Anar Ki Kheti | अनार भारत की व्यापारिक फसल है. खेती के लिए अनार एक ऐसा विकल्प है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है क्योकि इसकी फसल किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है. जानकारी के लिए बता दे अनार की खेती के लिए अब केंद्र तथा राज्य सरकारें भी किसानों को सब्सिडी मुहैया करवा रही है. अनार एक ऐसा फल है जिसे कम पानी वाले क्षेत्र में भी आसानी से उगाया जा सकता है. यदि आप इस बार खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको अनार की ही खेती करनी चाहिए. यदि आप वैज्ञानिक विधि से अनार की खेती करते है तो आपको इसका प्रभाव पैदावार में भी दिखाई देगा.
अगर आप अनार की खेती करने का मन बना रहे है तो फिर यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि आज के इस लेख हम आपको अनार की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे. जैसे कि अनार की जैविक खेती कैसे करे? अनार की खेती का समय? अनार की खेती के लिए उत्तम जलवायु? अनार की खेती वाले राज्य? अनार की खेती में खाद? अनार की खेती में सिंचाई? अनार की खेती में लागत व कमाई? Anar Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
अनार की खेती की जानकारी
अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है इसलिए यह दुनिया के गर्म प्रदेशों में ही पाया जाता है. हमारे भारत देश में अनार को कई नामों से जाना जाता है. बांग्ला भाषा में अनार को “बेदान”, तमिल में “मादुलई”, हिंदी भाषा में “अनार” तथा संस्कृत में “दाडिम” कहा जाता है. भारत में अनार की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र राज्य में की जाती है. बता दे भारत देश में अनार का क्षेत्रफल 113.2 हजार हेक्टेयर, उत्पादन 745 हजार मीट्रिक टन जबकि उत्पादन 6.60 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है. अनार का पूर्ण विकसित पौधा 15 से 20 वर्षो तक पैदावार देता है. वैसे, अनार के बीज और छिलके का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है.
अनार की खेती का समय
साल में 2 बार आप अनार की खेती कर सकते है यानि की अनार के पौधे लगा सकते है. पहला- जुलाई से अगस्त महीने के बीच (बारिश के मौसम दौरान) में आप खेती कर सकते है और दूसरा- फरवरी से मार्च महीने के बीच आप इसकी खेती कर सकते है. वैसे, अनार की खेती के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस मौसम में अनार का पौधा अच्छे से विकास करता है. इसके पौधे को शुरुआती समय में अच्छे पोषण तथा उचित जलवायु की आवश्यकता होती है.
अनार की खेती वाले राज्य
हमारे भारत देश में अनार की खेती राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में सर्वाधिक की जाती है. बता दे कि अधिक आद्रता वाले क्षेत्रों में अनार का उत्पादन नही होता क्योकि इन जगहों पर फफूंद जैसे रोगों का प्रकोप अधिक होता है.
अनार की जैविक खेती कैसे करे?
अनार की जैविक खेती (Anar Ki Kheti) पर्यावरण तथा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सुस्त, प्राकृतिक और निरापद विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है. अनार की जैविक खेती में केमिकल खाद्य योजनाएं तथा कीटनाशकों का उपयोग नही किया जाता. नीचे कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताये गये है जो अनार की जैविक खेती में महत्वपूर्ण होते है:
- अनार की जैविक खेती के लिए सबसे पहले सही भूमि तैयार करनी चाहिए.
- भूमि में उचित ड्रेनेज व्यवस्था तथा उर्वरक संतुलन के लिए ध्यान देना चाहिए.
- बीज का चुनाव करते समय सुनिश्चित करे कि यह जैविक तथा प्रमाणित बीज हो.
अनार की उन्नत किस्में
भारत में अनार की मुनाफेदार खेती के लिए लगभग 25 प्रकार की वैराईटीयां बोई जाती है. किसानो को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार अनार की किस्मो का चयन करना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन मिले. प्रमुख रूप से भारत में 5 प्रकार के अनार की वैराईटी काफी प्रसिद्ध है जो हर बार फल उत्पादन में क्रांति लाने में कामगार साबित हुई है. नीचे कुछ प्रमुख किस्मों की विस्तार जानकारी दी गई है:
- काबुल
- कंधारी
- भगवा
- रूबी
- आरकाटा
- बदला
- स्पेनिश रूबी
- पेपर शेल्ड
- मास्कटी रेड
- ज्योति
अनार की खेती में खाद
उर्वरक एवं सूक्ष्म पोषण तत्व निर्धारित करने के लिए मिट्टी की जांच करवाना अति आवश्यक है. सामान्य मुद्रा में 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 250 ग्राम नाइट्रोजन, 125 ग्राम फास्फोरस तथा 125 ग्राम पोटेशियम प्रतिवर्ष प्रति पेड़ को देना चाहिए. प्रत्येक वर्ष इसकी मात्रा को इस प्रकार बढ़ाए की 5 वर्ष बाद प्रत्येक पौधों को क्रमशः 625 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस तथा 250 ग्राम पोटेशियम दिया जा सके.
