Bajra Ki Kheti | बाजरा हमारे भारत देश की सबसे ज्यादा उत्पादन वाली फसल है. इसी वजह से बाजरा की खेती को व्यापारिक खेती भी कहा जाता है. इसकी खेती खरीफ के मौसम में की जाती है. यह मोटे दाने वाली फसल है. यदि आप एक जागरूक किसान है और खेती में अच्छा मुनाफा चाहते है तो आपको बाजरे की खेती करना चाहिए. बाजरे की फसल के उत्पादन से काफी अच्छा मुनाफा होता है. बाजरे की खेती से जुडी सभी प्रकार की आवश्यक बातो को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े.
इस पोस्ट में आपको कई आवश्यक जानकारी मिलेगी. जैसे कि बाजरा खाने के लाभ? बाजरे की खेती में लागत व उपज? बाजरे की कटाई? बाजरा की खेती का समय? बाजरे की खेती कैसे करे? Bajra Ki Kheti Kaise Kare आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
बाजरा की फसल की जानकारी
प्रिय किसान भाईयो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारे भारत देश में लगभग 85 लाख हेक्टेयर भूमि के क्षेत्रफल में बाजरे की फसल उगाई जाती है. जिसमे से 87% का क्षेत्रफल गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों से आता है.
बाजरा एक प्रमुख खाद्य फसल है. वैसे बाजरे को पशुओं के लिए पोष्टिक चारा भी माना जाता है. बाजरे की फसल को यदि हम पोषण की दृष्टि से देखे तो बाजरे के दाने में सबसे ज्यादा प्रोटीन, केरोटिन, खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन B6, कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है.
बाजरा की खेती के लिए उन्नत जलवायु
बाजरे की खेती (Bajra Ki Kheti) शुष्क तथा गर्म जलवायु में अच्छी तरह से उत्पादित की जा सकती है. जलवायु शुष्क होने के साथ- साथ उष्णकटिबंधीय भी होनी चाहिए. इसके अलावा, बाजरे के पौधे को अंकुरण के लिए 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है और पौधे के विकास के लिए 30 से 35 डिग्री का तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है.
बाजरा की खेती का समय
बाजरा की बुवाई के लिए उपयुक्त समय बारिश के बाद का समय होता है. यह अलग- अलग राज्यों में अलग- अलग होता है लेकिन सामान्यतः बाजरा की बुवाई का समय जून से जुलाई के बीच होता है. यदि आप एक ऐसे क्षेत्र में रहते है जहा वर्षा बहुत ही कम होती है तो वहा मानसून शुरू होते ही आपको बुवाई कर देनी चाहिए.
बाजरे की उन्नत किस्म
यदि आप बाजरे की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो आपको इसके लिए बाजरे की उन्नतशील किस्मों का ही चुनाव करना चाहिए. नीचे आपको प्रमुख किस्म की जानकारी दी गई है:
- ए.एच.बी 1200
- एम. एच 143
- एच.एच.बी. 299
- रेवती 2123
- हाइब्रिड पूसा 415
- पूसा 322
- सी.जेड.पी. 9802
- जी.एच.बी. 719
- राज 171
- नंदी 70
- एच. एच बी. 672
बाजरे की खेती कैसे करे?
बाजरे के खेती करने के लिए निम्न चरणों का पालन करे, जिससे आप खेती आसान तरीके से कर सकते है:
- बाजरे की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
- यदि आपका खेत समतल नही है तो अपको सबसे पहले खेत को समतल कर लेना है. इससे आपको जलनिकासी की समस्या नही आएगी.
- इसके बाद, आपको खेत में उचित मात्रा में खाद डाल देना है.
- बुवाई के समय आपको 44 किलोग्राम यूरिया, 250 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट या फिर 87 किलोग्राम डीएपी खेत में प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए.
- इसके बाद, मिट्टी और खाद को अच्छे से मिश्रण कर देना है.
- पहली बारिश होने के बाद, जब खेत की मिट्टी में हल्की सी नमी आ जाए तो उसके बाद ही बुवाई शुरू करे.
- बुवाई के लिए आपको अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही बाजरे का किस्म का चयन करे व हमेशा प्रमाणित किस्मों का ही चयन करे.
- अगर चाहे तो कुछ बीजों को पहले घर में ही बुवाई कर ले, इससे आपको बीज दर की जानकारी हो जाएगी कि आपको किस दर पर बीजों को लगाना है.
- बाजरे की खेती में आपको जलनिकास की विशेष व्यवस्था कर लेनी चाहिए.
