Mushroom Ki Kheti | मशरूम की खेती को लाभदायक व्यवसायो में से एक माना जाता है. इसकी खेती करके किसान कम समय में ज्यादा कमाई कर सकते है. वैसे, केंद्र और राज्य सरकार भी मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को 50 फीसदी का लागत अनुदान देती है. भारतीय कृषि मंत्रालय रिपोर्ट की अनुसार, भारत में वर्ष 2021-22 में मशरूम का उत्पादन लगभग 1.30 लाख टन था. वही, वर्तमान समय मशरूम की खेती के प्रति किसान जागरूक हुए है जिसके कारण मशरूम की खेती का चलन तेजी से बढ़ा है.
आज का यह लेख आप सभी किसान भाईयो के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि आज हम आपको मशरूम की खेती से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि मशरूम की खेती कैसे करें? मशरूम की खेती का समय? मशरूम की खेती के लिए जलवायु? मशरूम की आधुनिक खेती? मशरूम की जैविक खेती? मशरूम की खेती में लागत व कमाई? Mushroom Ki Kheti आदि की जानकारी आपको यहां इस लेख में मिलेगी.
मशरूम की खेती की जानकारी
बता दे मशरूम एक प्रकार की फफूंद है. प्रकृति में हजारों तरह के मशरूम पाए जाते है परंतु सभी प्रकार के मशरूम खाने योग्य नही होते क्योकि कुछ मशरूम जहरीले भी होते है. ध्यान रहे, बिना जानकारी के जंगली मशरूम को नही खाना चाहिए. भारत में प्रमुख रूप से मशरूम की 3 किस्मों का उत्पादन होता है जोकि ढिग़री, बटन और दूधिया मशरूम है. हमारे भारत देश में मशरूम का उत्पादन मुख्य रूप से ठंडे प्रदेशो में किया जाता है.
मशरूम की खेती वाले राज्य
हमारे भारत देश में मशरूम का उत्पादन मुख्य रूप से त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर जैसे ठंडे राज्यों में की जाती है.
मशरूम की खेती का समय
भारत में मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) साल में 2 बार, खरीफ और रबी सीजन में की जाती है. अगर आप मशरूम की खेती खरीफ सीजन में करना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई 1 अप्रैल से 30 सितंबर के बीच कर देनी चाहिए. इसके अलावा, यदि आप इसकी खेती रबी सीजन में करना चाहते है तो आपको इसकी बुवाई 1 अक्टूबर से 25 फरवरी के बीच करनी चाहिए. यदि हम फसल अवधि की बात करे तो, मशरूम की खेती को तैयार होने में लगभग 1 से 1.5 माह का समय लग जाता है.
मशरूम की खेती के लिए जलवायु
भारत में मशरूम की खेती के लिए शीतल जलवायु की आवश्यकता होती है, जोकि 15 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच वाला तापमान होता है. यह जलवायु मशरूम की खेती के लिए सबसे उचित माना जाता है.
मशरूम की आधुनिक खेती
बता दे मशरूम की आधुनिक खेती आजकल एक लाभकारी कृषि प्रथा बन चुकी है. इसमें कई तरह के मशरूम की खेती की जाती है जैसे कि ढिग़री, बटन और दूधिया मशरूम. मशरूम की आधुनिक खेती के लिए निम्नलिखित बातो को ध्यान में रखना चाहिए:
- किस प्रकार के मशरूम और खेती करने की योजना बनाएं.
- खेती के लिए उचित स्थान का चयन करे, जो उचित वातावरण और तापमान प्रदान कर सके.
- मशरूम की खेती के दौरान उचित प्रबंधन करें, जैसे कि समय पर पानी देना, रोग प्रबंधन आदि.
मशरूम की वैज्ञानिक खेती
भारत में मशरूम की वैज्ञानिक खेती को “मशरूम कल्टीवेशन” कहते है. यह एक विशेष प्रकार की कृषि तकनीक है जिसमें विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार किया जाता है. मशरूम की वैज्ञानिक खेती में कुछ मुख्य चरण होते है जिसकी विस्तार सहित जानकारी नीचे दी गई है:
- उपयुक्त स्थान का चयन
- मशरूम किस्म का चयन
- समय- समय पर देखभाल
- रोग और कीट प्रबंधन की व्यवस्था
देसी मशरूम की खेती
बता दे देसी मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) करने के लिए आपको सबसे पहले उपयुक्त जमीन, जलवायु और संरचना की जांच करनी होगी. देसी मशरूम की खेती के लिए 28 से 35 डिग्री का तापमान और 60 से 70 फीसदी नमी वाले क्षेत्र उपयुक्त होते है. देसी मशरूम की खेती लगभग 1 माह में ही तैयार हो जाती है. इसकी खेती में आपको उचित देखभाल, पोषण और कीटो का ध्यान रखना होगा. विस्तार जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय किसानों और विशेषज्ञों से भी परामर्श ले सकते है.
