Tarbuj Ki Kheti | तरबूज को गर्मी के मौसम का सबसे प्रिय फल माना जाता है. यह बाहर से हरे रंग के होते है परंतु अंदर से लाल और पानी से भरपूर व मीठे होते है. आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन बता दे कि तरबूज में लगभग 97% पानी होता है. यह हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को भी पूरा करता है. वैसे तरबूज को हिन्दी की उपभाषाओं में मतीरा व हदवाना भी कहते है. भारत में इसे व्यापारिक तौर पर उगाया जाता है जिस वजह से इसका उत्पादन भी बड़ी मात्रा में किया जाता है. भारत में तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) ज्यादातर पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक राज्य में की जाती है.
यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको तरबूज की खेती करना चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको तरबूज की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि तरबूज की खेती कैसे करे? तरबूज की खेती से मुनाफा? तरबूज की फसल की जानकारी? तरबूज की नर्सरी? तरबूज की उन्नत किस्में? तरबूज की खेती में खाद और सिंचाई? आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.
तरबूज की फसल की जानकारी
तरबूज की खेती एक लंबी अवधि की फसल है क्योकि इसे बोने से लेकर कटाई तक लगभग 110 से 130 दिनों का समय लगता है. इसकी बुवाई जायद के समय में 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच होती है. तरबूज की फसल उगाने के लिए बलुई दोमट मिट्टी होनी चाहिए जिसका पी.एच मान 6 से 7 के बीच हो. इस तरह की मिट्टी को तरबूज की फसल के लिए अच्छा माना जाता है.
तरबूज की फसल के लिए उत्तम जलवायु
बता दे कि तरबूज की फसल के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उचित मानी जाती है. इसका पौधा गर्म और सर्द दोनों ही जलवायु के प्रति शहनशील होता है. वैसे, फल की वृद्धि तथा विकास के दौरान अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.
तरबूज की नर्सरी
नर्सरी एक पौधशाला होती है जहां पौधों के बीज उगाए जाते है. जिसमे पौधे उन्नत होते है और बाद में उन पौधों को खेतो में लगाया जाता है. नर्सरी में उगाए जाने वाले पौधों को उनकी वृद्धि व प्रजनन के लिए आवश्यक मानसूनी और जलवायु स्थितियों के अनुसार ध्यान में रखा जाता है. यहां पर्याप्त मात्रा में पानी, उपयुक्त मिट्टी तथा आवश्यक पोषक तत्वों का भी प्रयोग किया जाता है ताकि तरबूज के पौधे स्वस्थ और वृद्धिशील रहे.
हाइब्रिड तरबूज की खेती
यदि आप हाइब्रिड तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) करना चाहते है तो इसके लिए आपको सबसे पहले उच्च गुणवक्त्ता वाले तथा आपके क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही हाइब्रिड तरबूज के बीजों का चयन करना होगा. ध्यान रखे विकसित तथा प्रमाणित बीजों का चयन करे. यदि आप हाइब्रिड तरबूज की खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती जैविक तरीके से करनी चाहिए.
तरबूज की जैविक खेती
आपको बता दे तरबूज की जैविक खेती एक प्राकृतिक तथा पर्यावरण संबंधी तरीका है जिसमे कीटनाशकों तथा केमिकल खादों का उपयोग नही किया जाता है. इस विधि से खेती करने के लिए आपको जैविक तरबूज बीजों का ही चयन करना चाहिए तथा उचित जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग करना चाहिए.
तरबूज की उन्नत किस्में
आज के समय बाजारों में तरबूज की कई प्रजातियां देखने को मिल जाती है. परंतु किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्म के बीजों को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको तरबूज की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गयी है, जोकि इस प्रकार है:
- पूसा बेदान
- डब्लू 19
- अलका आकाश
- काशी पीतांबर
- न्यू हेम्पशायर मिडगट
- आशायी यामातो
- अर्को मानिक
- सुगर बेबी
- दुर्गापुर मीठा
तरबूज की खेती कहां होती है?
तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) व्यापारिक स्तर पर देश में प्रमुख मैदानी क्षेत्र के अलावा हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा होती है.
तरबूज की खेती कैसे करें?
सबसे जरुरी है कि आपको तरबूज की खेती सही तरीके से करनी चाहिए. यदि आप सही तरीके से खेती नही करते है तो इसकी पैदावार कम हो सकती है. सही तरीके से खेती करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करे:
- तरबूज की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए.
- इसके बाद, आपको खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना है.
- बुवाई के कुछ दिन पहले आपको खेत समतल कर देना है और फिर खाली खेत की सिंचाई करे ताकि पौधे रुपाई के समय मिट्टी में नमी रहे.
