Akhrot Ki Kheti | अखरोट एक तरह का ड्राई फ्रूट होता है जिसे अंग्रजी में “Walnut” कहते है. इसका वानस्पतिक नाम “जुग्लांस निग्रा” है. इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 50 से 70 फिट तक होती है और इसका पेड़ दिखने में बहुत ही घना, सुंदर और सुगंधित होता है. अखरोट को सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाला पेड़ माना जाता है क्योंकि किसान इस पेड़ की एक बार बागवानी कर कई साल तक अच्छा उत्पादन ले सकता है. यदि आप बागवानी की खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको अखरोट की ही खेती करना चाहिए क्योंकि भारतीय बाजारों में अखरोट की मांग हमेशा ही जोरो पर रहती है. इसी कारण से इसका भाव भी अच्छा मिल जाता है.
अगर आप एक प्रगतिशील किसान है तो फिर आपको इस बार अखरोट की खेती करनी चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको अखरोट की खेती का समय? अखरोट की खेती के लिए जलवायु? अखरोट की वैज्ञानिक खेती? अखरोट की खेती कैसे करें? अखरोट की जैविक खेती? अखरोट की खेती में लागत व मुनाफा, Akhrot Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे.
अखरोट की खेती की जानकारी
भारत देश में अखरोट की खेती एक लाभकारी कृषि व्यापार है जो आधुनिक किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान करता है. इसका पौधा विभिन्न प्रकार की जलवायु और भूमि में उगाया जा सकता है परंतु इसके लिए ठंड का मौसम सबसे अच्छा होता है. अखरोट की पूरी प्रक्रिया में बुआई से लेकर पौधरोपण, पानी प्रबंधन, उर्वरक का उपयोग और सही समय पर प्रोफिंग जैसे कई कदम शामिल होते है. सही तकनीक और प्रबंधन के साथ एक अच्छी खेती प्रक्रिया से किसान अच्छी गुणवत्ता वाले अखरोट का उत्पादन कर सकता है जो बाजार में अच्छी कीमत पर बेचे जा सकते है.
अखरोट की खेती करने के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए. वैसे, इसके लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है तथा मिट्टी भुर-भूरी होना चाहिए. रेतीली और सख्त मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुपयुक्त होती है इसलिए इस तरह की मिट्टी में खेती न करे. इसकी खेती वाली मिट्टी का पी.एच मान भी 6 से 7 के बीच होना चाहिए.
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अखरोट की खेती का समय
बता दे अखरोट के पौधों की रोपाई के लिए सर्दी का मौसम उचित माना जाता है, इसलिए पौधे की रोपाई दिसंबर से फरवरी माह तक की जा सकती है. वहीं, किस्म के आधार पर कुछ किसान भाई पौधे की रोपाई वर्षा के मौसम में भी करते है. वैसे, इसकी रोपाई के लिए सर्दी का मौसम उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस मौसम में पौधे का विकास अच्छे से होता है.
अखरोट की खेती करने वाले राज्य
हमारे भारत देश में अखरोट की खेती मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है परंतु आज के समय अखरोट की खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उतरांचल और अरुणाचल प्रदेश में भी होती है. मुख्य रूप से अखरोट का उत्पादन जम्मू- कश्मीर में किया जाता है.
अखरोट की खेती के लिए जलवायु
हमारे देश में अखरोट की खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों को उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए अधिक गर्मी और सर्दी दोनो ही अनुपयोगी होती है. इसके पौधे को शुरुआती समय में विकास के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. उसके बाद, पौधे को विकास करने के लिए गर्मियों में अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में न्यूनतम 8 से 10 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है.
अखरोट की उन्नत किस्में
आज के समय बाजारों में अखरोट की कई किस्म देखने को मिल जाती है, परंतु किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्मो को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको अखरोट की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गयी है, जोकि इस प्रकार है:
- पूसा अखरोट
- पूसा खोड
- विलसन
- प्रताप
- ओमेगा 3
- कोटखाई सिलेक्शन 1
- लेक इंग्लिश
- द्रेणोवस्की
अखरोट की जैविक खेती
बता दे अखरोट की जैविक खेती में सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार किया जाता है. जैविक खेती के लिए खेत में खाद और कम्पोस्ट को उचित मात्रा में डाला जाता है. इस विधि में उचित पौधा चुनाव और पौधों की रोपाई के बाद समय- समय पर पौधों की पर्यावरण निगरानी और खरपतवार नियंत्रण किया जाता है.
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अखरोट की खेती कैसे करे?
यदि आप अखरोट की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को अवश्य ध्यान में रखे:
- अखरोट की खेती के लिए सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई करे.
- उसके बाद, खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से 2 अच्छी तिरछी जुताई कर दे.
- जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर उसे समतल बना दे ताकि जलभराव की समस्या न हो.
- समतल करने के बाद उसमे 8 से 10 फीट की दूरी छोड़ते हुए पंक्तियों में गड्ढे तैयार करे.
- गड्ढे तैयार करते समय ध्यान रखे कि गड्ढे का आकार 1 मीटर चौड़ा और 1.5 मीटर गहरा होना चाहिए.