गुच्छी मशरूम की खेती
भारत में गुच्छी एक प्रकार का मशरूम है जिसका वैज्ञानिक नाम “Morchella” है. इसकी खेती एक महत्वपूर्ण और लाभकारी कृषि प्रथा है परंतु इसे अधिक धूप और तापमान की आवश्यकता होती है. जानकारी के लिए बता दे, गुच्छी मशरूम आमतौर पर सदाबहार वृक्षों (साल, चीड़ और सेदार पेड़) के नीचे पाया जाता है.
ढींगरी मशरूम की खेती
इस किस्म की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है. सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है, किंतु सर्दियों के मौसम में समुद्र तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है. मशरूम की ढींगरी किस्म लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय है क्योकि इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण होते है.
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दूधिया मशरूम की खेती
हमारे भारत देश में दूधिया मशरूम को ग्रीष्मकालीन मशरूम के रूप में जाना जाता है. इसका आकार बड़ा व आकर्षक होता है. यह एक उष्णकटिबंधीय मशरूम है. बीज के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है तथा मशरूम के फलन के समय इसे 30 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी खेती की शुरुआत 1976 में पश्चिम बंगाल में हुई थी. अब इस मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में लोकप्रिय है.
मशरूम की खेती कैसे करें?
मशरूम की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय फसल है. उचित देखभाल तथा विधि के साथ मशरूम की खेती करना महत्वपूर्ण होता है. सही तरीके से मशरूम की खेती करने के लिए नीचे कुछ महत्वपूर्ण चरण बताए गए है:
- सबसे पहले खेती के लिए भूमि चुने, जहां पर्याप्त मात्रा में सूर्य की किरणे आ सके.
- भूमि में उचित मात्रा में ऑर्गेनिक खाद डाले और खाद को हल की मदद से अच्छे से मिला ले.
- भूमि को समतल कर दे, इससे खेत में पानी नही ठहरेगा.
- उचित बीज या कीटाणु रहित बीजों का चयन करे.
- बीजों को उचित गहराई पर बोए ताकि वे अच्छे से उग सके.
- मशरूम के पौधों को रोगों और कीटो से बचाने के लिए आवश्यक सावधानियां अपनाएं.
नोट: मशरूम की खेती के लिए अपने क्षेत्र के किसानो और विशेषज्ञों की भी सलाह अवश्य ले.
मशरूम की जैविक खेती
बता दे मशरूम की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है. जैविक विधि से खेती करने के लिए आपको जैविक बीजों का उपयोग करना होगा जो कीटाणु रहित होते है. रासायनिक खाद या दवाई की जगह आपको जैविक खाद तथा दवाइयों का उपयोग करना है. जैविक खेती करते समय ध्यान दे कि आपको स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों का सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए और उपयुक्त जैविक तत्वों का उपयोग करना चाहिए ताकि सही प्रगति हो सके.
घर पर मशरूम की खेती कैसे करें?
भारत में घर पर मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना पड़ेगा. इस विधि से आप आसानी से मशरूम की खेती घर पर ही कर सकते है:
- सबसे पहले आपको धान/ गेहूं के डंठलो को कीटाणु रहित करना होगा.
- इसके लिए आपको डंठलो को गर्म पानी में डाल देना है. 2 घंटे के बाद इसे एक बाल्टी में डाल ले और ऊपर से एक तगड़े कपड़े से ढक दे.
- अब इस डंठलो को पानी से निकालकर रातभर सूखने को रख दे. ध्यान रहे कि सुखाने के लिए आपको धूप में नही रखना है.
- इसके बाद, जब डंठले अच्छे से सुख जाए तब इन डंठलो के साथ मशरूम के बीज अच्छे से मिला दे. फिर इन्हे प्लास्टिक के बैग में भर दे.
- इस प्लास्टिक बैग को आपको अच्छे से बंद कर देना है. फिर आपको इस बैग में 10 से 15 छोटे छोटे छेद कर देने है.
- इसके बाद, इसे कमरे में रख दे और 15 से 20 दिनों तक बैग को ऐसे ही रहने दे जब तक बैग पूरा सफेद ना होने लगे.
- जब बैग सफ़ेद होने लगे तो समझे मशरूम के बीज बोने के लिए है. अब आप इन्हें गमले या एक जगह पर मिट्टी डालकर लगा दे.
