई सीधे नही करनी चाहिए. इसके बदले आपको नर्सरी से पौधे खरीदकर लाना चाहिए या फिर पहले नर्सरी में पौधों को तैयार कर लेना चाहिए. पौधे ऐसे खरीदे जो बिलकुल स्वस्थ हो.
- इन पौधों की रोपाई को समतल और मेड दोनो पर ही कर सकते है.
- समतल भूमि में पौधों की रोपाई के लिए खेत में 3 मीटर की क्यारियों को तैयार कर ले. इन क्यारियों में प्रत्येक पौधों के बीच में 2 फीट की दूरी रखी जाती है.
- इसके अलावा, यदि पौधों की रोपाई मेड पर करनी हो तो उसके लिए 2 से 2.5 फीट की दूरी रखते हुए मेड को तैयार कर लिया जाता है.
- पौधे रोपाई के बाद आपको इसमें एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
घर पर बैंगन की खेती
बैंगन की खेती घर पर भी की जा सकती है परंतु इसके लिए आपको पहले तो एक उपयुक्त और सूर्यप्रकाशित जगह का चयन करना होता है. इसके अलावा, कुछ सामग्री की जरूरत पड़ेगी जैसे कि गमला, मिट्टी, खाद, बैंगन के बीज या पौधे और सिंचाई के लिए पानी चाहिए होगा.
बैंगन की खेती घर पर 2 तरीके से कर सकते है. पहली, गमले के माध्यम से और दूसरी, छत पर भी आप बैंगन की खेती कर सकते है. छत पर बैंगन की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले उपजाऊ मिट्टी को एक जगह डाल देना है. फिर उसके चारो ओर ईट लगा देनी है जिससे मिट्टी पानी के साथ न बहे. इसके बाद, आपको उसमे जैविक खाद तथा कंपोस्ट खाद उचित मात्रा में डाल देना है. अब पौधा लगा देना है और हल्की सिंचाई कर देनी है. इसके बाद, आपको इसमें नियमित रूप से पानी, खरपतवार का भी विशेष ध्यान रखना है.
बैंगन की जैविक खेती
बता दे बैंगन की जैविक खेती समय की आवश्यकता है जिससे मानव और वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता और फसल उत्पादन लागत भी कम होती है. बैंगन की जैविक खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उचित खेती तकनीक अपनानी बहुत महत्वपूर्ण है. बैंगन की जैविक खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में विकास कर सकती है मगर इसकी फसल से अच्छे विकास और उत्पादन के लिए उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी व भुरभुरी दोमट मिट्टी मिट्टी उपयुक्त है.
बैंगन की खेती में सिंचाई
भारत में बैंगन की फसल में सिंचाई कई बातों पर निर्भर करती है जिनमे भूमि की किस्म, फसल उगाने का समय और वातावरण प्रमुख है. आमतौर पर गर्मियों में बैंगन की फसल में 7 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करना उचित रहता है. इसके अलावा, वर्षा ऋतु की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. यदि लंबी अवधि तक वर्षा न हो तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए.
बैंगन की खेती में खाद
बता दे बैंगन की फसल में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 200 से 300 क्विंटल गोबर की खाद को खेत में मिला देना चाहिए. इसके अतिरिक्त 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा को दो बराबर भागो में बाटकर एक भाग रोपाई के 30 दिन बाद और दूसरा भाग रोपाई के 45 दिन बाद उपयोग करना चाहिए.
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बैंगन की खेती से लाभ
बता दे बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) के कई लाभ हो सकते है, जिसकी विस्तार जानकारी नीचे सूची में दी गई है:
- बैंगन की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है, क्योंकि इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है जिसके कारण किसानों को इससे अच्छा भाव मिल जाता है.
- बैंगन विटामिंस, मिनरल्स और आंत्रिकीय गुणों का अच्छा स्त्रोत होता है.
बैंगन की खेती में लागत व मुनाफा
बता दे बैंगन की उन्नत किस्मों के आधार पर लगभग 400 से 600 क्विंटल की पैदावार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्राप्त हो सकती है. इसके अलावा, बैंगन की रोपाई से लेकर कटाई तक लगभग 60 हजार रुपए खर्च हो जाते है. बैंगन का बाजारी भाव 1500 से 2000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है जिससे किसान भाई बैंगन की एक बार की फसल से 5 से 7 लाख की कमाई आसानी से कर सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
बैंगन में हाइब्रिड कौन सा है?
स्वर्ण शोभा (HABR-4) बैंगन की एक संकर किस्म है. आमतौर पर इसकी बुवाई अगस्त से सितंबर महीने में की जाती है.
बैंगन फल क्यों नही दे रहा है?
जब बैंगन फल नही देता है तो इसके दो कारण हो सकते है. एक तो यह कि फूल या फल में पानी की कमी होना या फिर वे किसी रोग से ग्रस्त होना.
बैंगन के पौधे से अधिक उपज कैसे प्राप्त करे?
यदि आप बैंगन के पौधे से अधिक उपज लेना चाहते है तो इसके लिए आपको बैंगन के पौधे में हर एक या दो सप्ताह में एक बार लिक्विड खाद डाले.
1 एकड़ में बैंगन के कितने पौधे लगते है?
एक एकड़ के खेत में आप लगभग 3000 से 3500 बैंगन के पौधे लगा सकते है. इसके अलावा, पौधों की संख्या पौधों से पौधों की दूरी पर भी निर्भर करती है.
बैंगन की पौध कैसे लगाई लगाई जाती है?
दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसके अलावा, आपको बीज रोपाई से पूर्व खेत की अच्छी तरीके से 4 से 5 बार जुताई कर लेनी चाहिए.