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सिंदूरी अनार की खेती
बता दे सिंदूरी अनार एक प्रमुख अनार की प्रजाति है जो भारतीय मिट्टी में विशेष रूप से उगाई जाती है. यह जनवरी से मई तक फूलता है और उसके बाद में, अनार के फलों का उत्पादन करता है. सिंदूर अनार का फल गहरे लाल रंग का होता है. यह खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. इस अनार की खेती के लिए नमी पूरी करने वाली भूमि होनी चाहिए तथा पी.एच. मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. सिंदूरी अनार को धूप वाले तथा ठंडे मौसम में अच्छे रूप से उगाया जा सकता है.
अनार की खेती कैसे करें?
अगर आप अनार की खेती (Anar Ki Kheti) से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. यदि आप सही विधि से खेती नही करते है तो इसका प्रभाव पैदावार में दिखाई देगा. सही विधि से खेती करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:
- अनार की खेती के लिए सबसे पहले खेत तैयार कर लेना है. इसके लिए आपको खेत को अच्छे से 1 से 2 बार गहरी जुताई करवा लेनी है.
- इसके बाद, रोपाई के 1 महीने पहले 60 सेंटीमीटर लम्बे, 60 सेंटीमीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर गहराई के गड्डे तैयार कर ले.
- पौधे के बीच 10 से 12 फिट तथा पंक्तियों के बीच 15 से 16 फिट की दूरी होनी चाहिए.
- इसके बाद, गड्डे को खाद (सिंगल सुपरफास्टफेट 500 ग्राम, नीम केक 1 किलोग्राम) से भर दे.
- बरसात के मौसम आने पर (जुलाई से अगस्त के बीच) पौधे की रोपाई करे.
- इस खेती में आपको खाद, सिंचाई तथा खरपतवार पर विशेष ध्यान रखना होगा.
अनार की खेती में सिंचाई
अनार एक सुखा- सहनशील फल है जो कुछ हद तक तो पानी की कमी को आसानी से सहन कर सकता है. जाड़े के दिनों में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर देनी है तथा गर्मी के समय 5 से 6 दिनों के अंतराल में ही सिंचाई कर देनी है.
अनार की खेती में रोग
बता दे अनार की खेती (Anar Ki Kheti) में कई प्रकार के रोग लगते है जो पौधे तथा फलों को प्रभावित करते है. यहां कुछ मुख्य रोगों की जानकारी दी गई है:
- फल धब्बा
- अनार की तितली
- माहू
- फल सड़न
- उटका रोग
- झुलसा रोग
- तना वेधक
अनार खाने के लाभ
अनार एक बहुत ही उपयोगी फल है जिसमे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है. अनार का सेवन मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है. यह मनुष्य के शरीर में अधिक तेजी से रक्त की मात्रा को बढ़ाता है. इसके ताजे फलों का सेवन करने से कब्ज की बीमारी से भी छुटकारा मिलता है. अनार का सेवन कर कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है. वैसे, इसके बीज तथा छिलके का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है.
अनार की खेती में लागत व कमाई
अनार की खेती में लागत कई तत्वों पर निर्भर करती है. इसमें उर्वरकों और कीटनाशकों की खरीद, भूमि की तैयारी, सिंचाई की व्यवस्था आदि शामिल है. अनार की खेती की लागत एक हेक्टेयर के लिए लगभग 1.5 से 2 लाख रुपए तक होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शुरुआती 5 सालों लागत ज्यादा आती है. उसके बाद, धीरे- धीरे लागत कम होती चली जाएगी.
अनार के पौधे लगभग 20 से 25 वर्षो तक उपज देते है. अच्छी देखभाल पर अनार का एक पौधा 5 वर्षो के बाद लगभग प्रति वर्ष 60 से 70 किलो फल देता है तथा एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 600 से अधिक पेड़ होते है. इस अनुमान के मुताबिक, अनार के एक हेक्टेयर खेत से 90 से 130 क्विंटल की पैदावार प्राप्त होती है. भारतीय बाजारों में अनार के भावों की बात करे तो अनार का वर्तमान बाजार भाव 130 से 150 रुपए प्रति किलो है. किसानों को उनकी फसलों के अनुसार मंडियों में 100 से 130 रुपए प्रति किलोग्राम का भाव बड़ी आसानी से मिल जाता है. इस तरह से किसान अनार की खेती से 10 से 12 लाख रुपए तक सालाना कमाई कर सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
अनार का पेड़ कितने दिन में फल देने लगता है?
अनार का पेड़ 5 साल में फल देने लगता है. वैसे, अच्छी तरह से विकसित अनार का पौधा 25 से 30 वर्षो तक फल देता है.
अनार के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
अनार की खेती के लिए गहरी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है तथा रेतीली और चिकनी मिट्टी में काफी अच्छी तरह से पौधा विकसित होता है.
अनार के पौधे में क्या डालना चाहिए?
अनार के पौधे में गोबर खाद, रॉक फास्फेट, प्रोम खाद, पोटाश फर्टिलाइजर, वर्मी कंपोस्ट जैसी जैविक खाद ही डालनी चाहिए. जैविक खाद के उपयोग से अनार का पौधा तेजी से ग्रोथ करता है.
अनार के पेड़ में कौन सी दवाई देनी चाहिए?
अनार के पौधे में फूल लगते है परंतु वह कुछ समय के बाद झाड़ जाते है. इसके लिए आपको प्लानोफिक्स 4 ML दवा 16 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर पौधे पर स्प्रे करे.
अनार के पौधे का देखभाल कैसे करे?
अनार की खेती को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. मिट्टी को लगातार नम रखना सुनिश्चित करे लेकिन जल भराव नही होनी चाहिए.