Muli Ki Kheti | मूली की खेती जड़ वाली सब्जियों में एक विशेष स्थान रखती है. यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है. मूली को वैज्ञानिक रूप से “राफानस सैटिवस एल” के रूप में जाना जाता है. मूली को एक रूट वेजिटेबल माना जाता है क्योंकि यह स्टार्च और अन्य बायोक्टिव कंपाउंड से भरपूर होती है. मूली एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग भारतीय बाजारों और मंडियों में सालभर बनी रहती है. अगर आप इस बार खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको मूली की खेती करनी चाहिए. वैसे, इसकी खेती करना बेहद आसान है.
मूली की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. यदि आप इसकी खेती करना चाहते है तो यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको मूली की खेती से जुडी विस्तापूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि- मूली की खेती का समय? मूली की खेती के लिए उत्तम जलवायु? मूली की खेती वाले राज्य? मूली की खेती में खाद? मूली की खेती में सिंचाई? मूली की जैविक खेती कैसे करे? मूली की खेती में लागत व कमाई? Muli Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.
मूली की खेती की जानकारी
भारत में मूली की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यापारिक गतिविधि हो सकती है. इसकी खेती में सही तरीके से पूरी तैयारी और देखभाल करने की जरूरत होती है. पहले, अच्छे गुणवत्ता वाले बीज का चयन करे जिन्हे स्थानीय वाणिज्यिक केंद्रों से प्राप्त किया जा सकता है. बुवाई के बाद समय- समय पर जरुरत के हिसाब से पानी तथा खाद देना भी महत्वपूर्ण होता है.
वैसे, मूली की फसल को सभी तरह की जमीन में उगाया जा सकता है लेकिन इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए 6 से 7 पी.एच. मान वाली रेतीली दोमट और भुरभुरी मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना गया है. इस तरह की मिट्टी में मूली की जड़े अच्छे से विकसित होती है. इसकी फसल के लिए चिकनी मिट्टी अच्छी नही मानी जाती क्योंकि इस तरह की मिट्टी में जड़ों का आकार बिगड़ जाता है.
मूली की खेती का समय
भारत में मूली की बुआई के लिए सितंबर तथा अक्टूबर का महीने सबसे उपयुक्त माना जाता है, लेकिन कुछ प्रजातियों की बुआई अलग- अलग समय पर की जा सकती है. जैसे की पूसा हिमानी की बुवाई दिसंबर से फरवरी महीने तक की जाती है. वही, पूसा चेतकी प्रजाति को मार्च से अगस्त महीने तक भी बोया जा सकता है.
मूली की खेती वाले राज्य
हमारे भारत देश में मूली की सबसे अधिक खेती पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात, असम, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है. इसके अलावा भी कई राज्यों में अब मूली की खेती की जाने लगी है.
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मूली की खेती के लिए जलवायु
बता दे मूली की खेती (Muli Ki Kheti) के लिए ठंडी जलवायु बहुत उपयुक्त होती है. भारत में अलग- अलग मौसमों के आधार पर अलग- अलग जगहों पर इसकी खेती की जाती है. मूली के बीजों को जल्दी अंकुरण के लिए लगभग 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
वही, पौधों के अंकुरित होने के बाद 10 से 15 डिग्री का तापमान विकास के लिए उत्तम माना जाता है. लेकिन, इसके पौधे अधिकतम 25 और न्यूनतम 4 डिग्री तापमान पर भी आसानी से बढ़ सकते है. जब अधिकतम तापमान 25 डिग्री से ऊपर चला जाता है तो इसके कंदो की गुणवत्ता कम हो जाती है.
मूली की उन्नत किस्में
भारत में मूली की कई तरह की देशी और विदेशी उन्नत किस्में बाज़ार में उपलब्ध है जिनको अधिक उत्पादन लेने के लिए तैयार किया गया है. कुछ प्रमुख किस्मे इस प्रकार है:
- पूसा हिमानी
- पूसा चेतकी
- पंजाब पसंद
- व्हाइट आइसिकिल
- हिसार न. 1
- जापानी सफेद
- रेपिड रेड व्हाइट टिप्स
- जैनापुरी मूली
- सकुरा जमा
- के एन 1
लाल मूली की खेती
बता दे लाल मूली की खेती एक लाभकारी खेती प्रथा है जो अधिकांश भागों में की जाती है. लाल मूली तेजी से बढ़ने वाली होती है जो अच्छा उत्पादन देती है. इसके अलावा, मूली की खेती (Muli Ki Kheti) में बीजों को बोने का समय, मौसम, जलवायु और भूमि की गुणवत्ता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. खरपतवार और कीट रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. वही, पौधों पर बीमारियों और कीटो की निगरानी के लिए नियमित जांच करना भी जरूरी होता है.
गर्मियों में मूली की खेती
अगर जुलाई माह में मूली की खेती करते है तो इन दिनों मूली के बीजों की बुवाई मेड पर नही की जाती बल्कि इन दिनों छितकाव विधि से बुवाई करते है. वही, अगर गर्मियों में मई महीने में मूली की खेती करते है तो इन दिनों मेड बनाकर एक- एक बीज की बुवाई की जाती है.