- फिर उचित समय पर पौधे की रुपाई करवा दे. अगर आपने नर्सरी से पौधे लिए है तो उनको लगा दे.
- रोपाई करने के कुछ दिनों बाद पौधा बाहर निकल जाएगा.
- समय पर सिंचाई और खरपतवार करे ताकि उत्पादन अच्छा हो.
बरसात में तरबूज की खेती
यदि आप बरसात के मौसम में तरबूज की करना चाहते है तो आपको मार्च माह में ही तरबूज के पौधे नर्सरी में तैयार कर लेना है. इसके बाद, आपको अपने खेत को अच्छे से तैयार करना होगा तथा आपको खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी है. फिर जब पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको अपने खेत में पौधे की रुपाई कर देनी है. वैसे, बरसात के मौसम में रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर वाला पैराग्राफ पढ़े.
काले तरबूज की खेती
आज के समय में काले तरबूज की खेती भी एक लाभदायक कृषि गतिविधि हो सकती है. काले तरबूज की खेती विशेष रूप से पश्चिमी देशों में प्रचलित है. काले तरबूज की बुवाई गर्मियों में होती है जब भूमि का तापमान 18 से 30 डिग्री हो.
तरबूज की खेती में खाद
खेत तैयारी के समय 20 टन सड़ी गोबर खाद, 50 किलोग्राम डीएपी खाद, 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट पाउडर डालना है. पौधा लगाने के बाद NPK 19-19-19/ किलोग्राम का 400 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते है. अगर आप जैविक खेती कर रहे है तो ऊपर पढ़े.
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तरबूज की फसल में रोग व रोकथाम
- बुकनी रोग: इस रोग में तरबूज की पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है. इस रोग से बचाने के लिए दायनोकेप 0.05% तथा गंधक 0.03% का छिड़काव करे.
- फ्यूजरियम विल्ट: इस रोग से ग्रसित पौधा पूरी तरह से नष्ट होकर गिर जाता है. तरबूज के पौधे को इस रोग से बचाने के लिए बीज रोपाईं से पहले बीजों को कार्बेंडाजिम से उपचारित करे तथा खेतो में केप्टान 0.3% का छिड़काव करे.
- डाउनी मिल्ड्यू: यह रोग पौधे की निकली सतह पर गुलाबी रंग के पाउडर के रूप में लगता है. इस रोग से बचाव के लिए पौधे पर जाइनेब या फिर मेंकोजेब का छिड़काव सप्ताह में 3 बार करे.
तरबूज की खेती में लागत
अगर आप तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) तैयार करते है तो लगभग 40 से 50 हजार रुपए/ प्रति एकड़ तक का खर्चा आ जाता है. जिसमे नर्सरी पौधा, खेत की तैयारी, निराई – गुड़ाई, लेबर खर्चा और खाद- दवा आदि चीज़े शामिल है.
तरबूज की खेती से मुनाफा
बाजार में तरबूज का भाव लगभग 10 से 15 हजार रुपए/ प्रति कुंटल के बीच रहता है तथा इसकी पैदावार लगभग 200 से 400 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इसके हिसाब से किसान भाई 1 लाख से 3 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर की कमाई आसानी से कर सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
तरबूज के बीज कब बोए जाते है?
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुआई फरवरी में की जाती है. इसके अलावा, नदियों के किनारे पर बुवाई नवंबर से मार्च महीने के बीच शुरू हो जाती है.
1 एकड़ में तरबूज का कितना बीज लगता है?
एक एकड़ में लगभग 400 ग्राम बीज लगता है. बीज आपको उचित दूरी पर ही लगाना चाहिए. इसके अलावा, पौधे को नर्सरी विधि द्वारा ही तैयार करना है.
हाइब्रिड तरबूज कौन सा है?
ऑरेंज क्रिप्स एक हाइब्रिड तरबूज है जिसमे मीठे, कुरकरे, गहरे नारंगी रंग का गुदा होता है. इसका व्यास लगभग 11 इंच का होता है.
काला तरबूज इतना महंगा क्यों है?
डेनसुक प्रजाति के इन तरबूजों को काला तरबूज भी कहा जाता है. यह बाजार में बहुत महंगे मिलते है क्योंकि इसके पौधे से पूरे वर्ष में केवल 100 तरबूज ही उगते है.
सबसे महंगा तरबूज कौन सा है?
डेनसुक तरबूज विश्व का सबसे मांगे फलों में से एक है क्योंकि इस तरबूज का उत्पादन बहुत ही कम होता है.