मशरूम की खेती में सिंचाई
यदि आप मशरूम की खेती बरसात के मौसम में करते है तो फिर आपको सिंचाई करने की जरूरत नही है. वैसे, वर्षा न होने की स्थिति में आप हल्की सिंचाई कर सकते है. इसके अलावा, यदि आप इसकी खेती गर्मी या सर्दी के मौसम में करते है तो, फिर आपको सिंचाई अवश्य करनी चाहिए. सिंचाई के दौरान ध्यान दे कि पानी अधिक नही देना चाहिए क्योंकि अधिक पानी देने से मशरूम की जड़े ख़राब हो सकती है. सिंचाई के लिए उपयुक्त समय और मात्रा का चयन करे जो मशरूम के प्रकार और स्थिति के आधार पर तय होती है.
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मशरूम की खेती में खाद
भारत में मशरूम की खेती में अच्छी उत्पादन प्राप्त करने के लिए सही खाद का उपयोग करना महत्वपूर्ण होता है. इसकी खेती में विभिन्न प्रकार की खाद का उपयोग किया जाता है. लेकिन, आमतौर पर यह 3 प्रमुख खाद उपयोगी है:
- कंपोस्ट खाद: यह जीवाणुओं और पोषण से भरपूर होती है, जो मशरूम के ज्यादा उत्पादन में मदद करती है.
- फ़ार्मयार्ड मैन्योर: यह भी मशरूम की खेती के लिए उपयोगी है क्योंकि यह विभिन्न पोषण मानकों को पूरा करती है और मिनरल्स प्रदान करती है.
- खाद: खाद मशरूम की खेती में बड़े पैमाने पर उपयोगी हो सकती है. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे जरुरी मिनरल्स होते है जो मशरूम की विकास प्रक्रिया को सहायक बनाते है.
मशरूम की खेती के रोग
बता दे मशरूम पर भी पर्यावरण और रोगों का काफी प्रकोप होता है. रोगों की पहचान और तुरंत रोकथाम की अत्यंत आवश्यकता होती है. नीचे हमने कुछ रोगों की जानकारी दी है:
- फफूंद के रोग
- गीला बुलबुला रोग
- फाल्स ट्रफ्ल्स रोग
- हरा फफूंद
- आभासी ट्रफ्ल्स रोग
- जैतूनी हरी कवक
- भूरी प्लास्टर प्रत्याशी कवक
- पीली प्रत्याशी कवक
- सीपीडोनियम पीली प्रत्याशी कवक
मशरूम की खेती से लाभ
भारत में मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) एक लाभकारी व्यवसायिक विकल्प हो सकती है. मशरूम की मांग खाघ उत्पादों में बढ़ती जा रही है. इसकी खेती साल में कई बार की जा सकती है और यह कम समय में पैसे कमाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है.
- इस खेती में कम लागत में अधिक लाभ ले सकते है.
- इस खेती में ज्यादा जमीन की भी जरूरत नही पड़ती है.
- मशरूम की खेती आप अपने घर में भी कर सकते है.
मशरूम की खेती में लागत व कमाई
भारत में मशरूम की खेती में लागत की बात करे तो, यदि आप इसकी खेती छोटे पैमाने पर करना चाहते है तब आप लगभग 7 से 10 हजार रुपए के बीज में इसकी खेती 20*20 वर्ग फिट जगह में आसानी से शुरू कर सकते है. बाकी का खर्चा खाद, दवाई आदि का होता है जोकि लगभग 6 से 7 हजार रुपए का आएगा. यानी इस खेती में कुल लागत लगभग 15 से 20 हजार रुपए है. इस छोटे पैमाने पर खेती करके आप 70 से 80 हजार रुपए आसानी से कमा सकते है.
यदि आप इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू करते है तो आप इस खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है. इस खेती की एक विशेषता यह भी है कि आप सालभर में मशरूम की 5 से 6 बार आसानी से खेती कर सकते है जिससे आपको 6 गुना ज्यादा लाभ होगा.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
भारत में कौन सा मशरूम सबसे महंगा है?
गुच्छी मशरूम की सबसे महंगी प्रजाति है. यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और आहार फाइबर अधिक होता है.
भारत में सबसे लोकप्रिय मशरूम कौन सा है?
सफेद बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, मिल्की मशरूम पोर्टोबेला मशरूम आदि भारत में सबसे लोकप्रिय मशरूम है.
कौन से मशरूम हानिकारक होते है?
जंगली मशरूम हानिकारक होते है, जो जहरीले भी माने जाते है. ऐसे में यदि इन जंगली मशरूम का सेवन किया जाए तो मशरूम के कई नुकसान हो सकते है.
मशरूम का असली नाम क्या है?
मशरूम का असली नाम कुकुरमुत्ता है. यह कवक से बना एक मांसल, बीजाणु युक्त फलने वाला पिंड है. जो प्रायः जमीन के ऊपर पैदा होता है और भोजन का भी अच्छा स्त्रोत है.
1 किलो सीप मशरूम की कीमत कितनी है?
मशरूम की कीमत उनकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है. सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले मशरूम की कीमत 200 से 250 रुपए प्रति किलो होती है.