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बरसात में मूली की खेती
भारत में बरसाती मूली की खेती करने के लिए स्थानीय मौसम और मिट्टी की विशेष शर्तों का अध्ययन करना जरूरी होता है. सही वर्गीकरण, बीजों की उचित गहराई में बोना और जलनिकासी करके आप बड़ी आसानी से बरसाती मूली की खेती कर सकते है.
मूली की खेती कैसे करे?
अगर आप मूली की खेती (Muli Ki Kheti) से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से मूली की खेती करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:
- मूली की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को तैयार कर ले. इसके लिए आपको पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट कर देना है.
- इसके बाद, आपको खेत की गहरी जुताई कर लेनी है.
- फिर खेत में प्राकृतिक खाद के तौर पर 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद/ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दे.
- खाद डालने के बाद कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन तिरछी जुताई कर मिट्टी में खाद को अच्छी तरह से मिला दे.
- इसके बाद सिंचाई कर ले. फिर खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे.
- फिर रोटावेटर से खेत में जुताई करवा दे.
- इसके बाद, पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे. इससे आपको जलभराव जैसी समस्या नही होगी.
- मूली की बुवाई मेड़ों या समतल क्यारियों में की जाती है. लाइन से लाइन या मेड़ों से मेड़ों की दूरी लगभग 50 सेंटीमीटर रखे.
- पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 सेंटीमीटर रखे तथा बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर करे.
- ध्यान रहे कि बुवाई के बाद तुरंत हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए.
मूली की जैविक खेती
बता दे मूली की जैविक खेती एक प्राकृतिक तथा पर्यावरण संबंधी तरीका है जिसमे कीटनाशकों तथा केमिकल खादों का उपयोग नही किया जाता है. इस विधि से खेती करने के लिए आपको जैविक मूली बीजों का ही चयन करना चाहिए तथा उचित जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग करना चाहिए.
मूली की खेती से लाभ
भारत में मूली की खेती से आपको कई तरह के लाभ मिल सकते है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:
- मूली की मांग बाजार में अच्छी होती है जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. इससे आपको आर्थिक लाभ होगा.
- मूली को कच्चे रूप में खाना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी होता है.
- इसके खाने से पेट से जुडी कई तरह के रोगों से छुटकारा भी मिलता है.
मूली की खेती में खाद
बता दे मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) को उर्वरक की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि इसके पौधे तेजी से विकास करते है. इसके लिए पौधों को प्रयाप्त मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में आपको 50 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 100 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दे.
मूली की खेती में सिंचाई
सर्दियों के मौसम में आपको 10 से 14 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी है और गर्मियों के मौसम में 5 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. वैसे, मूली में सिंचाई भूमि की नमी के अनुसार कम ज्यादा करनी पड़ती है.
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मूली की खेती में रोग
भारत में मूली की खेती में कुछ प्रमुख रोग लग सकते है, जैसे कि- माहु रोग, बालदार सुंडी, काली सुंडी, झुलसा रोग आदि. ये सब रोग मूली की खेती को प्रभावित करते है. अच्छी खेती और प्रबंधन के माध्यम से इन रोगों को रोका जा सकता है. अधिक जानकारी के लिए आप कृषि स्पेशलिस्ट की सलाह अवश्य लेवे.
मूली की खेती में लागत व कमाई
बता दे मूली के खेत में लगभग 250 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है. मूली का बाजारी भाव गुणवत्ता के हिसाब से 15 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है. मूली की खेती (Mooli Ki Kheti) से किसान भाई एक बार की फसल से लगभग 4 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की कमाई कर अच्छा लाभ कमा सकते है. इस खेती में यदि हम 40 से 50 हजार रुपए खर्च के हटा दे तो भी आपको इस खेती से 3.5 लाख से 4.5 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा मिलेगा.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
मूली कितने दिन में तैयार हो जाती है?
मूली की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 40 से 50 दिनों का समय लगता है. मूली की कुछ किस्म को तैयार होने में 2 माह से भी अधिक का समय लग सकता है.
मूली का पौधा कैसे बढ़ता है?
मूली के पौधे को ग्रो करने के लिए प्रति दिन कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप मिलनी चाहिए तथा पौधे को 20 से 22 दिनों के अंतराल में जैविक खाद की आवश्यकता पड़ती है.
एक बीज से कितनी मूली मिल सकती है?
एक मूली के बीज से केवल एक ही मूली का पौधा पैदा होता है और एक मूली के पौधे से केवल एक ही मूली पैदा होती है.
सबसे तेजी से बढ़ने वाली मूली कौन सी है?
सबसे तेजी से बढ़ने वाली मूली “चेरी बेले” है. इसकी खेती 1.5 महीने में ही तैयार हो जाती है.
मूली कितने प्रकार की होती है?
मूली 100 से अधिक प्रकार की होती है जो कई रंगों, आकारों में आती है. सभी का अपना अनूठा स्वाद और पोषण तत्व होते है.