- समय- समय पर आपको खरपतवार कटवा लेना चाहिए. यदि आपको खेत में ज्यादा खरपतवार दिखाई दे तो आपको खरपतवार नाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए अन्यथा पौधे का विकास सही से नही हो पाएगा.
बाजरे की खेती में उर्वरक का इस्तेमाल
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बाजरे की फसल में अधिक उर्वरक की जरूरत नही होती है. आपको बुवाई से पूर्व ही 10 गाड़ी सड़ी गोबर की खाद को प्रति एकड़ के खेत में देना चाहिए. यदि आप सड़ी गोबर के खाद की व्यवस्था नही कर पाते है तो आप बुवाई से पूर्व NPK की उचित मात्रा को भी खेत में डाल सकते है या फिर आप DAP का भी इस्तेमाल कर सकते है.
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बाजरे की फसल की सिंचाई
आमदौर पर बाजरे की खेती (Bajra Ki Kheti) वर्षा के मौसम में ही होती है, इस समय आपको बाजरे की फसल में सिंचाई करने की जरूरत नही होती है. बाजरे की फसल बुवाई के बाद यदि बारिश लंबे समय तक न हो तो फसल सूखने लगती है. ऐसे में आपको सिंचाई करना जरूरी होता है.
यदि आप बाजरे की खेती सिर्फ हरे चारे के लिए उगा रहे है तो सप्ताह में आपको 2 से 3 बार सिंचाई कर देनी है इससे पौधे में पानी की उचित मात्रा बनी रहती है तथा पशुओं को खाने के लिए अच्छा चारा मिल जाता है.
बाजरा खाने के लाभ
बाजरा एक पूर्ण अनाज है जो कि Fiber, Vitamin तथा खनिजों से भरपूर होता है. बाजरा खाने के कई लाभ है जिसकी जानकारी नीचे विस्तार से दी गई है:
- लगातार बाजरे का सेवन करने से वजन कम होता है.
- बाजरे का सेवन करने से सुगर लेवल नियंत्रण होता है.
- बाजरे का उपयोग ह्रदय रोग से बचाव के लिए भी किया जाता है.
बाजरे की कटाई
जानकारी के लिए बता दे कि बाजरे की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में कम से कम 70 से 80 दिनों का समय लगता है. जब बाजरे का दाना कठोर हो जाए तथा भूरा दिखाई देने लगे तब आप फसल की कटाई कर सकते है. बाजरे की कटाई अधिकतर अक्टूबर और नवंबर माह में की जाती है.
बाजरे की खेती में लागत व उपज
बाजरे की खेती में लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि भूमि की गुणवत्ता, बीज की उपलब्धता, खाद की आवश्यकता आदि. बाजरा बीज की लागत 1000 रुपए से 1500 रुपए प्रति एकड़ तक की होती है. खाद की लागत लगभग 20 हजार रुपए प्रति एकड़ होती है. इसके अलावा, जुताई व सिंचाई का खर्च अलग होता है.
अब यदि हम बाजरे की पैदावार की बात करे तो इसकी पैदावार बाजरे की किस्म तथा आपकी भूमि उपजाव पर निर्भर करती है. किसान भाई एक हेक्टेयर के खेत में बाजरे की खेती कर 25 से 30 कुंटल अनाज पैदावार ले सकते है वही, 70 क्विंटल तक सुखा चारा भी मिल जाता है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
बाजरे की पैदावार प्रति एकड़ कितनी होती है?
बाजरे की पैदावार भूमि, किस्म, क्षेत्र का जलवायु आदि पर निर्भर करती है. सामान्यतः बाजरा की ओसत उपज लगभग 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.
बाजरा उगने में कितना समय लगता है?
यदि आप बाजरे की खेती करना चाहते है तो आपको जानकारी होनी चाहिए इसे तैयार होने में कितना समय लगता है. बता दे कि बाजरा फसल को पूरी तरह से तैयार होने में कम से कम 70 से 80 दिनों का समय लगता है यानी लगभग 3 माह का समय लगता है.
बाजरे की बीज दर क्या है?
बुवाई के समय बाजरे का बीज दर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए.
बाजरा को अंग्रेजी में क्या कहा जाता है?
बाजरा को अंग्रेजी में Millet कहा जाता है, यह एक मोटा अनाज होता है.
बाजरे की नई किस्म?
बाजरे की नई किस्म बी.67-2 है, किसी उपज काफी अच्छी होती है. इसकी उपज 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.