- जब गड्ढे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको इन गड्ढे में गोबर की खाद को उचित मात्रा में डाल देना है. इसके बाद मिट्टी और खाद को मिला दे.
- इसके बाद, एक सप्ताह बाद इन गड्ढो में पौधे की रोपाई कर दे.
- अखरोट का पौधा आप खुद भी तैयार कर सकते है, परंतु इसमें आपको थोड़ा ज्यादा समय लगेगा. वैसे, आप खरीद कर भी पौधे की रोपाई कर सकते है.
- जब आप पौधे की रोपाई कर दे तो इसके तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
- अब फसल की पहली गुड़ाई, रोपाई के लगभग 1 महीने बाद कर देनी है.
- इसके बाद समय- समय पर पौधों की निगरानी और सिंचाई पर ध्यान दे.
अखरोट की वैज्ञानिक खेती
हमारे भारत देश में अखरोट की वैज्ञानिक खेती एक महत्वपूर्ण गतिविधि है जो खेतीकारों को अच्छा लाभ दिलाने में मदद कर सकती है. इसकी वैज्ञानिक खेती में कुछ मुख्य तथ्य होते है जैसे कि भूमि, उचित दिन का तापमान और पोषण मूल्य. अखरोट के पौधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार खाद देना भी अहम होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए अखरोट की वैज्ञानिक खेती की जाती है.
अखरोट की खेती में सिंचाई
शुरआती समय में अखरोट की खेती में सिंचाई सप्ताह में 2 बार ही करनी चाहिए. जब अखरोट के पेड़ 1 वर्ष के हो जाए तब आपको सप्ताह में केवल 1 बार ही सिंचाई करनी है. इसके बाद, जब यह पेड़ 3 वर्ष का हो जाए तब आपको 15 से 20 दिनों के अंतराल में ही सिंचाई करनी चाहिए.
अखरोट की खेती में खाद
बता दे अखरोट की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरक की उचित मात्रा, सही समय पर पौधे को देनी चाहिए. इसके लिए गोबर की सड़ी हुई खाद 50 से 70 किलोग्राम प्रति पेड़ प्रति वर्ष देनी चाहिए. इसके अलावा आप 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 25 ग्राम पोटाश को प्रति वर्ष देना चाहिए. समय के साथ- साथ इसे हल्का बढ़ा देना है.
नोट : ऊपर दी गई जानकारी प्रति एकड़ के हिसाब से दी गई है. अगर आप छोटे पैमाने पर खेती कर रहे है तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही खाद डाले.
अखरोट की खेती से लाभ
बता दे अखरोट की खेती से व्यापारिक और आर्थिक दोनों लाभ हो सकते है. निम्नलिखित कुछ तरीके है जिनसे आप अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) से लाभ कमा सकते है:
- अखरोट की मांग बढ़ रही है जिससे बाजार में यह अच्छे मूल्य में बिक सकता है और किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है.
- अखरोट का पेड़ सालभर में कई बार उपज देता है, जिससे किसान को नियमित आय मिलती है.
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अखरोट की खेती में लागत व मुनाफा
बता दे अखरोट की खेती में 80 से 90 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक का खर्च आ जाता है जो आपको केवल पहले वर्ष ही खर्च करना पड़ता है. वहीं, भारतीय बाजारों में अखरोट का भाव 400 से 600 रुपए/ प्रति किलोग्राम है. इसके चलते यदि आप 1 हेक्टेयर में इसकी खेती करते है तो लगभग 300 पेड़ लग सकते है. बता दे प्रत्येक पेड़ से लगभग 40 से 50 किलोग्राम फल निकलता है. इसके चलते आप एक हेक्टर खेत से करीब 12 से 15 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
अखरोट के बीज को अंकुरित होने में कितना समय लगता है?
बता दे अखरोट के बीज को पूरी तरह से अंकुरित होने में लगभग 10 से 12 दिनों का समय लगता है.
अखरोट का पौधा कितने दिन में फल देता है?
अखरोट का पौधा रोपाई के लगभग 3 से 4 वर्षो के बाद ही फल देने लग जाता है तथा प्रत्येक पेड़ से एक बार में लगभग 40 किलोग्राम से भी ज्यादा फल प्राप्त किया जा सकता है.
अखरोट की लकड़ी से क्या बनता है?
अखरोट की लकड़ियों का उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है. बाजार में इसके फल के साथ इसकी लकड़ी की मांग भी बहुत ज्यादा है.
अखरोट की छल का क्या करे?
यदि आपके घर पर भी अखरोट का पेड़ है तो फिर आपको रोजाना सुबह-सुबह इसकी छाल से दातों की सफाई करनी चाहिए यानी आप इसकी छाल का उपयोग दातुन करने में कर सकते है.
अखरोट कौन से मौसम में खाने चाहिए?
अखरोट को सर्दियों व बसंत के मौसम में खाना चाहिए परंतु यह डाइट का भी हिस्सा है इसलिए आप इसे डाइट के रूप में भी सेवन कर सकते है.